भगवद् गीता में श्री कृष्ण भगवान ने ‘निष्काम कर्म’ का अर्थ क्या समझाया है?
*चन्दूलाल = जब भी दादाश्री 'चन्दूलाल' नाम का प्रयोग करते हैं, तब वाचक, यथार्थ समझ के लिए, अपने नाम को वहाँ पर डाल दें।
यथार्थ निष्काम कर्म
प्रश्नकर्ता: निष्काम कर्म में किस तरह कर्म बँधते हैं?
दादाश्री: ‘मैं चंदूभाई हूँ’ करके निष्काम कर्म करने जाओ तो ‘बंधन’ ही है। निष्काम कर्म करने से यह संसार अच्छी तरह से चलता है। वास्तव में निष्काम कर्म, ‘खुद कौन है’ वह नक्की हुए बगैर हो ही नहीं सकता। जब तक क्रोध-मान-माया-लोभ हों, तब तक निष्काम कर्म किस तरह हो सकता है?
खुद ही मानता है कि ‘यह मैं निष्काम कर्म करता हूँ।’ लेकिन वास्तव में उसका कर्ता कोई और ही है। जिस-जिस प्रकार की क्रिया होती है, वह सब ‘डिस्चार्ज’ है। ‘मैं निष्काम कर्म करता हूँ’ ऐसा मानता है, वही सब बंधन है। निष्काम कर्म का कर्ता है तब तक बंधन है।
वह निष्काम कर्म किसे कहते हैं? अपने घर की आय आती है। ज़मीन की आती है, उसके अलावा यह छापाखाना खोला उसमें से मिलेगी। ऐसे, बारह महीनों में बीस-पच्चीस हज़ार मिलेंगे, ऐसा अनुमान लगाकर करने जाएँ, और फिर पाँच हज़ार मिलें तो बीस हज़ार का घाटा हुआ, ऐसा लगता है। और धारणा ही नहीं रखी हो तो? निष्काम कर्म यानी उसके आगे के परिणाम का अनुमान लगाए बगैर करते जाओ। कृष्ण भगवान ने बहुत सुंदर वस्तु दी है, लेकिन किसी से वह हो सकता नहीं न? मनुष्य की बिसात नहीं न! इस निष्काम कर्म को यर्थाथ समझना मुश्किल है। इसलिए तो कृष्ण भगवान ने कहा था कि मेरी गीता का सूक्ष्मतम अर्थ समझने वाला कोई एकाध ही होगा!
प्रश्नकर्ता: निष्काम भाव से कर्म करें तो कर्म नहीं बंधेंगे न?
दादाश्री: निष्काम भाव से कर्म करो, परन्तु ‘आप चंदूभाई ही हो’ और ‘मैं चंदूभाई हूँ’ वह बिली़फ है, तब तक निष्काम भाव से कर्म करोगे तो उसका पुण्य बंधेगा। कर्म तो बंधेगा ही। कर्ता हुआ कि कर्मबंधन हुआ।
प्रश्नकर्ता: निष्कामी किस तरह हुआ जा सकता है?
दादाश्री: परिणाम का विचार किए बिना काम करते जाओ। साहब मुझे गुस्सा करेंगे, डाँटेंगे, ऐसे विचार किए बिना काम करे जाओ। परीक्षा देने का विचार किया हो तो फिर ‘पास हुआ जाएगा या नहीं, पास हुआ जाएगा या नहीं’ ऐसे विचार किए बिना परीक्षा देते जाओ।
कृष्ण भगवान की एक भी बात नहीं समझे और ऊपर से कहते हैं कि कृष्ण लीलावाले थे! अरे, आप लीलावाले या कृष्ण लीलावाले? कृष्ण तो वासुदेव थे, नर में से नारायण हुए थे!