*सागर ने पूछा*
“क्या तू कभी गहराई में उतरा है?”
मैंने देखा,
वो कहीं खो गया
ना टूटा, ना किसी सहारे की तलाश म रहा
जब मैं उसके पास खड़ी हुई,
वो पिघलता रहा,
मेरे दर्द को अपने सीने में समेटता,
मेरे लबों की मुस्कान पर
अपनी चुप्पी से प्यार की हँसी छोड़ जाता।
और हर पल,
हर निगाह में
मुझे अपना बनाने की खामोश इच्छा छुपाता रहा।
_Mohiniwrites