घटना का अर्थ — एक संवैधानिक संकेत ✧
एक वकील ने सर्वोच्च न्यायालय में जूता फेंका।
कानून कहेगा — यह अपराध है,
पर विवेक कहेगा — यह संदेश है।
क्योंकि जो व्यक्ति न्याय की दीवारों के भीतर सांस लेता है,
वही अगर अन्याय महसूस करे,
तो यह देश के संविधान की आत्मा के लिए चेतावनी है।
यह घटना केवल एक आवेग नहीं,
बल्कि उस गहरी दरार का प्रतिबिंब है
जहाँ जनता और न्यायपालिका के बीच भरोसा कमज़ोर पड़ गया है।
संसद में कानून फाड़े जाएँ तो उसे राजनीति कहा जाता है,
पर अदालत में सवाल उठे तो अपराध।
यह असमानता लोकतंत्र की आत्मा को घायल करती है।
न्यायपालिका चाहे तो इसे अपराध कहे और दंड दे,
या इसे संकेत समझे और आत्ममंथन करे —
चुनाव उसका है,
पर परिणाम पूरे राष्ट्र का होगा।
क्योंकि जब कानून जनता से दूर हो जाता है,
तब संविधान बचा तो रहता है,
पर जीवित नहीं रहता।