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New bites

बच्चे देख रहे हैं!”
सीमा ने अपनी हथेली से गाल को ढक लिया, जहाँ उसके पति का थप्पड़ अभी-अभी पड़ा था।
लेकिन रामू की आँखों में सिर्फ़ शराब का नशा था — और दिल में ग़ुस्से का लावा।

हाथ में सस्ती दारू की बोतल, होंठों पर बदबू, और ज़ुबान पर गालियाँ।

रामू (चिल्लाते हुए): “पैसे कहाँ हैं तेरे पास? बोल!”
सीमा (रोते हुए): “आज जो सिलाई की थी, बस दो सौ रुपये मिले हैं। बच्चों के लिए दूध लाना है…”
रामू: “दूध? पहले मेरा हक़! मैं इस घर का मर्द हूँ!”

वो दो सौ रुपये उसकी मुट्ठी से छीन लेता है।
सोनू (10 साल) और प्रीति (8 साल) कोने में बैठे काँप रहे थे।
सोनू धीरे से बोला — “माँ… पापा फिर से पीकर आए हैं…”

रामू मुड़कर चीखता है —
“चुप रह बदमाश! तेरे लिए ही तो मेहनत करता हूँ!”
और फिर ज़ोर से दरवाज़ा पटककर बाहर चला गया।

दरवाज़ा बंद हुआ, पर कमरे में एक गहरा सन्नाटा छा गया।
सीमा ज़मीन पर बैठी, आँसू रोकने की कोशिश कर रही थी।
बच्चे उसके सीने से लिपट गए।

सीमा (धीरे से): “मत रो मेरे लाल… एक दिन सब ठीक होगा। तुम्हारे पापा अच्छे इंसान बनेंगे।”
प्रीति (मासूमियत से): “माँ, क्या भगवान उन्हें बदल देंगे?”
सीमा: “हाँ बेटा… भगवान सबको एक बार फिर मौका देता है — फिर से शुरू करने का…”

वो बाहर झाँकती है — आसमान में बिजली चमकती है।
शायद ऊपर कोई सुन रहा था।


---

अगले दिन की सुबह।
रामू थका-हारा शराब की दुकान के बाहर पड़ा था।
शरीर गंदा, कपड़े मैले, और जेब में एक भी पैसा नहीं।

पास से उसका दोस्त बबलू गुज़रता है —
बबलू (हँसते हुए): “अबे रामू, आज फिर पत्नी से पिटा क्या?”
रामू: “तेरी तो… जा, अपना काम देख!”

वो उठकर लड़खड़ाता हुआ घर की तरफ़ चलता है।
दरवाज़ा खोलता है — बच्चे स्कूल जाने की तैयारी में हैं।
सीमा बिना कुछ बोले रोटी बेल रही है।
चूल्हे की आँच उसके चेहरे पर पड़ रही है, पर दिल में ठंडक है।

रामू धीरे से कहता है —
“चाय बना दे।”
सीमा बिना देखे जवाब देती है — “दूध नहीं है।”
रामू कुछ पल चुप रहता है, फिर बोतल ढूँढने लगता है।
वो खाली है।

गुस्से में कुर्सी पटकता है — “हरामी औरत, कुछ नहीं बचाती!”
बच्चे डर के मारे भाग जाते हैं।
सीमा की आँखों में आँसू नहीं हैं अब — बस पत्थर जैसी शांति है।


---

शाम को।
रामू फिर से शराब के नशे में डूबा, सड़क पर चलता है।
चार लोग हँस रहे हैं, कोई गाना बजा रहा है, पर उसे सिर्फ़ आवाज़ें सुनाई देती हैं —
“निकम्मा बाप… नालायक पति…”

वो ठोकर खाता है और गिर जाता है।
सिर दीवार से टकराता है, और खून निकलता है।

दृश्य धुँधला होता है।
और अब वो सपने में है…


---

🌙 भयानक सपना

अँधेरा चारों ओर।
घर में सन्नाटा।
वो दरवाज़ा खोलता है —
सीमा फर्श पर पड़ी है, बच्चों के पास ज़हर की शीशियाँ हैं।

दीवार पर लिखा है —
“अब हमें दर्द नहीं चाहिए। अलविदा, रामू…”

रामू घुटनों पर गिर पड़ता है —
“नहीं… नहीं! मैंने गलती की… भगवान, मुझे एक मौका दे दो!”
वो चीखता है, रोता है, और अपने सीने पर हाथ मारता है।
अचानक कोई आवाज़ आती है —

“अगर तुझे सच में पछतावा है… तो अब से फिर से शुरू कर।”


---

रामू हड़बड़ाकर उठता है।
साँसें तेज़ चल रही हैं, माथे से पसीना टपक रहा है।
वो देखता है — वो ज़िंदा है!
बच्चे सो रहे हैं, सीमा चूल्हे के पास लेटी है।

वो काँपते हाथों से बच्चों के सिर पर हाथ रखता है।
पहली बार उसकी आँखों से आँसू गिरते हैं — पछतावे के आँसू।

रामू (धीरे से): “भगवान, मैं अब कभी शराब नहीं छूऊँगा… अब से मैं बदल जाऊँगा…”


---

🌅 नई सुबह

अगली सुबह रामू ने बोतल नहीं उठाई।
वो पुरानी अलमारी से कपड़े निकालता है, साफ़ करता है, इस्त्री करता है, और साइकिल लेकर निकल जाता है।
सीमा हैरान होकर देखती है —
“कहाँ जा रहे हो?”
रामू (मुस्कुराते हुए): “काम ढूँढने।”

वो बाज़ार में जाता है।
कपड़े की दुकानों पर घूमता है, माल उठाता है, और सड़कों पर कपड़े बेचने लगता है।
लोग पहले हँसते हैं —
“अरे ये तो वही शराबी है!”
लेकिन रामू अब किसी की हँसी नहीं सुनता।
वो सिर्फ़ अपने बच्चों की मुस्कान सोचता है।

शाम को जब वो घर लौटता है, उसके हाथ में पहली बार अपनी कमाई होती है — सौ रुपये।
वो नोट सीमा के सामने रखता है —
“ये बच्चों के दूध के लिए… और तुम्हारे सिलाई के लिए।”

सीमा चुप रहती है, पर उसकी आँखें सब कह जाती हैं।
वो पहली बार मुस्कुराती है।


---

रात को रामू आसमान की तरफ़ देखता है।
तारों के बीच उसे वही सपना याद आता है।
वो फुसफुसाता है —
“भगवान, शुक्रिया… तूने मुझे एक और मौका दिया — फिर से रिस्टार्ट करने का।”


---

भाग 1 समाप्त।
(अगले भाग में: “सीमा की मेहनत और रामू का संघर्ष शुरू — कपड़े की छोटी दुकान की नीं

rajukumarchaudhary502010

फिर से रिस्टार्ट (भाग 1: टूटा हुआ घर)

रात का सन्नाटा था।
आसमान में बादल गरज रहे थे, जैसे खुद भगवान भी किसी की तकलीफ़ पर रो रहे हों।
एक पुराने, मिट्टी के घर में टिमटिमाता बल्ब लटका था — कभी जलता, कभी बुझता।

अंदर से चीखें आ रही थीं।

“मत मारो रामू… बच्चे देख रहे हैं!”
सीमा ने अपनी हथेली से गाल को ढक लिया, जहाँ उसके पति का थप्पड़ अभी-अभी पड़ा था।
लेकिन रामू की आँखों में सिर्फ़ शराब का नशा था — और दिल में ग़ुस्से का लावा।

हाथ में सस्ती दारू की बोतल, होंठों पर बदबू, और ज़ुबान पर गालियाँ।

रामू (चिल्लाते हुए): “पैसे कहाँ हैं तेरे पास? बोल!”
सीमा (रोते हुए): “आज जो सिलाई की थी, बस दो सौ रुपये मिले हैं। बच्चों के लिए दूध लाना है…”
रामू: “दूध? पहले मेरा हक़! मैं इस घर का मर्द हूँ!”

वो दो सौ रुपये उसकी मुट्ठी से छीन लेता है।
सोनू (10 साल) और प्रीति (8 साल) कोने में बैठे काँप रहे थे।
सोनू धीरे से बोला — “माँ… पापा फिर से पीकर आए हैं…”

रामू मुड़कर चीखता है —
“चुप रह बदमाश! तेरे लिए ही तो मेहनत करता हूँ!”
और फिर ज़ोर से दरवाज़ा पटककर बाहर चला गया।

दरवाज़ा बंद हुआ, पर कमरे में एक गहरा सन्नाटा छा गया।
सीमा ज़मीन पर बैठी, आँसू रोकने की कोशिश कर रही थी।
बच्चे उसके सीने से लिपट गए।

सीमा (धीरे से): “मत रो मेरे लाल… एक दिन सब ठीक होगा। तुम्हारे पापा अच्छे इंसान बनेंगे।”
प्रीति (मासूमियत से): “माँ, क्या भगवान उन्हें बदल देंगे?”
सीमा: “हाँ बेटा… भगवान सबको एक बार फिर मौका देता है — फिर से शुरू करने का…”

वो बाहर झाँकती है — आसमान में बिजली चमकती है।
शायद ऊपर कोई सुन रहा था।


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अगले दिन की सुबह।
रामू थका-हारा शराब की दुकान के बाहर पड़ा था।
शरीर गंदा, कपड़े मैले, और जेब में एक भी पैसा नहीं।

पास से उसका दोस्त बबलू गुज़रता है —
बबलू (हँसते हुए): “अबे रामू, आज फिर पत्नी से पिटा क्या?”
रामू: “तेरी तो… जा, अपना काम देख!”

वो उठकर लड़खड़ाता हुआ घर की तरफ़ चलता है।
दरवाज़ा खोलता है — बच्चे स्कूल जाने की तैयारी में हैं।
सीमा बिना कुछ बोले रोटी बेल रही है।
चूल्हे की आँच उसके चेहरे पर पड़ रही है, पर दिल में ठंडक है।

रामू धीरे से कहता है —
“चाय बना दे।”
सीमा बिना देखे जवाब देती है — “दूध नहीं है।”
रामू कुछ पल चुप रहता है, फिर बोतल ढूँढने लगता है।
वो खाली है।

गुस्से में कुर्सी पटकता है — “हरामी औरत, कुछ नहीं बचाती!”
बच्चे डर के मारे भाग जाते हैं।
सीमा की आँखों में आँसू नहीं हैं अब — बस पत्थर जैसी शांति है।


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शाम को।
रामू फिर से शराब के नशे में डूबा, सड़क पर चलता है।
चार लोग हँस रहे हैं, कोई गाना बजा रहा है, पर उसे सिर्फ़ आवाज़ें सुनाई देती हैं —
“निकम्मा बाप… नालायक पति…”

वो ठोकर खाता है और गिर जाता है।
सिर दीवार से टकराता है, और खून निकलता है।

दृश्य धुँधला होता है।
और अब वो सपने में है…


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🌙 भयानक सपना

अँधेरा चारों ओर।
घर में सन्नाटा।
वो दरवाज़ा खोलता है —
सीमा फर्श पर पड़ी है, बच्चों के पास ज़हर की शीशियाँ हैं।

दीवार पर लिखा है —
“अब हमें दर्द नहीं चाहिए। अलविदा, रामू…”

रामू घुटनों पर गिर पड़ता है —
“नहीं… नहीं! मैंने गलती की… भगवान, मुझे एक मौका दे दो!”
वो चीखता है, रोता है, और अपने सीने पर हाथ मारता है।
अचानक कोई आवाज़ आती है —

“अगर तुझे सच में पछतावा है… तो अब से फिर से शुरू कर।”


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रामू हड़बड़ाकर उठता है।
साँसें तेज़ चल रही हैं, माथे से पसीना टपक रहा है।
वो देखता है — वो ज़िंदा है!
बच्चे सो रहे हैं, सीमा चूल्हे के पास लेटी है।

वो काँपते हाथों से बच्चों के सिर पर हाथ रखता है।
पहली बार उसकी आँखों से आँसू गिरते हैं — पछतावे के आँसू।

रामू (धीरे से): “भगवान, मैं अब कभी शराब नहीं छूऊँगा… अब से मैं बदल जाऊँगा…”


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🌅 नई सुबह

अगली सुबह रामू ने बोतल नहीं उठाई।
वो पुरानी अलमारी से कपड़े निकालता है, साफ़ करता है, इस्त्री करता है, और साइकिल लेकर निकल जाता है।
सीमा हैरान होकर देखती है —
“कहाँ जा रहे हो?”
रामू (मुस्कुराते हुए): “काम ढूँढने।”

वो बाज़ार में जाता है।
कपड़े की दुकानों पर घूमता है, माल उठाता है, और सड़कों पर कपड़े बेचने लगता है।
लोग पहले हँसते हैं —
“अरे ये तो वही शराबी है!”
लेकिन रामू अब किसी की हँसी नहीं सुनता।
वो सिर्फ़ अपने बच्चों की मुस्कान सोचता है।

शाम को जब वो घर लौटता है, उसके हाथ में पहली बार अपनी कमाई होती है — सौ रुपये।
वो नोट सीमा के सामने रखता है —
“ये बच्चों के दूध के लिए… और तुम्हारे सिलाई के लिए।”

सीमा चुप रहती है, पर उसकी आँखें सब कह जाती हैं।
वो पहली बार मुस्कुराती है।


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रात को रामू आसमान की तरफ़ देखता है।
तारों के बीच उसे वही सपना याद आता है।
वो फुसफुसाता है —
“भगवान, शुक्रिया… तूने मुझे एक और मौका दिया — फिर से रिस्टार्ट करने का।”


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भाग 1 समाप्त।
(अगले भाग में: “सीमा की मेहनत और रामू का संघर्ष शुरू — कपड़े की छोटी दुकान की नींव”

rajukumarchaudhary502010

Just like Lord Krishna lifted the Govardhan Hill to protect all,
let’s lift awareness to protect our vision — the divine gift that lets us see life’s beauty. 👁️💙
#GovardhanPuja #NetramEyeFoundation #HealthyVision #DivineSight

netrameyecentre

સાદગીનો શણગાર છે ગામડું મારું, જ્યાં મહેમાનોને ઈશ્વર સમજી આવકારાય, સંબંધોની મીઠાશ જાળવી રાખી છે સદાય, બસ એ જ છે અમારા રીતિ-રિવાજની ઓળખ... ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418

Happy New Year ✨ to all my Matrubharti Family

dkrajani710

સૌને નૂતન વર્ષનાં વધામણાં💐

s13jyahoo.co.uk3258

क्या समझाऊँ हे रघुराई, तुम बिन जीवन कैसे बीता ।

बड़ा सरल है गणित प्रेम का, राम घटे तो शून्य है सीता ।।

anisroshan324329

Happy New Year🎉🎇💐🎊

monaghelani79gmailco

🙏🙏સુર્યના ઉદય સાથે જ નવા વર્ષને 'હૃદયપૂર્વક આવકારું' છું.

મિત્રો, સ્નેહીજનો, સર્વને હદયથી 'નૂતન વર્ષાભિનંદન' પાઠવું છું.🦚🦚

🚩તમને અને તમારા પરિવારને નૂતન વર્ષાભિનંદન 🚩

parmarmayur6557

भारतवर्ष एक ऐसा नाम है जहाँ से स्वर्ग के सभी दरवाजे खुल जातें हैं..
फिर क्यों ना हो सबको प्यार हमारे देश से..
#डॉ_अनामिका
#जय_हिंद_जय_भारत
#हिंदी_का_विस्तार
#हिंदी_शब्द #हिंदी_पंक्तियां

rsinha9090gmailcom

अहंकार

deepakbundela7179

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
आपका दिन मंगलमय हो 🌹🌹

sonishakya18273gmail.com308865

Good morning friends. have a great day

kattupayas.101947

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 प्यार में बिखरे

mamtatrivedi444291

સ્નેહી શ્રી, મારા તથા મારા પરિવાર તરફથી...
દરેક વાચક મિત્રોને...
આપને તથા આપના પરિવારને નવા વર્ષ ના તહેવાર પર ખૂબ ખૂબ શુભકામના.
આ નવા વર્ષ માં સુખ, સંપતિ, આયુષ્ય, સલામતી, સૌભાગ્ય, સમૃદ્ધી અને સદ્ ભાવનાની અવિરત જ્યોત આપના જીવનમાં ઝગમગતિ રહે અને આપનો પરિવાર સંપૂર્ણ વૈભવથી પરિપૂર્ણ થાય.

નવા વર્ષમાં આપની તથા આપના પરિવારની સુખ, શાંતિ, સમૃધ્ધિ માં ઉત્તરો ઉત્તર વધારો થાય અને દરેક ક્ષેત્ર માં પ્રગતિ થાય એવી શુભકામના...💐💐

hareshchavda114905

नूतन वर्षाभिनंदन
नया वर्ष आपके लिए सुख शांति और समृद्धि बनी रहे और संकल्पों को पूरा करने में कामयाबी रहे ऐसी कामना करते हैं।

manjibhaibavaliya.230977

Happy New year 🎊🎇🎉🎂

mitra1622

💞 वो अनजानी सी मुलाक़ात 💞

वो राहें थीं कुछ अनजानी सी,
हवा भी थोड़ी सी दीवानी सी।
नज़रें जब उनसे टकराईं,
दिल में एक लहर सी आई।

पहले बस एक मुस्कान थी,
फिर बातों की पहचान थी।
कब दिन गुज़रने लगे बातों में,
कटने लगीं रातें यादों में।

वो उनका हँसना, वो शर्माना,
हर बात पे नज़रें झुकाना।
मेरे दिल को वो छूने लगा था,
एक ख़्वाब सा बुनने लगा था।

डरते-डरते एक रोज़ कहा,
“बिन आपके दिल न जाए रहा।”
सुनकर वो चुप सी हो गईं,
जैसे किसी सोच में खो गईं।

फिर धीरे से वो मुस्काईं,
आँखों में “हाँ” नज़र आई।
लगा जैसे सब थम सा गया हो,
आसमाँ ज़मीं पे रम सा गया हो।

आज हाथ में उनका हाथ है,
ज़िन्दगी भर का साथ है।
शुरू हुई जो अनजानी राहों पर,
वो कहानी अब मंज़िल पा गई है।

vexo839199

सोचते हैं, लिखते हैं, मिटाते हैं,
तब जाकर अल्फ़ाज़ मिलते हैं।

जरूरी नहीं टूटे दिल वाले करे शायरी
कभी कभार सांवली सूरत की सादगी
पर भी खूबसूरत गजल बन जाते हैं
Bitu....

bita

✨🌙 New Chapter LIVE! 🌙✨

The story of Niyati: The Girl Who Waited – 14 unfolds… 💫

Time changes, people change — but emotions? They always find their way back. 💕
In this chapter, Niyati steps into a new phase of life, where strength meets vulnerability, and silence speaks louder than words. 🌿

Will she finally embrace what destiny has been whispering all along?

📖 Read now:
👉 https://www.matrubharti.com/book/19982836/niyati-the-girl-who-waited-14

#Niyati #TheGirlWhoWaited #Part14 #NensiVithalani #Love #Change #Destiny #Matrubharti 💫

nensivithalani.210365