“जीवन एक युद्ध।”
एक युद्ध है जो लड़ना है,
हमें निरंतर बस चलना है।
थकने का समय नहीं,
रुकने का समय नहीं।
देखने में लग रहा है
सब खुश हैं,
युद्ध चल रहा है
भारी दुख है ।
निचोड़ रहे है समय से
मुट्ठी भर खुशियाँ ,
कि शायद यही अपनी हो।
इस पल में तो,
अपने मन की हो।
बाक़ी ईश्वर भरोसे है ,
मार्ग दिखा रहे हैं ,
और दिखाएँगे।
कर्म समझा रहे हैं ,
और समझाएँगे ।
प्रकृति रूप में ईश्वर,
जैसे बहुत कुछ कहते हैं हमसे।
कहीं धूप कहीं बारिश,
जीवन के दर्शन कराते हो जैसे।
ये युद्ध तुम्हारा है,
जीत या हार हो।
मैं था मैं हूँ मैं रहूँगा,
जैसे पानी की बोछार हो।
मन की आँखो से देखा,
तो जाना समझा,
भले युध्द अपना है,
जीतना भले ही एक सपना है,
जीवन बिना युद्ध ?
जैसे मैं , मेरे ही विरुद्ध।
लड़ो।
बढ़ो।
चलो।
दौड़ जाओ।
बस रुकना मत,
थकना मत।।