किराएदार पे
सामान बोझ रहा .

मैं तो सिल रहा था उम्मीदें अपनी
सपनों का टूटना भी बनां रहा

जितनी ख्वाहिशें कम रहीं
उतना सफर आसान रहा .

Hindi Blog by RajniKant H.Joshi : 111896539
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