एक सवाल....
इस भीड़ भरी जिंदगी में हमारे शांत मन में अशांत करने वाला अगर कोई चीज है तो वह है हमारे सवाल , अब यह कौन सा सवाल है? और क्या सवाल है? यह समय, स्थिति और परिस्थिति पर निर्भर करता है, कई सवाल है और सवालों के भी सवाल है लेकिन यह उस कांटे की तरह है, जो गले में अटक सा गया है और जिसे हम ना निकल पा रहे हैं और ना ही पुगल पा रहे हैं, सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इन सवालों को लेकर हम किसके पास जाए? क्योंकि सभी तो हमारी तरह ही बिना पते के मुसाफिर की तरह यहां-वहां भटक रहे हैं, और वक्त ऐसे ही धीरे-धीरे हाथ में फंसी रेत की तरह फिसल रहा है ,और 1 दिन ऐसा आता है कि पूरी रेत फिसल जाने के बाद हमें पता चलता है, और हम सोचते हैं की काश इन सवालों के जवाब हम खुद से मांग लेते . एक बार की बात है एक गांव में बहुत ही पहुंचे हुए महात्मा आते हैं किंतु वह गांव के बाहर एक कुटिया बनाकर रहने लगते हैं, काफी महीनों गुजर जाते हैं लेकिन वह महात्मा उस कुटिया से निकलते ही नहीं इस पर सभी गांव वाले एक योजना बनाते हैं, जिसमें 1 दिन सभी वहां जाकर उनसे बात करेंगे वह दिन आ जाता है सभी गांव वाले उनकी कुटिया के बाहर इकट्ठे हो जाते हैं फिर सबसे पहले गांव के मुखिया उस महात्मा को आवाज लगाते हैं :- महात्मा जी प्रणाम हम आपसे मिलने आए हैं ! अंदर से आवाज आती है कौन? इस पर मुखिया जी बोलते हैं महाराज मैं इस गांव का मुखिया बलराम! उसके बाद अंदर से कुछ आवाज नहीं आती फिर दूसरा आदमी आवाज लगाता है महात्मा जी हम आपसे मिलने आए हैं! अंदर से फिर वही आवाज आती है कौन? उस व्यक्ति ने अपना नाम बताया कुटिया में फिर वही शांति ऐसा करते हुए पूरा गांव एक-एक कर अपना नाम बताता जाता है और महात्मा जी की कुटिया से बस वही आवाज कौन और नाम सुनने के बाद वही शांति अंत में गांव का ही एक सीधा-साधा और आध्यात्मिक युवक महात्मा के कुटिया के पास आकर वैसे ही आवाज लगाता है महात्मा जी प्रणाम! फिर अंदर से आवाज आती है कौन? इस बार युवक कहता है मैं तो खुद ही नहीं जानता महात्मा जी मैं कौन हूं आप ही बता दें! जैसे ही महात्मा ने यह आवाज सुनी तुरंत कुटिया से बाहर आएं और आकर उस युवक को गले लगाया और गले लगाते ही कहा आओ भाई अंदर हम दोनों मिलकर पता करते हैं कि हम कौन हैं. अर्थात कहानी का तात्पर्य है कि हम दुनिया के तमाम बुराइयों और आडंबर से ओतप्रोत होकर यहां वहां भटकते रहते हैं और हम भूल जाते हैं कि हम एक इंसान हैं और हममें इंसानियत नाम की भी कोई चीज होती है तो सबसे पहले हमें अपने आप को पहचानना होगा तभी जाकर हमें सभी सवालों के जवाब अपने अंदर ही मिल जाएंगे.