"जो लफ़्ज़ों में न कहे, वो नज़रों से कह रहा था, एक ताज था सर पर… मगर दिल किसी की बंदगी कर रहा था।”✨🌷
अर्जुन कुछ दूर खड़ा, उसे देख रहा था — उसकी पलकों की लचक, उसकी आँखों में थकावट... और होंठों पर हल्की मुस्कान।
उसने मुस्कुरा दिया — अनजाने में।
सिया ने देखा तो चौंकी।🙄
“आप... हँसे?”🤔
“नहीं!"
अर्जुन झिझका, “आदत नहीं रही।”😑
"तो आदत डाल लीजिए"😙
"हस्ते हुए इंसान लगते है..आप!"😅
"और सुपर हैंडसम भी"... ये बात सिया ने मन ही मन में कही।
और होले से अपनी ही बात पे मुस्कुरा दी।😁
जल्द ही🔥
#अध्याय 4
1 अगस्त
#hukmaurhasrat
#Arsia
~diksha