सोसिअल मीडिया पे स्क्रॉल करते में थक गई हु!
इंस्टा , फेसबुक , व्हाट्सएप करके में पक गई हु!
कहा गए दिन जब
मोबाइल डाटा ऑफ किया कर देते थे!
नेट बचाने के चक्कर में कॉल किया कर देते थे !
टेक्स्ट मेसेज जो फ्री में मिले वो किया कर देते थे!
क्या पहना हे,क्यों पहना हे? और ये किसकी बहना हे?
कौन कहा पे घूम के आया,और फिर कहा पे खाना खाया?
बिना मतलब की इन बातोसे,हमने अपना संसार जलाया,
अब तोह बस तौबा हो चला हे,
फेक न्यूज़ का दौर चला हे,
क्यों करते हो फ़िज़ूल फॉरवर्ड,
क्यों दिखाते हो सबको बैकवर्ड ,
उसका वैसा मेरा केसा? किसका केसा गहना हे!
टिकटोक ने तो केहर मचाया ,कौन भाई हे या बहना हे? क्या पता चले, अब किसको क्या कहना हे?
होते हो तुम कौन जो किसीकी जिंदगी में जाखोगे ?
उसको निचा और किसीको ,तुम फिर ऊँचा पाओगे?
इतना सोशल प्रेशर क्या खुद तुम झेल पाओगे ?
ये सब चीज़ो से हमें पता लगे दुनिया में क्या होता हे ,
ये सब चीज़े नहीं बताती कौन छोटा और पतला - मोटा हे?
अपने आप ही तुम ,इस जंजालो में फसते हो,
और फिर फरियाद करते हो ,क्यू मुझपे हसते हो?
जांख ले अपने दामन में ,सब पता चल जायेगा!
बोए पेड़ बबूल के तो आम कहा से खाएगा ?