KAVYOTSAV Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

KAVYOTSAV Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful KAVYOTSAV quote can lift spirits and rekindle determination. KAVYOTSAV Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

KAVYOTSAV bites

#KAVYOTSAV -2

बीते दिनों की यादें
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कहां खो गए वो दिन
जिन्हें में ढूंढती हूं 
गली, मोहल्ले, गांवों में 
बच्चों की हंसी खो सी गई है 
किताबों के पन्नों में उलझ सी गई है
अब बच्चों ने गिल्ली डंडे से 
नाता तोड़ दिया है 
इंटरनेट कंप्यूटर मोबाइल से 
नाता जोड़ लिया है 
अब बुजुर्गों से कोई प्यार नहीं है 
उनकी कहानियों का कोई सम्मान नहीं है 
जो भाई बचपन में एक साथ बडे हुए 
वहीं एक दूसरे की भावनाओं से खेल रहे हैं
कुछ रुपए और कुछ जमीन के लिए अपना रिश्ता भूल रहे हैं 
बेटा बाप को आंख दिखा रहा है 
उनकी सेवा करने से कतरा रहा है 
पहले तो सिर्फ बेटी पराई थी 
अब तो बेटा भी पराया है 
पहले नहीं होते थे वृद्धाश्रम 
लेकिन अब हर शहर में है वृद्धाश्रम
क्योंकि पहले बेटे मां-बाप के पास रहते थे
लेकिन अब मां-बाप बेटे के पास रहते हैं 
पहले हर भाई को रक्षाबंधन का 
इंतजार रहता था
लेकिन अब ऐसा नहीं है 
अब कलाई पर राखी के डोरी की जगह
फ्रेंडशिप के डोरी बंधने लगे हैं 
जमाने के साथ सब कुछ बदल गया
बदला नहीं तो सिर्फ मां-बाप का प्रेम 
जो इतना बदलाव देखने के बाद भी 
सिर्फ अपने बच्चों को आशीर्वाद ही देते हैं।।

नेहा शर्मा।

आता नहीं मुझे मय्यत में शरीक़ होना
कोई ग़ैर ही जायेगा जब जनाज़ा ख़ुद का निकलेगा
#Poetry #Shayari #Kavyotsav

#kavyotsav 2
#કાવ્યોત્સવ
શુ મારી માં અભણ હતી ?

મારી માં માત્ર 4 ચોપડી ભણેલી હતી.
તે આખું ઘર સંભાળતી હતી.
મારી મા અભણ હતી.

સૌને તેની જરૂરત હતી.
તે કદી બીમાર થતી નહોતી.
મારી માં અભણ હતી !

તે વહેલી સવારે ઉઠીને મોડી રાતે સૂતી
હતી.
તે સૌનું ધ્યાન રાખતી હતી.
મારી માં અભણ હતી !


સૌને જમાડીને પોતે જમતી હતી.
એક વાર તે ખૂબ જ માંદી પડી.કોઈને
કહ્યું નહીં. મારી માં અભણ હતી !

માંદી થઈને તે જલ્દી મરી પણ ગઈ.
માં એ કેમ કોઈને કંઈ કહ્યું નહીં ?
શુ મારી માં અભણ હતી ?

શુ સાચે જ મારી માં અભણ હતી ??

હરસુખ રાયવડેરા

#KAVYOTSAV - 2

कर्मपथ

जब तक चलेगी जिंदगी की सांसे,
कहीं प्यार कहीं टकराव मिलेगा ।

कहीं बनेंगे संबंध अंतर्मन से तो,
कहीं आत्मीयता का अभाव मिलेगा

कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो,
कहीं नाराजगियों का बहाव मिलेगा

कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो,
कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा

कहीं बनेंगे पराए रिश्तें भी अपने तो
कहीं अपनों से ही खिंचाव मिलेगा

कहीं होगी खुशामदें चेहरे पर तो,
कहीं पीठ पे बुराई का घाव मिलेगा

तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे,
जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा

रख स्वभाव में शुद्धता का *'स्पर्श'* तू,
अवश्य जिंदगी का पड़ाव मिलेगा

#KAVYOTSAV -2
ज़रूरत आ पड़ी है
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अब अंधेरों को नहीं डर दीपकों का,
कुछ मशालों की ज़रूरत आ पड़ी है।
जो निरंकुश शासकों को तिलमिला दें,
उन सवालों की ज़रूरत आ पड़ी है।।

वक़्त इतना बीत जाने पर अभी तक,
बस गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं।
जो विपक्षी 'क्रीज़' पर उतरे हुए हैं,
वे कुतर्कों से पछाड़े जा रहे हैं।
यदि विवादों के लिए तैयार हैं वे,
तो जियालों की ज़रूरत आ पड़ी है।।

और सब बेकार थे, हम ही कुशल हैं,
रोज़ ही ये शब्द दुहराए गए हैं।
क्या हुआ है, क्या नहीं, ये कौन जाने,
दूर तक भ्रम जाल फैलाए गए हैं।
काठ की हंडिया नहीं दो बार चढ़ती,
क्यूँ मिसालों की ज़रूरत आ पड़ी है।।

ठीक है, सत्ता मिली है, राज करिए,
खेल कीचड़ फेंकने का क्यों चुना है?
है विविधता से भरा जब देश अपना,
स्वर किसी का भी यहाँ क्यों अनसुना है?
हाँ, मुखर आलोचना की अहमियत है,
इन ख़यालों की ज़रूरत आ पड़ी है।।

--बृज राज किशोर 'राहगीर'

#KAVYOTSAV -2
कैसे कवि का धरम बेच दूँ
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
चौराहे पर क़लम बेच दूँ।
कविताओं का मरम बेच दूँ।
अवसर मिले मुझे भी, पर मैं
कैसे कवि का धरम बेच दूँ।
मादकता के गीत सुनाकर,
श्रोताओं में रस भर डालूँ।
रूप और लावण्य लिखूँ तो,
युवकों को मोहित कर डालूँ।
वाह वाह के स्वर गूंजेंगे,
यदि कुछ गरमा-गरम बेच दूँ।
कविताओं में ग़द्दारों को,
सूली पर चढ़वा देना है।
शत्रु राष्ट्र के आक़ाओं को,
धरती में गड़वा देना है।
ताली ख़ूब बजेंगी यारों,
बस थोड़ा सा भरम बेच दूँ।
कुछ किस्से चटखारे वाले,
और चुटकुले सुनवा दूँगा।
मैं भी हास्य कवि कहला कर,
एक लिफ़ाफ़ा रखवा लूँगा।
कुछ भी मुश्किल नहीं, अगर मैं
इन आँखों की शरम बेच दूँ।
कविता में संदेश न हो तो।
देश, काल, परिवेश न हो तो।
कविता का अभिप्राय भला क्या,
जब तक बात विशेष न हो तो।
मेरे लिए नहीं यह सम्भव,
यही काव्य का करम बेच दूँ।

--बृज राज किशोर 'राहगीर'

સમજાતું નથી #KAVYOTSAV -2

#kavyotsav


इश्क़ क्या है

इश्क़ दरकिनार है या इज़हार इश्क़ है
इश्क़ इनकार है या इकरार इश्क़ है
इश्क़ बेकरार है या करार इश्क़ है
इश्क़ बिखरना है या सँवरना इश्क़ है

इश्क़ फासला है या पास इश्क़ है
इश्क़ बेवफ़ा है या विश्वास इश्क़ है
इश्क़ मदहोशी है या होशो हवास इश्क़ है
इश्क़ कुछ नही है या इक आस इश्क़ है

इश्क़ बयां है या हया इश्क़ है
इश्क़ रोग है या दवा इश्क़ है
इश्क जोग है या दुआ इश्क़ है
इश्क़ भोग है या काया इश्क़ है

इश्क़ डूबना है या उबरना इश्क़ है
इश्क़ जलना है या पिघलना इश्क़ है
इश्क़ मरना है या मिटना इश्क़ है
इश्क़ छूटना है या छूना इश्क़ है

इश्क़ टूटना है या बनाना इश्क़ है
इश्क़ रूठना है या मनाना इश्क़ है
इश्क़ शिकायत है या इबादत इश्क़ है
इश्क़ गजब है या अदब इश्क़ है

यारों इश्क़ तो आँधियों में डटे उस पेड़ पर बने ख्वाबो के घोंसले की तरह है
मेहबूब पर आती मौत के सामने भी सीना तान के खड़े उस हौसले की तरह है