हर साल आता है एक वक़्त,
जब लगता है जैसे जीवन की सारी थकान उतर गई हो |
दिन वही होते हैं, पर वातावरण बदल जाता है...
हवा में एक पवित्रता घुल जाती है,
सूरज की रोशनी में भी एक नई आभा उतर आती है |
चार दिन के इस पर्व में
मानो पूरा संसार थम जाता है..
दुख, पीड़ा, चिंता सब कहीं पीछे छूट जाते हैं |
केवल शुद्ध भावनाएँ रह जाती हैं...
उत्साह, उमंग, और अपार प्रसन्नता |
सुबह की अरुणिमा में जब घाटों पर गीत गूंजते हैं,
तो लगता है जैसे आत्मा स्वयं गा रही हो |
साँझ का वह क्षण, जब डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है,
वो कोई सामान्य क्षण नहीं...
वो तो आत्मा और प्रकृति का संवाद होता है |
छठ केवल एक पूजा नहीं,
यह मनुष्य और प्रकृति के बीच की गहरी मित्रता है |
यह वह पर्व है जहाँ व्रत कठिन होता है,
पर मन हल्का और निर्मल होता जाता है |
कितनी ही बार जीवन में उदासी आई,
पर इस पर्व के आते ही मन फिर से खिल उठा|
क्योंकि छठ केवल आस्था नहीं,
यह शांति का उत्सव है,
जय हो छठी मईया,
तुम्हारे इस दिव्य वातावरण में
हम हर बार खुद को नया जन्म लेते महसूस करते हैं
थोड़े थमे हुए, थोड़े शांत, और बहुत आभारी |
~रिंकी सिंह✍️
लोक आस्था के महापर्व छठ की अंनत शुभकामनाएँ 😊❣️
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