उसके प्यार का अमत पी लिया,
#अब_तू_कुछ_भी_कर_ले_खुदा ;
#मैं_मर_नहीं_सकती
जो ज़िन्दगी तूने दी थी ,
वो तो , मैं कब की उस पर वार चुकी ,
अब जो जी रही हूँ , उसकी इनायत है ,
ये बात मैं उसे भी कब की बता चुकी ,
इससे मैं मुकर नहीं सकती ।
#अब_तू_कुछ_भी_कर_ले_खुदा ;
#मैं_मर_नहीं_सकती
इक उम्र जी गयी अकेले जाने कैसे ?
बस इक साँस थी जो आती - जाती थी ,
और अब तुम हो , जो मेरे पास हो ,
वर्ना तन्हाई , तन्हाई में साथ निभाती थी,
जिसका मैं ज़िक्र कर नहीं सकती,
#अब_तू_कुछ_भी_कर_ले_खुदा ;
#मैं_मर_नहीं_सकती

#अमृता

English Poem by RaJVeeR : 111292891

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