ग़ज़ल
जहां कुछ लोग हर पल बिष वमन की बात करते हैं ।
वहीं हम जैसे पागल हैं, अमन की बात करते हैं।।
वो अपना फायदा करने लगाते आग मजहब की।
तो हम नुकसान सह कर भी समन की बात करते हैं।।
सियासत में तुम्हे रहती है अपने वोट की चिंता।
मगर हम वो दिवाने हैं, वतन की बात करते हैं।।
न जाने क्या हुआ तुमको हमेशा दूर रहते हो।
तुम्हें हम चाहते हैं और मिलन की बात करते हैं।।
मिटा कर दूरियां सारी, चलो गुलशन सजाते हैं।
सभी रंगों से महका जो चमन की बात करते हैं।।
चलो रावत लड़ाई छोड़ दें , हम आज धरती की।
खुशी देता है जो सबको, गगन की बात करते हैं।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
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