चंद्रवंशी

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पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित पांडुआ गाँव के जंगल में स्थित चंद्रताला मंदिर में वर्षों पहले राउभान नाम के चंद्रवंशी सामंत ने प्राप्त खजाने को प्रजा के हित में उपयोग किया जाए और जब तक उसकी आवश्यकता न हो, तब तक किसी अन्य राजा के हाथ न लगे, इस हेतु मंदिर में छिपाया। जिसकी रचना उस समय के गिने-चुने महान शिल्पकारों ने की थी। उन्होंने एक रहस्यमयी गुफा बनाकर उस खजाने को वहीं छिपा दिया। उस गुफा को पाने के केवल दो ही रास्ते थे – पहला, सामंत राउभान का खून या उसके वंश का खून मिलने पर ही उस गुफा के अंदर जाने का रास्ता प्राप्त किया जा सकता था।

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चंद्रवंशी - परिचय

अर्पणमेरे माता-पिता को।.........प्रिय पाठकों को।आभारकहानी लिखने में मदद करने वाले, कहानी की भाषा को शुद्ध करने वाले मित्रों का हमेशा आभारी रहूँगा।मेरी अर्धांगिनी का आभार, जिन्होंने मुझे लेखन की ओर अधिक ध्यान देने में मदद की।मेरे माता-पिता का आभार, जिन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति के आशीर्वाद दिए।मेरी बहनों का आभार, जिन्होंने हर कार्य में मुझे प्रोत्साहित किया।कॉपीराइटइस पुस्तक या इसके किसी भी अंश को किसी भी प्रकार से, किसी भी माध्यम में सार्वजनिक या निजी प्रसार/व्यावसायिक तथा गैर-व्यावसायिक उद्देश्य के लिए प्रिंट/इंटरनेट (डिजिटल)/ऑडियो-विजुअल स्वरूप में लेखक-प्रकाशक की लिखित अनुमति के बिना उपयोग में लेना गैरकानूनी है।© युवराजसिंह ...Read More

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चंद्रवंशी - अध्याय 1

(सूर्यास्त का समय है, सूरज पूर्व से पश्चिम की यात्रा पूरी कर चुका है। अपनी इस यात्रा में उसने कहानियों की शुरुआत होते देखी होगी और कई कथाओं का अंत भी उसने देखा होगा। वह हर एक पल में रोया भी होगा और हर क्षण में हँसा भी होगा। यह उसका रोज़ का काम था। परंतु आज वही सूरज निराश होकर ढल गया था और चाँद को भी आने से मना कर दिया था। कौन जाने, शायद आज उसे किसी कहानी का अंत पसंद नहीं आया हो या राम जाने, उसने चाँद को भी साफ़ मना कर दिया था।)रात ...Read More

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चंद्रवंशी - 1 - अंक – 1.1

दूसरे दिन सुबह साढ़े छह बजे घड़ी का अलार्म बजा – "टीटी-टीट… टीटी-टीट… टीटी-टीट..." लगभग एक मिनट तक बजता जिससे जीद जाग गई। उसने माहि को भी उठा दिया। माहि अपनी आंखें मसलती हुई अपना चश्मा ढूंढ रही थी। उसका चश्मा सोफे के पीछे गिर गया था। माहि चश्मा लेकर पहनती ही है कि सामने की दीवार पर अपने अंकल की तस्वीरों को देखती है। उसने देखा कि अंकल जॉर्ज के बचपन की तस्वीर और अभी के स्वरूप में जमीन-आसमान का फर्क था। माहि के पापा हमेशा अपने भाई यानी अंकल की तारीफ किया करते थे। ये वही अंकल ...Read More

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चंद्रवंशी - 1 - अंक - 1.2

माही ने अपने मन में उठे पहले सवाल को पूछा: “तुम्हारी मम्मी ने अचानक ही तुम्हें कोलकाता आने की क्यों दे दी? मैंने और मेरे मम्मी-पापा ने तुम्हें वहाँ जॉब मिली, तब उन्हें मनाने के लिए कितनी रिक्वेस्ट की थी, लेकिन तब तो तुम्हारी मम्मी टस से मस नहीं हुई थीं और अब ऐसे अचानक ही तुम्हें कोलकाता जाने को कह दिया?”तब जीद हिचकिचाते हुए कहती है: “वो तो... क... क... शायद उन्हें तुम्हारे मम्मी-पापा की बात असर कर गई होगी!”“हाँ! जैसे पहले असर नहीं करती थी, है न?” हँसते हुए माही बोली।“चलो जाने दो वो बात, लेकिन कल ...Read More