सादगी से मोहब्बत तक
धीरे-धीरे पनपा वो प्यार,
बिना शोर, बिना हलचल के।
सादगी में उसकी मोहब्बत खिली,
और हर दिल को छू गई धीरे-धीरे।
छोटी-छोटी खुशियों में ढूंढा उसने अपनापन,
हर एहसास में समाया उसने अपनापन।
हर पल, हर लम्हा, हर खामोशी,
उसका प्यार बस बढ़ता गया, बिना शब्दों के।
सादगी से मोहब्बत तक का सफ़र,
एक कहानी बन गई जो हर दिल में उतर गई।
और जो इसे पढ़े, वो भी महसूस करे,
कि प्यार कभी शोर नहीं करता, बस रूह तक उतर जाता है।