गफलत में जी रहे थे,
एहतियातन! रुबरु जिंदगी से,कराया तुमने।
तल्ख़ लहजे में बातें अपनी, थे भुनाते सभी,......
लफ्ज़ कानों में ऐसे रुके ना कभी......
अहसास की मिठास से, भरी पड़ी है बस्तियाँ.....
है प्रारुप ऐसा भी मुहब्बत का, ये दिखाया तुमने।।
#दर्पणकासच
#प्रेमरंग
#जो_तुमसे_हैं
#प्रेमजोग
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111822102

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