**ज़िंदगी का रैप**
चल रे बंदे, तू ज़िंदगी को चूम ले,
सपनों का पीछा कर, हर रास्ता झूम ले।
खुला है आसमां, तू उड़ जा बेकरार,
दिल में जो आग है, वो बन जा तू शोले का दरिया।
हर कदम पे लिख दे, अपनी कहानी नई,
ना डर, ना झुक, बस जी ले तू भाई।
राहें चाहे कांटों भरी, या फूलों की सैर,
तू बन जा वो सूरमा, जो बनाए नया खेल।
सपने वो नहीं, जो सोते वक़्त आएँ,
सपने वो जो तुझे, रातों को जगाएँ।
दिल में जो ख्वाब, उसे सच कर दिखा,
हर मुश्किल को तू, बस हंस के हरा।
गलियों से निकल, तू मंज़िल को ढूंढ,
हर धड़कन में बस्ता, तेरा जुनून जूं।
ना सुन दुनिया की, जो तुझे रोके,
तू वो चिंगारी, जो आंधी में भी धोके।
ज़िंदगी का रैप, तू गा ले बिंदास,
हर पल को बना दे, एक नया विश्वास।
चल, उड़, जी ले, तू अपने रंग में,
सपनों का पीछा कर, बन जा तू सिकंदर।
कभी धूप तपे, कभी बारिश बरसे,
हर मौसम में तू, अपने रास्ते तरसे।
खुद की तलाश में, तू खोज नया जहां,
हर कदम पे बस्ता, तेरा अपना मकाम।
दोस्तों का जोश, जो दे साथ हरदम,
मुश्किलों में बन जाए, वो तेरा संबल।
पर सुन, बंदे, तू खुद का भी सुन ले,
तेरे अंदर बस्ता, वो जो तुझको चुन ले।
ज़िंदगी का रैप, तू गा ले बिंदास,
हर पल को बना दे, एक नया विश्वास।
चल, उड़, जी ले, तू अपने रंग में,
सपनों का पीछा कर, बन जा तू सिकंदर।
यो, सुन ले बंदे, तू रुकना नहीं,
दुनिया की बातों में, तू झुकना नहीं।
हर आंधी में तू, बन जा वो तूफान,
जो उड़ा दे सारे, डर के परेशान।
खुद की बीट बना, तू रैप कर ज़िंदगी,
हर लम्हे को बना दे, एक अनघट कविता की।
स्वैग है तुझमें, तू बिंदास जी ले,
हर पल को तू, अपने हिसाब से जी ले।
कभी हार मिले, कभी जीत का ज़ायका,
हर अनुभव में छुपा, ज़िंदगी का लायका।
ना रास्ता आसान, ना मंज़िल दूर,
बस दिल में रख, वो जुनून का नूर।
मिट्टी से बना, पर तू है अनमोल,
तेरे सपनों का, हर रंग है अनघट रोल।
चल, उठ, और अपने मन को जगा,
हर ख्वाब को पूरा कर बिंदास।
लेखक
सुहेल अंसारी (सनम)
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