सनातनी_जितेंद्र Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

सनातनी_जितेंद्र Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful सनातनी_जितेंद्र quote can lift spirits and rekindle determination. सनातनी_जितेंद्र Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

सनातनी_जितेंद्र bites

जैसे सबकुछ खो बैठा हूँ.....
बात इक दफा़,क्या न भयी उनसे।
#यादें_तुम्हारी
#यादआतीहै
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

होंगे सभी,बस इक हम न मिलेंगे.....
बहुत पछताओगे,मन को जो समझ जाओगे।
पता न मिलेगा कभी,तुम ढूंढते थक जाओगे।।
#दुनिया_के_मेले
#गुमहोजाएँ
#पछताओगे_एक_दिन
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

तरस आता है......
जो चिंता में हैं डूबे।
नफरती इस शहर के.....
अरे! ओ बदनाम से सूबे।
जिद्द छोड़ ए-जिंदगी,चल कहीं कुछ काम कर लें...
जो गुज़रीं सो गुज़री,बचीं वो हर शाम अपने नाम कर ले।
#जिंदगी_एक_फ़लसफा
#रोकनानहीं
#जिंदगी_है_कैसी_ये_पहेली
#जीने_की_तमन्ना
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

समय! तेरा जताना,मुझे पसंद आया.....
बेशक! लगी कुछ बात,सीने में फिर भी।
मुस्कुरा कर कहना ही,बखूब भाया।।
#जिंदगी_का_ताना_बाना
#शिकायतें_जो_तमाम_रह_गयीं
#समयकीचाल
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

कहती थी,कि किसी रोज साबित तो करो...
इक रोज! किन्हीं और के,हो लिए हम।
था वर्षों से जगा,चैन नींद से सो लिए हम...
#जियानहींगया
#मरने_की_चाह
#तुम्हारीकमी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

प्रेम का नाम है केवल,
जाल षड्यंत्रों का फैला।
वस्त्र स्वच्छ-सुदृढ़ दीखते,
बसा मन गहराई तक मैला।।
#पीड़ा_मन_की
#दर्द_छलक_जाता_है
#छलावा
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

लफ्जों की कमी है,
अहसास बिक रहे हैं।
कसूरवार है हर मन यहां,
इसमें भावना का दोष क्या?
#जिंदगी_है_कैसी_ये_पहेली
#जीने_की_तमन्ना
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

मुझको मेरी कमी खलती है...
जाने क्या बात हुई ऐसी,

जब-जब ये शाम ढलती है..मुझको मेरी..
सुलझाते ही उलझ जाता हूँ
इनमें ही जिंदगी पलती है...
खींचातानी समय की ऐसी,
हरपल नए रंग बदलती है..मुझको मेरी..
मसले कम होते ना दिखते,
मोल नहीं किसका है यहां...
पैसों में सभी बिकते दिखते,
पीड़ाएं नए रूप बदलती हैं..मुझको मेरी..
#सनातनी_जितेंद्र मन
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