#સામાન
वक्त भी गुज़र रहा है,
कुछ बहेती हुईं नदी की भांति,
ओर हमारी जिंदगी भी ऐसी ही चल रही है,
सारे सामान के बोझ के अहेसास के साथ।
जिंदगी अपने आप ही बह रही है,
हम जिंदगी के सामान लेके जा रहे है,
अपने कर्मों के साथ।
कुछ न लेके आए,
कुछ न लेके वापस जाएँगे,
फिर भी न जाने हमारे साथ,
कर्म रूपी नैया के सामान,
अपने साथ बाँध के साथ लेके जाना पडेंगा,
ओर कुछ नही।