वस्तु नहीं है देशभक्ति जो बाजारों में बिकती हो
वह अवाम की तप्त शिरा में अमिय हलाहल धारा है 1
देश भक्ति का यही तक़ाजा अमन चैन को संबल दे
उल्लू दिखें गुलिस्ताँ में तब सदा उड़ा दें डालों से 2
मातृ भू पर पड़ गयी दुश्मन अगर टेढ़ी नजर
आँख होगी धड़ न होगा जिन्दगी होगी धुआँ 3
कुबेर मिश्र