मैं बस इसमें जीना चाहती हूं।
में नहीं सुन सकती जब कोई कहे
तुम लिखना छोड़ दो।
मैं कैसे बताऊं इन लोगों को,
मैं लिखकर तो जीती हूं।
मैं इनमें तो रहती हूं।
मैं क्या उम्मीद लगाऊ लोगो से,
मुजे लिखकर तो खुशियां मिलती है।
मैं कैसे समझाऊं,
मैं कैसे बताऊं
में जीते जी मरना नहीं चाहती,
में बस इनमें जीना चाहती हूं।
मैं जीत ना पाऊं तो कोई बात नहीं,
लेकिन मुझे हारना नहीं है।
मैं कुछ ना बन पाऊं,
तो कोई बात नहीं।
अपने सपनों के लिए,
लड़ ना पाऊं।
उतनी भी मैं कमजोर नहीं।
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Written by @heenatales
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