'नाम जप साधना' की संपूर्ण जानकारी। 👇🏻
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Description: प्रत्येक युग की साधना निश्चित है।
जैसे :
सत्ययुग के लिए – ज्ञानयोग
त्रेतायुग के लिए – ध्यानयोग,
द्वापरयुग के लिए – यज्ञ, कर्मकांड, (पूजा-अर्चना)
कलियुग के लिए – नामजप
कलियुग में भगवान की प्राप्ति का सबसे सरल किंतु प्रबल साधन नामजप ही बताया गया है। श्रीमद्भागवत का कथन है : यद्यपि कलियुग दोषों का भंडार है तथापि इसमें एक बहुत बडा सद्गुण यह है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग पहले के इन युगों में भगवान के ध्यान द्वारा, यज्ञ-अनुष्ठान के द्वारा तथा पूजा-अर्चना से जो फल मिलता था, वह पुण्यफल कलियुग में केवल श्रीहरि के नाम-संकीर्तन से ही प्राप्त हो जाता है।
कृष्णयजुर्वेदीय कलिसंतरणोपनिषद मेें लिखा है कि द्वापरयुग के अंत में जब देवर्षि नारद ने ब्रह्माजी से कलियुग में कलि के प्रभाव से मुक्त होने का उपाय पूछा, तब सृष्टिकर्ता ने कहा : आदिपुरुष भगवान नारायण के नामोच्चारण से मनुष्य कलियुग के दोषों को नष्ट कर सकता है।
भगवान चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि कलियुग में केवल हरिनाम ही हमारा उद्धार कर सकता है। यही बात नानक देवजी ने भी कही है, ‘नानक दुखिया सब संसार, ओही सुखिया जो नामाधार।’ रामचरितमानस में भी यही लिखा है,
‘कलियुग केवल नाम आधारा।
सुमिरि-सुमिरि नर उतरहीं पारा ॥’