लगी है तिश्नगी,जाने कैसी ये मन को।
बिन तुम्हारे ही तुमको, जीये जा रहे।।
विष जो भी मिला,जिंदगी से हमें।
याद कर-करके तुमको,पीये जा रहे।।
लड़खड़ाते हुए गिर जाऊं, गर कभी।
भूलकर जो रहे, गिले-शिकवे सभी।।
लगा सीने से तनको,सुला देना तुम।
ये इक कसम जाते-जाते,दिये जा रहे।।
क्रमशः....✍️
#गज़ल_जिंदगी_की
#गजलनामा
#योरकोटकविता
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111771871

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now