दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*अहिंसा, निर्वाण, सिद्धार्थ, तथागत, बुद्ध*
सत्य *अहिंसा* मार्ग पर, मिलें पुष्प के हार।
सामाजिक परिवेश में, जीवन है गुलजार।।
सुखद कर्म की नींव पर, करें भव्य निर्माण।
हों प्रसिद्ध इतिहास में, अमर रहे *निर्वाण*।।
राजपाट को त्याग कर, बोधिसत्व पर ध्यान।
पूज्य हुए *सिद्धार्थ* जी, सच्चा उपजा ज्ञान।।
*तथागत* के संदेश से, भटकें हैं कुछ देश।
लोभ-लालसा में फँसे, बढ़ा रहे हैं क्लेश।।
शक्ति-मार्ग से आ रहा, प्रेम-शांति संदेश।
*बुद्ध*-युद्ध के द्वंद्व में, हँसता है परिवेश।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*