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महाभारत Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful महाभारत quote can lift spirits and rekindle determination. महाभारत Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.
#दुर्योधन #अश्वत्थामा #महादेव #महाभारत #कौरव #पांडव #कृतवर्मा #कृपाचार्य इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् सोलहवें भाग में दिखाया गया जब कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा पांडव पक्ष के बाकी बचे हुए जीवित योद्धाओं का संहार करने का प्रण लेकर पांडवों के शिविर के पास पहुँचे तो वहाँ उन्हें एक विकराल पुरुष पांडव पक्ष के योद्धाओं की रक्षा करते हुए दिखाई पड़ा। उस महाकाल सदृश पुरुष की उपस्थिति मात्र हीं कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा के मन में भय का संचार उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त थी ।कविता के वर्तमान भाग अर्थात् सत्रहवें भाग में देखिए थोड़ी देर में उन तीनों योद्धाओं को ये समझ आ गया कि पांडव पक्ष के योद्धाओं की रक्षा कोई और नहीं , अपितु कालों के काल साक्षात् महाकाल कर रहे थे । यह देखकर कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा के मन में दुर्योधन को दिए गए अपने वचन के अपूर्ण रह जाने के भाव मंडराने लगते हैं। परन्तु अश्वत्थामा न केवल स्वयं के डर पर विजय प्राप्त करता है अपितु सेंपतित्व के भार का बखूबी संवाहन करते हुए अपने मित्र कृपाचार्य और कृतवर्मा को प्रोत्साहित भी करता है। प्रस्तुत है दीर्घ कविता "दुर्योधन कब मिट पाया " का सत्रहवाँ भाग।
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-8 #Poetry #Hindi_Kavita #Duryodhana #Keshav #Madhav #Mahabharata #Krishna #Shakuni #Bhishma #Vidura #दुर्योधन #महाभारत #श्रीकृष्ण #ब्रजनंदन #धृतराष्ट्र #दु :शासन #विदुर #भीष्म #शकुनि
#Poetry #Hindi_Kavita #Duryodhana #Mahabharata #Krishna #Radha #कविता #दुर्योधन #महाभारत #धर्मयुद्ध #श्रीकृष्ण #पूतना #शकटासुर #तृणावर्त #राधा
जिस प्रकार अंगद ने रावण के पास जाकर अपने स्वामी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र के संधि का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था , ठीक वैसे हीं भगवान श्रीकृष्ण भी महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले कौरव कुमार दुर्योधन के पास पांडवों की तरफ से शांति प्रस्ताव लेकर गए थे। एक दूत के रूप में अंगद और श्रीकृष्ण की भूमिका एक सी हीं प्रतीत होती है । परन्तु वस्तुत: श्रीकृष्ण और अंगद के व्यक्तित्व में जमीन और आसमान का फर्क है । श्रीराम और अंगद के बीच तो अधिपति और प्रतिनिधि का सम्बन्ध था । अंगद तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के संदेशवाहक मात्र थे । परन्तु महाभारत के परिप्रेक्ष्य में श्रीकृष्ण पांडवों के सखा , गुरु , स्वामी , पथ प्रदर्शक आदि सबकुछ थे । किस तरह का व्यक्तित्व दुर्योधन को समझाने हेतु प्रस्तुत हुआ था , इसके लिए कृष्ण के चरित्र और लीलाओं का वर्णन समीचीन होगा । कविता के इस भाग में कृष्ण का अवतरण और बाल सुलभ लीलाओं का वर्णन किया गया है । प्रस्तुत है दीर्घ कविता "दुर्योधन कब मिट पाया" का चतुर्थ भाग। #Poetry #Hindi_Kavita #Duryodhana #Mahabharata #Krishna #Ravana #Govardhan #Kanha #Shyam #Angad #कविता #दुर्योधन #महाभारत #धर्मयुद्ध #श्रीकृष्ण #कान्हा #गोपी #गोवर्धन #अंगद
#Poetry #Hindi_Kavita #Duryodhan #Mahabharat #कविता #दुर्योधन #महाभारत #धर्मयुद्ध महाभारत के शुरू होने से पहले जब कृष्ण शांति का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास आये तो दुर्योधन ने अपने सैनिकों से उनको बन्दी बनाकर कारागृह में डालने का आदेश दिया। जिस कृष्ण से देवाधिपति इंद्र देव भी हार गए थे। जिनसे युद्ध करने की हिम्मत देव, गंधर्व और यक्ष भी जुटा नहीं पाते थे, उन श्रीकृष्ण को कैद में डालने का साहस दुर्योधन जैसा दु:साहसी व्यक्ति हीं कर सकता था। ये बात सही है कि श्रीकृष्ण की अपरिमित शक्ति के सामने दुर्योधन कहीं नही टिकता फिर भी वो श्रीकृष्ण को कारागृह में डालने की बात सोच सका । ये घटना दुर्योधन के अति दु:साहसी चरित्र को परिलक्षित करती है । कविता के द्वितीय भाग में दुर्योधन के इसी दु:साहसी प्रवृति का चित्रण है। प्रस्तुत है कविता "दुर्योधन कब मिट पाया" का द्वितीय भाग।
साध लक्ष्य को उर पथ पर, नगपति सम तुम धीर धरो । निज जीवन के #चक्रव्यूह में, #अभिमन्यु जैसा वीर बनो ।। ++++++++++++++++++ #जीत निश्चित हो तो #अर्जुन कोई भी बन सकता है परंतु जब #मृत्यु निश्चित हो तब #अभिमन्यु बनने के लिए बहुत #साहस चाहिए ++++++++++++++++++++ #महाभारत
अधर्म में भी कहि धर्म था इसीलिए कौरवों के साथ गंगा पुत्र और कर्ण था🚩🚩🚩 #महाभारत
आयी हुई मृत्यु से कहा अजेय भीष्म ने कि, योग नहीं जाने का अभी है,इसे जानकर, रुकी रहो पास कहीं और स्वयं लेट गये, बाणों का शयन,बाण का ही उपधान कर ! और पंथ जोहती विनीत कहीं आसपास हाथ जोड़ मृत्यु रही खड़ी शास्ति मान कर ! #महाभारत
पशचिम से सूरज उगे, या उगे पूर्व से चॉंद, दुर्योधन के वास्ते जीवन है कुर्बान । कर्ण दोस्ती का प्रतीक ☀️ #महाभारत
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