KAVYOTSAV Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

KAVYOTSAV Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful KAVYOTSAV quote can lift spirits and rekindle determination. KAVYOTSAV Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

KAVYOTSAV bites

#કાવ્યોત્સવ૨ #kavyotsav 2.0

આસ્તિક કે નાસ્તિક

ઠેર ઠેર આજ તારા મંદિરે મેં લોકો કૈંક ધાર્મિક જોયા છે
સમય રૂપી ખાંડા કેરી ધારે, હા એમને બટકતા જોયા છે

ક્ષણમાં મણનું જીવે ને જીવાડે, મેં એવા માણસ જોયા છે
શાબ્દિક નહિં ચરિત્ર ઉપદેશ આપે એવા માણસ જોયા છે

આયખું ખૂટે આખું દુઃખમાં ન ડગે એવા આસ્તિક જોયા છે
સ્વ સ્વાર્થે તારા ય સરનામા બદલે એવા આસ્તિક જોયા છે

આડંબરના ઓછાયે કૈંક ઉભરીને ભૂંસાતા સ્વસ્તિક જોયા છે
પરોપકારે શ્વાસ ખર્ચતા હો જે એવા ય મેં આસ્તિક જોયા છે

ધર્મ ઉપદેશ ગ્રંથમાં જ્ઞાની નહિં તો ય સંત સ્વરૂપે રામ જોયા છે
ટુકડે હરિને ઢૂકડો લાવે એવા અહિં જલારામ પૂજાતા જોયા છે

મેરુ ડગે પણ મન ના ડગે એ ગંગાસતી સ્મરાતા અહિં જોયા છે
માથાના વાળ જેટલાં પાપો પસ્તાવે ધોઈ પીર થૈ પૂજાતા જોયા છે

આસ્તિક અને નાસ્તિકની વ્યાખ્યા ન જાણે અહિં “ આસક્ત ”
નાસ્તિકતાની ચરમ સીમાએ ઉભરતાં જ્યાં આસ્તિક જોયા છે

– Mayur Anuvadia (આસક્ત)

संस्कार की विरासत


कुछ मुँहफट सी लड़कियाँ,
कैसे कह देती है कुछ भी,
किसी से भी, कहीं भी।
नहीं करती वो लिहाज किसी का।
मैं अक्सर सोचती हूँ,
कैसे कह देती है वो सच,
लड़खड़ाते नहीं उनके होंठ,
सूखता नहीं उनका गला,
धड़कता नहीं उनका दिल,
पसीना आता नहीं
उनकी पेशानी में,
न गीली होती हैं
उनकी हथेलियाँ,
किसने सिखाया उन्हें
सच कहना!

निश्चय ही माँ ने,
नहीं दिए संस्कार उन्हें।
संस्कार जो हमें
सीखाता है चुप रहना।
आँखें झुकाकर,
होंठों को सिलकर,
सच-झूठ के फर्क
को समझकर भी,
वफ़ा- बेवफाई को
परखकर भी,
सिखाता है समर्पण।
संस्कार की विरासत न देकर
मुक्त कर दिया है उनको;
उनकी माँओं ने।

इन्हें देखकर, चेहरा
सिकोड़ने वाली,
मुँह बनाने वाली,
जिव्हा में कसैलापन
महसूस करने वाली,
उन औरतों की आँखों में
अक्सर एक 'काश' देखा है मैंने।
काश! कि मुझे भी नहीं
मिलती कोई विरासत।
काश! कि मेरे शरीर
से न लिपटी होती
पिता, पति की इज्जत।
काश! की मैं भी होती
ज़रा सी मुँहफट!!

कभी सोचती हूँ, अगर होती
मैं एक बेटी की माँ,
क्या मैं भी रोकती उसे
हँसने बोलने से?
क्या सीखाती उसे भावनाओं
को छुपाने की कला?
खुद को नजरअंदाज
करने का हुनर।
अफसोस की
ज़वाब होता 'हाँ'!
क्योंकि ये संस्कार नहीं
ये बबूल की जड़ें हैं,
हमारे अंदर गहरी
पैठ बनाएं हुए,
जकड़ चुकी है
हमारी आत्मा को,
गुलाम बना चुकी है
हमारी सोच को,

फिर सोचती हूँ क्या बदला
कल और आज में?
नानी की दहलीज को
माँ ने लांघना सीखा,
आंगन के चौबारे से
स्कूल तक का रास्ता,
आसान तो नहीं रहा होगा।
थोड़ा सा मुँह फट
बनी होगी नानी!
माँ को अक्षर से
मेल करवाने के लिए,
थोड़ा सा मुँहफट
माँ भी बनी होंगी,
मुझे अपने पैरों में खड़ा
करने के लिए,
बबूल की जड़ों को
थोड़ा-थोड़ा काटा होगा
नाज़ुक हाथों से,
मौन से मुखर
सदियों का सफर
पार करने में लगेंगी सदियाँ।
लेकिन धीरे-धीरे ही सही
अब माँएं गढ़ने लगी है
मुँहफट लड़कियाँ।

सोमा सुर
#kavyotsav -2

#KAVYOTSAV -2

"क्या दूँ तुम्हें...?"

देना तो बहुत कुछ चाहती हूँ!
नीला आकाश
बसंती बयार
नदियों की कलकल
विस्तृत समन्दर
पहाड़ों की चोटियाँ
उस पर से फिसलती
बर्फ़ीली सर्दियाँ!

सूरज की किरणों की स्वर्णिम आभा
पूनम का चाँद
और पूरी आकाशगंगा
तारों से पूर्ण व्योम
और सारा ब्रह्मांड!

लेकिन मेरे पास तो कुछ भी नहीं!
रीते हाथ
सूखे सपने
मुरझाईं उम्मीदें
आँसूओं का सैलाब
आहों का अवसाद
बीते जीवन की कड़वाहट
और दर्द हज़ार!

ये कैसे दे दूँ तुम्हें?
तुम्हें एक एहसास दे रही हूँ!
जो है सिर्फ मेरा
तुम्हें अपना प्रेम दे रही हूँ
जिस पर अधिकार है सिर्फ तुम्हारा!
मेरा हृदय दे रही हूँ
जिस पर बन्धन नहीं किसी का!

अपनी सारी दुआएँ
तुम्हारे नाम कर रही हूँ!
तुम सूरज की तरह चमको!
चाँद की तरह उज्जवल हो
जीवन का प्रत्येक क्षण!

अपने उम्र का
हर पल दे रही हूँ
तुम जियो युग-युगांतर!
तुम सबके मन में अमर रहो
और प्रेम मेरा यूँ ही हो
मन में तुम्हारे
जन्म-जन्मांतर....!!

-सुमन शर्मा

#Kavyotsav 2


पहला घूँट
प्यास का हिस्सा है।

दूसरा घूँट
पानी और प्यास के
रचते हुए रिश्ते की
पहचान है।

तीसरा घूँट
प्यास को बुझाता हुआ
पानी है।

यों
मैं तुम्हें
तीन तरह से
जानता हूँ।