“चुप्पियाँ, सवाल और अधूरी बातें…”
कभी-कभी नज़दीकियाँ भी जवाब नहीं देतीं।
प्यार की कहानी में जब शब्द कम पड़ जाते हैं, तब चुप्पियाँ बोलने लगती हैं। ‘काठगोदाम की गर्मियाँ’ का यह छठवां अध्याय उन्हीं चुप्पियों की कहानी है—जहाँ रिश्ते समझने की कोशिश करते हैं, पर कह नहीं पाते।
रोहन और कनिका की यह अधूरी-सी बातचीत, उनके दिलों की बेचैनी को खूबसूरती से बयां करती है। जब किसी रिश्ते में सब कुछ कहा नहीं जाता, तब बहुत कुछ महसूस हो जाता है। यह किताब केवल एक कहानी नहीं, एक एहसास है—उन गर्मियों का, जब पहाड़ों की हवा में मोहब्बत और खामोशी दोनों तैरते थे।
📖 अब उपलब्ध है Amazon, Flipkart और NotionPress पर।
Tag करें उस इंसान को जिससे आप कुछ कहना चाहते थे… लेकिन कभी कह नहीं पाए।
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