Hindi Quote in Story by Diksha mis kahani

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महल के प्रांगण में हलचल थी। आज “जयगढ़ रंगोत्सव” था — जिसमें महल के सदस्य रंगोली बनाते थे, मिठाइयाँ तैयार होती थीं और मेहमानों का स्वागत होता था।💕✨





सिया सफेद अनारकली में सीढ़ियों से उतरी तो महल की सादगी में जैसे चाँद उतर आया हो।✨



उसके लंबे, खुले बाल लहरों की तरह बह रहे थे। बड़ी-बड़ी बादामी आँखें — जिनमें चंचलता भी थी और चुनौती भी। उसकी मुस्कान… जैसे किसी बंद बगीचे में अचानक खिला फूल।💕



और जब वो चलती, तो यूँ लगता जैसे हवा उसकी चाल से दिशा बदलती हो।



अर्जुन ने उसे देखते हुए नजरें मोड़ लीं —😑

लेकिन उसके अंदर कुछ चुभा। वो ठंडी आँखों वाला रक्षक, एक पल के लिए... देखना भूल गया कि वो किसे बचा रहा है, और क्यों।



महल के आँगन में रंगोली प्रतियोगिता रखी गई थी।

सिया ज़िद करके खुद भी बैठ गई — रंग बिखेरते हुए।

"आप रंगोली बनाएंगी?”

काव्या ने पूछा।



“हाँ,” सिया ने मुस्कराकर कहा, “मैं रंगों से डरती नहीं। चाहे उनमें ज़हर भी छिपा हो।😏”सिया ने तिरछी निगाहों से अर्जुन को देखा।

#hukmaurhasrat

जल्द ही🔥

Hindi Story by Diksha mis kahani : 111991034
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