KAVYOTSAV Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

KAVYOTSAV Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful KAVYOTSAV quote can lift spirits and rekindle determination. KAVYOTSAV Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

KAVYOTSAV bites

#KAVYOTSAV
भावनाएं

अतरंगी नजरिया !
#kavyotsav

बातें मुलाकातें पेहले भी बहोत बार हुई थी ,
दुनिया की नजरों में लोगों की बातों में कहीं तुम अच्छे मिले कहीं बुरे...
मगर हमने तुम्हें इन सबसे परे कुछ अलग ही पाया !

चंद लम्हों की मुलाकात , चार पलों की बातें , इतना आसान तो नहीं था तुम्हें समझना...
मगर इतना जरूर समझ पाये ' जिसका भी हाथ थांमोगे उस से अच्छी तकदीर किसी ओर की नहीं '

वो लबों की खामोशी और नजरों की बातें ,
तन्हाइयों से दूर और खुद में ही डूबना...
तुम्हारे अल्फाज भी बहुत अजीब से हैं , पूरे होकर भी अधूरे से लगते हैं...
मानों दिमाग की हर पल उसपर पेहरेदारी है !

जिंदगी के सफर में तुम इंसान हि अलग किस्म के निकले ,
जब भी तुम्हें अच्छा समझने लगे , तुम बुरे बन गये और बुरा समझने लगे तो अच्छे बन गये...

जितना भी तुम्हें बातों में नापना चाहा , गेहराई ही बढ़ने लगी
छोड़ दिया तो किनारे नजर आने लगे...

तुम्हारा नशा भी अलग ही था ; जब करना चाहा तो सब उतर गया ,
छोड़ना चाहा तो दिमाग भी नहीं बच पाया !

तुम्हारा रुतबा भी कुछ अलग ही था
मगर मेरी जिंदगी के किस्सों में वो मगरुर था...

अब छोड़ दी तुम्हें समझने की ज़िद...
क्योंकि, तुम्हें जानकर दिल बुरा मान ने लगा !!!

- NidhiPatel

 #Kavyotsav गुडीया की शादी मे अब खेलते नही है बच्चे, खिलौनोमे झुनझुना चुन हसते नही है बच्चे।          जाने कहा खो गयी मासुमियत इनकी आंखोंकी,       की परियोंकी कहानी सूनकर सोते नही है बच्चे। तितली से लगाव ना कालियो से पहचान इनकी,     किसी बागबगीचेमे फुलोसे खिलते नही है बच्चे। कभी मिट्टीसे मैले हुये न पाव इनके नन्हे नन्हे,      कभी टीमटीम करते तारोको गिनते नही है बच्चे। कैसी बेरुखीसी दिखती है अब इनके अंदर बाहर, आजकल बारीश मे खुलकर भीगते नही है बच्चे। कैसा अकाल आन बसा है आसुयोंका दिलमे,       दादा दादी गुजर भी जाये तो रोते नही है बच्चे।     कैसे अजीब माहौल के साये आकर बसे दिलमे, अपने होकरभी अपनोको अपनाते नही है बच्चे।                  किरण शिवहर डोंगरदिवे, वॉर्ड न 5, समता नगर, मेहकर, ता मेहकर जिल्हा बुलढाणा पिन 443301 मोबा न 7588565576

#kavyotsav

गान्धार की गुरुपद धरा


यह एक लंबे-से दिवस की, एक सुरमय शाम थी
आकाश पर अंतिम किरण थी गुनगुनाती
द्राक्ष* के फल चुन लिए थे, साँझ का आलस घिरा
खेत में ही वहीं लंबे पैर कर वह गिर पड़ा
यह गमकती शाम, सौंधी-सी महक महसूस करता।
दूर के पर्वत-शिखर भी डूबते-से
ज्यों धरा पर एक कोना ढूंढते-से।

ढल चुका था सूर्य, ऊष्मा का झकोरा चुक गया था
और कार्तिक का अँधेरा, पास आकर झुक गया था
बाज़ुओं से ढलककर हल्का पसीना सूखता
कँपकँपाने के लिए वह एक झौंका रुक गया था।
एक मीठी तान पर कोई सहज गाता हुआ
दूर चितवन, गांव के पथ, दूर होता जा रहा था।

गुनगुनाता हुआ वह स्वर -
कुछ कहानी कह रहा था
दोपहर के बाद इतनी शुभमयी यह शाम
विश्व मे शायद कहीं भी, इस तरह ढलती नहीं।
गान्धार की गुरुपद धरा पर यह महीना क्वार का था!

क्रमशः
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#टिप्पणियाँ

दिनभर खेतों में अंगूरों की फसल चुनने के बाद कुछ घड़ी सुस्ताते हुए जय। ढलती हुई शाम।ईसा पूर्व 330, कार्तिक मास।

#गान्धारपर्व , #जयमालव #महाकाव्य

आसपास के खेतों में बाजरे और ज्वार की फसलें तोड़ी जा रही हैं और जय अपने खेत से अंगूरों की फसल चुन रहा है। सुवास्तु घाटियों (स्वात घाटी, वर्तमान पाकिस्तान) में शाम हो रही है और लोग धीरे धीरे घरों को जा रहे हैं।

*द्राक्ष - काले अंगूर
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#जयमालव (ऐतिहासिक महाकाव्य)
©®#मिहिर

#kavyotsav

कविताओं की उच्चभूमियाँ

कविताओं की उच्चभूमियाँ -
मेरे शिखरों के अनजाने देस,
वहाँ की उभरन, सिकुड़न।
कुदरत का विस्तार पार वह
नील अचल नग दिखे जहाँ तक।


कई दिवस के बाद आज फिर
हवा बाट की धुली, नहाई
दिशा दिशा में फैली सुघरन
चलती हल्की पुरवाई।
यही ताज़गी मौसम की
वह धुली हुई तस्वीर सामने
एक एक रंगीन नज़ारा
जैसे लगता हृदय थामने।

मेरे सहचर - नील, पयोधर
फूल, पत्तियाँ, और सुधाधर
सब कुछ इतने पास हृदय के
जैसे हो तस्वीर तुम्हारी।