मिल जाते तो !?
"सुनो...
पता है हमारी कहानी की सबसे खूबसूरत बात क्या है? यही... कि वो पूरी नहीं हुई।
क्यूंकि अक्सर जो चीजें मुकम्मल हो जाती हैं न, वो वक़्त के साथ अपनी चमक खो देती हैं। वो 'रूटीन' बन जाती हैं।
अगर तुम मिल जाते... तो शायद, बस शायद, तुम भी उन घर के पुराने सामानों की तरह हो जाते, जिन्हें हम रोज़ देखते तो हैं, पर महसूस नहीं करते।
तुम्हारा न मिलना ही तो है, जिसने तुम्हें मेरी यादों में आज भी 'नया' रखा है। तुम्हें पा लेता, तो किस्सा ख़त्म हो जाता...
तुम्हें खोया है, तभी तो दास्ताँ बन गयी है।"