हवा का इशारा कुछ समझ में ना आया,
क्या खोया था उसने नज़र में ना आया।
पुरानी शराब में ज़रूर कुछ अलग-सा हैं,
सुना था जो वो मेरे ज़हन में ना आया।
हर बात पर नया मशवरा उनका होता हैं,
वो कुछ कहते रह गये वापिस ना आया।
दिखाकर हसीन ख़्वाब उसने रातें चुराली,
सब डूब गया फिर कुछ किनारे ना आया।
आइना बदल कर सब नया कर लिया हैं,
वो सूरत परेशां फिर सफ़र में ना आया।
Vinay Tiwari 
From “धूल से धूप तक”