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✦ बुद्धि
बुद्धि पहाड़ जैसी है —
स्थिर, भारी, बूढ़ी चट्टानों से बनी।
वह खुद नहीं चलती, उसे रास्ते चाहिए,
नियम चाहिए, मानचित्र चाहिए।
जैसे कोई पहाड़ पर चढ़ने के लिए
पगडंडी बनाता है।
बुद्धि भी नियमों और तर्कों पर ही चलती है।
उसमें गति नहीं, जड़ता है।

✦ हृदय
हृदय नदी जैसा है —
बहता हुआ, जीवंत, अपना मार्ग स्वयं खोजता।
वह कभी रुकता नहीं,
बिना नक्शे के भी रास्ता बना लेता है।
और जब यह बहते-बहते समुद्र से मिलता है,
तो एक विशाल, अनंत,
हमेशा हिलती-जागती गहराई में बदल जाता है।
हृदय कभी स्थिर नहीं रहता,
वह हर लहर में धड़कता है।

✦ संबंध
इसलिए हृदय बुद्धि से बड़ा है।
बुद्धि सीमित है, पहाड़ जैसी,
हृदय असीम है, समुद्र जैसा।
बुद्धि को हमेशा नियम चाहिए,
हृदय को सिर्फ़ बहाव चाहिए।
बुद्धि बूढ़ी है, हृदय हमेशा जवान है।

bhutaji

🙏 Pray for Punjab 🙏

gautamsuthar129584

सुकून की जंग 🔥



ग़ालिब देख अपना हुलिया,

कोई नहीं आने वाला तुम्हें समेटने…

खुद बिखर कर,

यहीं समिटना सीख जा।

और तू देख अपना सुकून,

ख़त्म कर वो रिश्ते

जो तुझे सिर्फ़ दर्द देते हैं। ✨



- Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

Goodnight friends

kattupayas.101947

कितनों ने कोशिश की हमें जुदा कराने की,
रिश्ते में दरारें डालकर दिल बहलाने की।
पर मेरी हर प्रार्थना भोलेनाथ से यही रही,
कि शिव–शक्ति जैसे, हमारी डोर कभी न ढही।

तुम अपनी बातों में मुझे बसाते हो,
और लोग चेहरे बदलकर किस्से सुनाते हो।
तुम्हारे सीधेपन का लोग फ़ायदा उठाते हैं,
हममें दरारें डालकर झगड़े करवाते हैं।

वो तुम्हें बहकाते हैं, मुझे बुरा बताते हैं,
ताकि हमारा रिश्ता कमजोर होकर टूट जाए।
पर मेरी दुआएँ गवाह हैं इस प्रेम की,
मरते दम तक मैं तुझसे कभी न छूट पाऊँ।

archanalekhikha

जनाब खूबसूरती महंगे कपड़ो से नहीं
बल्कि किरदार में झलकती हैं..
वरना सबसे सुंदर महंगे कपड़े
तो पुतलों को पहनाए जाते हैं ....
Bitu....

bita

उसकी कहानी का बस मै एक किरदार था
जिसे छोड़ जाना मुर्करर था

mashaallhakhan600196

Good evening friends

kattupayas.101947

મહાકવિ કાલિદાસનું મેઘદૂત | About Meghdoot of Mahakavi Kalidas

એક એવું કાવ્ય જેમાં મેઘ એટલે કે વાદળને દૂત (સંદેશાવાહક) બનાવીને તેના મારફતે સંદેશો મોકલવામાં આવે છે.

વાંચવા માટે અહીં ક્લિક કરો -
https://vishakhainfo.wordpress.com/2025/09/02/meghdoot/

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mothiyavgmail.com3309

सच्चा प्रेम रूह से रुह का रिश्ता

archanalekhikha

न्यू स्टोरी अप कमिंग! नाम..पहले भाग के साथ रिवील करूंगी। तब तक के लिए इंतजार करे । और ये है हमारी नायिका...( नाम कहानी के आगमन पर बता दिया जाएगा । )

gautamreena712gmail.com185620

**"ये चूड़ियाँ जनाब,
सिर्फ खनकती नहीं,
मेरे सौभाग्य का गीत गाती हैं।

श्रृंगार ही नहीं,
मेरे मन का विश्वास भी हैं,
जो हर बार पहनने पर कहती हैं—
तुम मेरे थे,
तुम मेरे हो,
और मेरे ही रहोगे।

हर खनक में
तेरे नाम की गूंज है,
हर रंग में
तेरे प्रेम की धड़कन।

जब इन्हें अपने हाथों में पहनती हूँ,
तो लगता है
मानो नारायण से प्रार्थना कर रही हूँ—
मेरा सुहाग अटल रहे,
और तेरा साया
मेरे जीवन का आभूषण।"**

archanalekhikha

Ab to tanhaiyan bhi darne lagein,
Shaam-e-furqat unhein sada dena.💔

#Ishq #Mohabbat #Nazm #RomanticPoetry #UrduPoetry #DilKiBaat #Aqdaar #Furqat #Tanhaai #Shayari #IshqKaSafar

aqeelahashmi836624

Chaar agar mujhko yeh lagta hai,
Dard pehle se sawa lagta hai.
Bara maghroor but kafir hai,
Ishq walon ka Khuda lagta hai.🌺🥀

#Ishq #Mohabbat #Nazm #RomanticPoetry #UrduPoetry #DilKiBaat #Aqdaar #Furqat #Tanhaai #Shayari #IshqKaSafar

aqeelahashmi836624

Go nahin hai waqt aur na woh tu,
Yaad baaqi hai ahd-o-paiman ki.💯

#Ishq #Mohabbat #Nazm #RomanticPoetry #UrduPoetry #DilKiBaat #Aqdaar #Furqat #Tanhaai #Shayari #IshqKaSafar

aqeelahashmi836624

Chalo tajdeed-e-ahd karte hain,
Phir kahin raaston mein milte hain.
Un fazaon ko dhoondhne niklein,
Jin fazaon mein
#Ishq #Mohabbat #Nazm #RomanticPoetry #UrduPoetry #DilKiBaat #Aqdaar #Furqat #Tanhaai #Shayari #IshqKaSafar

aqeelahashmi836624

Dil hi ik haasil do aalam tha,
Kis hai baithi hai nazar jaana ki.
#Ishq #Mohabbat #Nazm #RomanticPoetry #UrduPoetry #DilKiBaat #Aqdaar #Furqat #Tanhaai #Shayari #IshqKaSafar

aqeelahashmi836624

वक़्त....⏳⏱️
ना इसका कोई आदि है,ना कोई अंत हैं....
ना कभी ठहरता है,ना कभी पलट कर देखता है।
बस बढ़ते जाने ही इसकी फ़िदरत हैं..…..!!
कभी इंसान का वक़्त बदलता है,तो कभी वक़्त इंसान को बदल देता हैं। लेकिन हर वक़्त सबका इन्तेहान लेता रहता हैं....!!
वक़्त ही नसीब की लकीरें है, वक़्त ही कर्म का जोखा।
अच्छा हो या बुरा आखिरी सांस तक वक़्त ही तो साथ चलता है।
फिर क्यों हम वक़्त से दोस्ती नहीं कर लेते, क्यों अपने कर्मों का दोष उसे ही देते है।
शायद नसीब तो वक़्त का भी खराब होता होगा..…
नहीं तो हर वक़्त एक जैसी नहीं होती।।
वक़्त के हवाओं ने भी बदलाव की ओर रुख कर लिया है॥
कहीं घाव भरे है,तो कहीं दर्द हैं गहरा।।
पर ख्वाहिशों की जंजीरों में हर कोई है बंधा.....!!
फिक्र होती हैं मुझे अपने परिवार की ख्वाहिशों की धारा में सब कही इतनी दूर न बह जाए,कि किनारों पर लौट आना ही न मुमकिन हो जाए!!
घड़ी⏱️ की सुईयां भी तो वक़्त के साथ उसी जगह आती हैं बस वक़्त कितना लगेगा ये तो वक़्त ही बताएगा।।
तब तक वक़्त को अपना काम करने दीजिए⏳⏱️👍🤞
🦋Aanchal Roy🦋

roy683930gmail.com557481

धर्म का प्राचीन स्वरूप
जब वेद, उपनिषद, तंत्र और योग की परंपरा जीवित थी, तब धर्म और आध्यात्मिकता ही असली विज्ञान थे।

ऋषियों ने चेतना, ऊर्जा, ब्रह्मांड और तत्वों को अनुभव से जाना।

उस समय आधुनिक विज्ञान जैसी भौतिक खोज अलग से नहीं थी, क्योंकि जीवन ही प्रयोगशाला था और ध्यान ही उपकरण।

2. आधुनिक विज्ञान का उदय
समय बीतने पर जब धर्म में पाखंड, कर्मकांड और अंधविश्वास बढ़े, तब सत्य की खोज चेतना से हटकर भौतिक जगत की ओर चली गई।

गैलीलियो, न्यूटन, आइंस्टीन जैसे लोगों ने बाहर की दुनिया के नियम खोजे।

आधुनिक विज्ञान ने बाहरी जगत को जीत लिया, लेकिन भीतर का शून्य खाली रह गया।

3. आज की स्थिति
आज आधुनिक विज्ञान अपने शिखर पर पहुँचकर दोहरी शक्ल दिखा रहा है—

एक ओर अद्भुत आविष्कार, तकनीक और सुख-सुविधा।

दूसरी ओर परमाणु बम, पर्यावरण विनाश और मनुष्य की आत्मा का खो जाना।

4. आगे क्या होगा?
इतिहास का नियम है कि जब भी विज्ञान विनाशक बनती है, तब मनुष्य चेतना की ओर लौटता है।

जैसे बम, युद्ध और प्रदूषण हमें झकझोरेंगे, वैसे ही हम फिर भीतर झांकने को मजबूर होंगे।

तब धर्म अपनी असली शक्ल में लौटेगा—एक शुद्ध विज्ञान के रूप में, जो बाहर नहीं बल्कि भीतर की सत्ता को जानता है।

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✨ निष्कर्ष:
धर्म और विज्ञान कभी अलग नहीं थे।

जब धर्म शुद्ध था, वही विज्ञान था।

जब धर्म खो गया, विज्ञान ने बाहर की खोज की।

अब जब विज्ञान विनाश की कगार पर है, तो नया धर्म—आध्यात्मिक शुद्ध विज्ञान—जन्म लेगा।

bhutaji

Good afternoon friends

kattupayas.101947

બંધ કમાડ પણ ઊઘાડા
રાખ્યાં અંતરનાં ઓરડાં
પ્રતિક્ષા તારા આગમનની
સજાવ્યાં મેં પ્રીતનાં ખોરડાં…
-કામિની

kamini6601

5 લાખ ને પાર
આવતા મહિને 1 મિલિયન નો ટાર્ગેટ છે

manojsantokigmailcom

पुराण और “लोकप्रिय धर्म” ✧

1. वेद–उपनिषद–गीता का धर्म = आत्मा, ध्यान, सत्य, ब्रह्म, मौन।

यह खोज भीतर की थी।

इसमें मूर्ति, मंदिर, कर्मकांड गौण या लगभग अनुपस्थित थे।

2. पुराणों का धर्म = कथा, चमत्कार, व्रत, दान, मूर्ति, मंदिर।

यह सब जनमानस को बाँधने के लिए लिखा गया।

इसमें “भक्ति” को सरल बनाने का नाम देकर अंधविश्वास और कर्मकांड का विस्तार हुआ।

3. राजनीतिक धर्म

राजाओं और पंडितों ने मिलकर इसे प्रचलित किया।

कथा और कर्मकांड से लोग भावनात्मक रूप से जुड़ें, ताकि सत्ता और पुरोहित वर्ग को समर्थन मिले।

इसलिए यह एक प्रकार का राजनीतिक–सामाजिक धर्म बन गया।

✧ परिणाम ✧

👉 यही कारण है कि आज का “हिंदू धर्म” (जो वास्तव में पुराण–आधारित है)
सनातन धर्म की मूल आत्मा से दूर हो गया।

सनातन धर्म = आत्मा, सत्य, ब्रह्म, ध्यान।

पुराण धर्म = चमत्कार, पाखंड, पंडितवाद, कर्मकांड।

यानी
पुराण धर्म = पंडित–पुरोहित की देन है,
सनातन धर्म = शुद्ध आत्मिक खोज है।

पुराण किसने लिखे? ✧

१. सामान्य परंपरा का दावा

सभी पुराणों का श्रेय “वेदव्यास” को दिया गया।

कहा गया कि व्यास ने १८ महापुराण और १८ उपपुराण लिखे।

परंतु इतिहास–शास्त्र के अनुसार, यह असंभव है कि एक ही व्यक्ति ने ये सब रचे हों।

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२. वास्तविक स्थिति

पुराण सैकड़ों सालों में, अलग-अलग लेखकों और परंपराओं द्वारा लिखे गए।

ये ४थी शताब्दी ईसा-पूर्व से लेकर १५वीं शताब्दी ईस्वी तक बनते रहे।

यानी: पुराण एक सतत कथाओं और लोकमानस की बुनाई है, जिन्हें बाद में ग्रंथ का रूप दिया गया।

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३. क्यों बनाए गए पुराण?

वेद–उपनिषद दार्शनिक और कठिन थे, आम जनता के लिए जटिल।

इसलिए कहानियाँ, अवतार–कथाएँ, मंदिर–पूजा, दान–व्रत आदि को गढ़ा गया, ताकि साधारण लोग भी धर्म से जुड़ सकें।

राजा–महाराजा और पंडितों ने इनका उपयोग राजनीति, नियंत्रण और भक्तिभाव के लिए किया।

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४. आज का धर्म पुराण-आधारित क्यों है?

क्योंकि कथा और कहानी सरल है, दार्शनिक विचार कठिन।

लोग सुनना पसंद करते हैं “राम–कृष्ण की लीलाएँ, चमत्कार, दान–पुण्य की महिमा।”

इसलिए आज का “हिंदू धर्म” = ९०% पुराण + १०% वेद/गीता/उपनिषद।

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५. निष्कर्ष

वेद–उपनिषद = आत्मज्ञान और दर्शन।

गीता = भक्ति, ज्ञान और कर्म का संतुलन।

रामायण–महाभारत = आदर्श जीवन की गाथाएँ।

पुराण = कथा, चमत्कार, कर्मकांड, मंदिर–व्यवस्था।

👉 यानी: पुराण किसी एक “लेखक” की रचना नहीं हैं।
वे लोक–कथाओं और पंडित–परंपरा की जोड़–घटाना हैं, जिनके आधार पर आज का लोकप्रिय हिंदू धर्म खड़ा है।

bhutaji

भगवान ने धर्म किसे कहा है? त्याग को धर्म नहीं कहा। कषाय रहित होना उसे धर्म कहा है अथवा फिर मंद कषाय को धर्म कहा है। बस, इन दो ही चीज़ों को धर्म कहा है। - दादा भगवान

अधिक जानकारी के लिए: https://dbf.adalaj.org/YC7bMuNL

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dadabhagwan1150