KAVYOTSAV Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

KAVYOTSAV Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful KAVYOTSAV quote can lift spirits and rekindle determination. KAVYOTSAV Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

KAVYOTSAV bites

कविता

अभिसार
अर्पण कुमार

हे मेरी रात की रानी!
अपने दो गुलाबों के बीच
आज मुझे सजा लो
क्या जाने
सदियों से उचटी हुई
मेरी नींद को
इस सुगन्धित घाटी में
कुछ सुकून मिल जाए

आज अभिसार की रात है
आओ
तुम्हारे रोमरहित
चरण-युग्म के टखनों पर
मौलसिरी के पुष्पों की
पायल बाँध दूँ
तुम्हारी कटि के
चारों ओर बंधे
हल्के, इकहरे धागे से
आज जी भर खेलूँ
जिसे तुमने किसी
मेखला की जगह
बाँध रखा है
तुम्हारी तिरछी,
रसभरी आँखों ने
एक निगाह उसकी ओर की
और मैंने समझ लिया
तुम्हारा इशारा

मैं धागे की
हल्की लगी गाँठ खोल देता हूँ
एक अनजाने नशे में
तुम्हारी आँखें बंद हो जाती हैं
और तुम्हारे होठों का पट
हल्का खुल जाता है
तुम स्वर्ग से उतरी
किसी नदी के तट पर पड़ी
कोई सुनहरी मछली सरीखी
जान पड़ती हो

मैं अपनी उँगलियों के स्पर्श से
काँपती तुम्हारी नाभि को
चूमता हूँ
जो इस वक्त एक
कँपायमान झील बनी हुई है
एक ऐसी झील
जो मेरे स्पर्श और
तुम्हारी कमनीयता से बनी है
जिसमें आज की रात
हम दोनों साथ डूबेंगे
कई कई बार
और जब एक दूसरे को
तृप्त कर श्लथ बाहर निकलेंगे
यह झील हम दोनों की सुगंध से
महक उठेगी
झील के ऊपर का आकाश
मधुपटल बन जाएगा।

आज अभिसार की रात है
लेटे रहेंगे हम देर तक
एक दूसरे के पार्श्व में
एक दूसरे की आँखों में पढ़ेंगे
मचलते अरमानों को फिर-फिर

आज की रात
अँधेरे में गूँथे जाएँगे
दो शरीर
धरती की परात में
जहाँ कुम्हार ही माटी है
और माटी ही कुम्हार
जिसमें प्रेम की तरलता से
पानी का काम लिया जाएगा

इससे निर्मित होगी
एक नई दुनिया
जहाँ नफ़रत और हिंसा की
कोई जगह नहीं होगी
जहाँ किसी मधूक से
कोई प्रेमी युगल
लटकाया नहीं जाएगा
जहाँ कोयल की कूक पर
नहीं होगा
कोई प्रतिबंध
और जब पृथ्वी
सचमुच मधुजा कहलाएगी

हे मेरी माधवी!
अपनी मरमरी बाँहों में
समेट लो मुझे
और अपने लावण्य से
भर दो मिठास
मेरे अस्तित्व में।
.......
#KAVYOTSAV -2

#Kavyotsav

रूत है गुलाबी अलसाया तन
लगे परिंदों का डेरा
चीं चीं चूँ चूँ फुदके कूदे
कोई न इनको टोके....

ठंडी हवाएँ जब जब छेड़े
तन मन सिहरा जाये
धुँआ धुँआ सा लगे गगन भी
मीठी धूप को रोके....

मौसम रंग बहारों का
फूलों के शोख अदाओं का
नरम नरम संदीली महक
उड़े दिल पतंग सा होके....!!

#KAVYOTSAV -2

बचपन
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बचपन शहद की मीठी-सी मुस्कान।
बचपन मस्ती की खिलखिलाती-सी उड़ान।।

बचपन खूबसूरत घर की परिभाषा। बचपन नए-नए आविष्कारों की अभिलाषा।।

बचपन भीनी-भीनी सुगंध की बयार।
बचपन हरियाली पन्नों पर यादों की फुहार।।

बचपन मतलब मिट्टी को सानकर लड्डू  बनाएं। 
बचपन मतलब कंचों को जेबों में भरकर सो जाएं।।

बचपन मतलब पेड़ पर चढ़कर चिल्लाए।
बचपन मतलब पतंगों को बस्ते में छुपाकर लाए।।

बचपन मतलब तुतलाते बोलो की पट-पट। 
बचपन मतलब खनकती किलकारियों की खटपट।।

नेहा शर्मा।

कविता

सजनी या कि कल्पना
अर्पण कुमार

जो मेरी कालिमा को
किसी ख़य्याम सा पीती है
वह कल्पना है
जो मेरी वासना को
अनुष्ठान मान
अपने तईं
भरपूर निभाती है,
वह कल्पना है

आकाश बेपर्दा है
चतुर्दिक
और धरती ने
लाज छोड़ रखी है
जो इस मनोहरता को
मेरी दृष्टि में भरती है,
वह कल्पना है
मेरे रचे को किसी
कादंबरी सा
जो गुनगुनाती है,
वह कल्पना है

रख अपने मान को
परे
जो मुझे मानती है,
वह कल्पना है
जिसका ताउम्र ऋणी रहूँगा,
उस विराट ह्रदया को
पहुँचे मेरा सलाम
जो मेरे एकान्त को
किसी कलावंत सा दुलारती है,
वह कल्पना है

कँपकँपाते कँवल
को जो झट अपना
शीतल गोद सौंपती है
अपराध कैसा भी हो,
जिसकी कचहरी मुझे
रिहा कर देती है
जिसकी कटि से
लग
मेरे सपने कल्पनातीत
उड़ान भरने लगते हैं
ख़ुद काजल लगा
जो
मुझे
बुरी नज़रों से बचाती है,
वह कल्पना है

हर सच में
कुछ कल्पना है,
हर कल्पना का
अपना भी कुछ सच है
कुछ लिखे गए
और प्रेषित हुए,
जो अनलिखा रहा,
वह भी तो ख़त है

उससे मुझे मिलना न था,
उसे मेरे पास आना न था,
जानते थे हम इसे
जिसे मैंने फिर भी दुलारा
और जो मुझको
ख़ूब है सही,
हासिल यही वो वक़्त है

उसे बस घटित होना है,
सच में हो या झूठ में,
गली में हो
या हो बीच अँगना
प्यार तो बस हो जाता है,
खुली आँखों से हो या
देखें हम कोई सपना

पक्षी कलरव करते हैं,
पेड़ों के पत्ते सरसराते हैं
और संध्या गीत कोई गाता है
तुम चुपके से
मेरे पास चली आती हो,
सजनी हो या हो कि कल्पना।
.................
#KAVYOTSAV -2