श्याम
तुझे देखती हूँ तब खो जाती हूं चितवन में
तुझे ढूंढते ढूंढते पहुंच जाती हूं उपवन में
तुझे याद करते करते लिन हो जाती हूं तपोवन में
तुझे सुन रही हूं मुरली में मन पहुंच जाता है वृंदावन में
तुम रास रचाए तो तन पहुंच जाए मधुबन में
तुम से आती है महक फूलों की तो खींची चली आती हूं राधावन में
श्याम तुम्हे पाने की इच्छा में तन मन पहुंच जाता है असुवन में
- Shree...Ripal Vyas