मेरे इश्क़ में शामिल रूहानियत
एपिसोड 3 : "रूहों का रिश्ता या इत्तफ़ाक़?"
ऑफिस का कमरा अभी भी सन्नाटे से भरा था।
आर्यन के सामने बैठी अनाया ने धीरे-धीरे अपनी साँसें संभालीं। उसके हाथ काँप रहे थे, पर उसने खुद को मज़बूत दिखाने की कोशिश की।
“अनाया मेहरा…”
आर्यन ने नाम दोहराया। उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उस धीमेपन में कुछ ऐसा था जिसने अनाया के दिल की धड़कन और तेज़ कर दी।
कॉलेज में रूहानी और विवान की मुलाक़ात फिर हुई।
रूहानी अपनी फ्रेंड्स के साथ हँसते हुए बातें कर रही थी, जब विवान वहाँ आया और सीधा उसके पास बैठ गया।
“क्या कर रहे हो यहाँ?”
रूहानी ने भौंहें चढ़ाकर कहा।
विवान मुस्कुराया —
“बस, देख रहा हूँ कि मिस पार्टी क्वीन की हँसी कितनी नकली है।”
“क्या मतलब?”
रूहानी चौंकी।
विवान ने धीमी आवाज़ में कहा —
“मतलब ये कि तुम बाहर से जितनी खुश दिखती हो, उतनी हो नहीं। तुम्हारी आँखों में खालीपन है।”
रूहानी एक पल को चुप हो गई।
पहली बार किसी ने उसकी हँसी के पीछे का सच पढ़ लिया था।
वह उठकर चली गई, लेकिन उसके कदमों में झिझक थी।
“ये लड़का… मुझे इतना क्यों परेशान करता है? और क्यों लगता है कि वो मुझे सच में जानता है?”
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आर्यन और अनाया की दूसरी बातचीत
ऑफिस में अनाया उठकर जाने लगी।
“ठीक है सर, मैं चलती हूँ।”
लेकिन जैसे ही वह दरवाज़े तक पहुँची, आर्यन की आवाज़ गूँजी —
“रुको।”
अनाया ठिठक गई।
आर्यन कुछ पल चुप रहा, फिर बोला —
“क्या तुम अपने पापा के काम के बारे में जानती हो?”
अनाया ने चौंककर उसकी तरफ देखा —
“जी… नहीं। पापा कभी ऑफिस की बातें घर पर नहीं करते।”
आर्यन ने गहरी साँस ली।
“अच्छा है… शायद तुम्हें अभी जानना भी नहीं चाहिए।”
अनाया हैरान रह गई।
“ये कैसा सवाल था? और आर्यन सर की आँखों में इतनी बेचैनी क्यों थी?”
वह कुछ बोले बिना चली गई, लेकिन उसके दिल में हजारों सवाल थे।
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घर पर तूफ़ान
शाम को जब प्रमोद मेहरा घर लौटे, उनका चेहरा उतरा हुआ था।
सुजाता ने चिंतित होकर पूछा —
“क्या हुआ? ऐसे क्यों लग रहे हो?”
प्रमोद ने गहरी आवाज़ में कहा —
“ऑफिस में हालात ठीक नहीं हैं। राजवंश कॉर्पोरेशन के अंदर कुछ ऐसा चल रहा है, जो बाहर आने पर बहुत बड़ी मुसीबत बन सकता है।”
अनाया यह सुन रही थी। उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था।
“पापा… क्या यह आर्यन सर से जुड़ा है?”
उसने हिम्मत करके पूछ लिया।
प्रमोद ने अनाया को घूरकर देखा और बोले —
“तुम्हें इन सब चीज़ों से दूर रहना चाहिए। ये दुनिया बहुत खतरनाक है।”
लेकिन अनाया ने महसूस किया कि उसके पापा किसी बड़ी सच्चाई को छुपा रहे हैं।
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आर्यन की रात
उसी रात, आर्यन अपने पेंटहाउस में अकेला बैठा था।
सामने शराब का गिलास था, लेकिन उसका मन कहीं और था।
वह खिड़की से बाहर मुंबई की जगमगाती रोशनी देख रहा था।
लेकिन उसके दिमाग़ में सिर्फ़ एक चेहरा घूम रहा था — अनाया का।
“क्यों… क्यों ये लड़की मुझे बार-बार याद आ रही है? क्या ये सिर्फ़ आकर्षण है, या कुछ और?”
वह अपनी आँखें बंद करता है…
और उसे अचानक एक सपना सा दिखाई देता है —
एक मंदिर… बारिश से भीगी सीढ़ियाँ… और वही चेहरा, जो उसके सामने खड़ा है।
आर्यन हड़बड़ाकर उठ बैठा।
“ये सपना… या याद?”
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काव्या और अनजाना खतरा
दूसरी ओर, काव्या देर रात अपनी डायरी लिख रही थी, जब उसे खिड़की के पास कुछ आहट सुनाई दी।
उसने डरकर बाहर झाँका —
सामने एक काली परछाईं थी, जो झट से ओझल हो गई।
काव्या का दिल जोर से धड़कने लगा।
उसने तुरंत खिड़की बंद कर दी।
“ये कौन था…? और क्यों लगता है कि कोई हमें देख रहा है?”
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अगली सुबह, प्रमोद मेहरा ऑफिस जाने के लिए निकले।
लेकिन दरवाज़े के बाहर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा था।
उसमें सिर्फ़ एक लाइन लिखी थी —
“सच छुपाओगे तो तुम्हारे अपनों को खो दोगे।”
प्रमोद के हाथ काँप उठे।
उनकी आँखों में डर और चिंता साफ़ झलक रही थी।
उसी वक्त, अनाया पीछे से आ गई और बोली —
“पापा… ये चिट्ठी किसकी है?”
प्रमोद घबरा गए और लिफ़ाफ़ा जल्दी से छुपा लिया।
“कुछ नहीं… बस ऑफिस का काम है।”
लेकिन अनाया समझ चुकी थी कि उसके पापा किसी बड़े रहस्य में फँस चुके हैं।
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अनाया खिड़की से बाहर देख रही थी।
आर्यन की आँखें, पापा का डर और वह रहस्यमयी लिफ़ाफ़ा… सब उसकी सोच को उलझा रहे थे।
दूसरी तरफ़, आर्यन अपने सपनों में वही चेहरा देख रहा था।
उसका दिल कह रहा था —
“ये रिश्ता नया नहीं है… ये सदियों पुराना है।”
ऑफिस के उस मुलाक़ात के बाद से अनाया और आर्यन दोनों ही बेचैन थे।
आर्यन का दिमाग़ काम में लग ही नहीं रहा था। वो बार-बार वही सवाल खुद से पूछ रहा था —
“कौन है ये लड़की? क्यों इसके सामने आते ही मुझे ऐसा लगता है जैसे… जैसे कोई अधूरी कहानी फिर से शुरू हो रही हो?”
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आर्यन की बेचैनी
उस रात, पेंटहाउस में बैठा आर्यन अपने पुराने अल्बम और फाइल्स टटोलने लगा।
सालों से बंद रखे डिब्बे में उसे कुछ पुराने कागज़ मिले। उनमें से एक तस्वीर… धुंधली सी।
तस्वीर में बारिश हो रही थी, मंदिर की सीढ़ियों पर एक लड़की खड़ी थी। चेहरा साफ़ नहीं था, लेकिन आँखें…
वो आँखें हूबहू अनाया जैसी थीं।
आर्यन ने गहरी साँस ली।
“ये कैसे हो सकता है? मैं तो इस लड़की से पहली बार मिला हूँ… फिर भी…”
उसके हाथ काँप रहे थे। उसने शराब का गिलास उठाया, लेकिन पिया नहीं।
उसकी आँखें बस उसी तस्वीर पर टिक गईं।
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अनाया की उलझन
दूसरी ओर, अनाया अपने कमरे में बेचैन थी।
डायरी खोलकर उसने लिखा —
"आज पहली बार किसी की आँखों ने मुझे इतना असहज किया।
आर्यन सर की नज़रों में एक सवाल है, और उस सवाल का जवाब शायद मेरे पास भी नहीं है।
पर दिल कह रहा है… ये कोई इत्तफ़ाक़ नहीं।"
अनाया ने डायरी बंद की और खिड़की से बाहर देखा।
मुंबई की चमकती रोशनी के बीच उसका दिल अजीब-सा खालीपन महसूस कर रहा था।
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काव्या का डर
मेहरा हाउस की दूसरी मंज़िल पर काव्या नींद में थी।
अचानक खिड़की से आती हवा में उसकी नींद टूटी। उसने देखा — खिड़की आधी खुली हुई थी।
जाते ही उसने काँच बंद करना चाहा, तभी उसे एहसास हुआ…
खिड़की के बाहर कोई परछाई खड़ी थी।
उसका दिल जोर से धड़कने लगा।
वो चिल्लाने ही वाली थी कि अचानक वो परछाई गायब हो गई।
काव्या डरते-डरते नीचे आई और माँ (सुजाता) को जगाया।
“माँ… कोई हमें देख रहा है।”
सुजाता ने कहा —
“पगली, तेरी कल्पना होगी। चल सो जा।”
लेकिन काव्या जानती थी कि ये उसकी कल्पना नहीं थी।
किसी की नज़रें सच में उसका पीछा कर रही थीं।
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रूहानी और विवान – नई तकरार
कॉलेज में अगली सुबह रूहानी क्लास में बैठी थी।
विवान फिर उसी बेंच पर आकर बैठ गया।
“तुम्हें समझ नहीं आता क्या? मेरे पास मत बैठा करो।”
रूहानी ने चिढ़कर कहा।
विवान मुस्कुराया —
“और अगर मैं यहीं बैठना चाहूँ तो?”
“तो मैं दूसरी सीट ले लूँगी।”
रूहानी ने झुंझलाते हुए कहा।
विवान झुककर बोला —
“भाग सकती हो मुझसे, लेकिन अपने सच से नहीं।”
रूहानी सन्न रह गई।
“ये लड़का मेरे बारे में इतना कैसे जानता है? मेरे भीतर का खालीपन, मेरी उदासी… सब देख लेता है।”
वो चुपचाप उठकर चली गई।
लेकिन विवान की आँखें उसके पीछे लगी रहीं, जैसे वो कोई अनकहा राज़ जानता हो।
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प्रमोद का डर
घर पर प्रमोद मेहरा वो लिफ़ाफ़ा बार-बार पढ़ रहे थे —
“सच छुपाओगे तो अपनों को खो दोगे।”
उनके माथे पर पसीना था।
“किसे पता चल गया? और क्यों मुझे लगता है कि अब सब कुछ हाथ से निकलने वाला है?”
सुजाता ने पास आकर पूछा —
“आप इतने परेशान क्यों हैं?”
प्रमोद ने झूठ बोल दिया —
“कुछ नहीं… बस ऑफिस का काम है।”
लेकिन उनकी आँखों में जो डर था, वो छुपाए नहीं छुप रहा था।
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अनाया और आर्यन – अजीब खिंचाव
अगले दिन ऑफिस में आर्यन और अनाया की फिर मुलाक़ात हुई।
मीटिंग के बहाने दोनों एक कमरे में आमने-सामने बैठे थे।
आर्यन ने अनाया से एक फाइल ली।
उनके हाथ हल्के से एक-दूसरे से छू गए।
अनाया का दिल जोर से धड़का।
वो जल्दी से पीछे हट गई, लेकिन आर्यन के चेहरे पर अजीब-सी कशिश थी।
वो अचानक बोला —
“क्या तुमने कभी किसी को पहली बार देखकर महसूस किया है… कि तुम उसे सदियों से जानती हो?”
अनाया चौंकी।
“क्या मतलब… सर?”
आर्यन ने निगाहें झुका लीं।
“कुछ नहीं… बस एक सवाल था।”
लेकिन उस सवाल का असर अनाया की रूह तक उतर गया।
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काव्या और रहस्यमयी परछाई
रात को काव्या फिर डायरी लिख रही थी।
उसने लिखा —
"कोई है जो हमें देख रहा है। पर कौन? और क्यों? क्या ये सब हमारे अतीत से जुड़ा है?"
अचानक उसकी खिड़की के शीशे पर किसी ने दस्तक दी।
काव्या चीख पड़ी।
दौड़कर खिड़की खोली तो बाहर सिर्फ़ अँधेरा था।
लेकिन ज़मीन पर एक पुरानी तस्वीर पड़ी थी।
तस्वीर में तीन लोग थे —
एक आदमी, एक औरत… और एक छोटी बच्ची।
काव्या ने गौर से देखा।
तस्वीर की उस बच्ची का चेहरा… बिल्कुल उसकी तरह था।
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सुबह होते ही अनाया ऑफिस पहुँची।
आर्यन वहाँ पहले से मौजूद था।
आर्यन ने धीरे से कहा —
“अनाया, मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ… लेकिन शायद तुम डरो।”
“क्या?”
अनाया ने हैरान होकर पूछा।
आर्यन ने गहरी साँस ली —
“क्या तुम्हें कभी ऐसा लगता है कि तुम्हारा और मेरा रिश्ता सिर्फ़ इस जन्म का नहीं है?”
अनाया सन्न रह गई।
उसके पास कोई जवाब नहीं था…
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हुक लाइन
अनाया की आँखें आर्यन की आँखों में अटक गईं।
दोनों के दिलों में एक ही सवाल गूँज रहा था —
“ये खिंचाव इत्तफ़ाक़ है… या सदियों पुराना रूहों का रिश्ता?”