एक नन्हीं सी प्यारी सी चिड़िया रानी
उड़कर वो आकर बोली सयानी
तू देखे मुझे इस तरह से
मैं प्यारी बहुत हूँ इसी वजह से
फिर मैंने बोला ओ प्यारी चिड़िया
सुंदर बहुत तू जैसे हो गुड़िया
तू आ पास मेरे मैं तुझको रखूंगा
घर का हो कोई वैसे ही रखूंगा
फिर चिड़िया बोली तुम मुझको रखोगे
ये भी है माना पलकों पर रखोगे
तेरे पिंजरे में आकर खाना मिलेगा
सोने को सोने का घर भी मिलेगा
मैं हूँ सयानी मूरख नहीं पर
तुम हो अज्ञानी मैं हूँ नहीं पर
देखूं नहीं मैं झूठे ये सपने
सच्चा तो सोना भीतर है अपने
उडूँ जब गगन में तब मैं हूँ पाती
उड़ना ही आनंद तब उड़ती ही जाती
मानव नहीं जो बंधन में बंध जाऊँ
सुनहरा ये जीवन ऐसे ही गवाऊं ।
- नन्दलाल सुथार 'राही'

Hindi Poem by नन्दलाल सुथार राही : 111878641

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