KAVYOTSAV Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

KAVYOTSAV Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful KAVYOTSAV quote can lift spirits and rekindle determination. KAVYOTSAV Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

KAVYOTSAV bites

વાસ્તવિકતા #KAVYOTSAV -2

#KAVYOTSAV --२
#प्रेम

वो नीम का पेड़

वो नीम का पेड़ अब भी मुझको..
यादों में रुराने आता है।
मैं खेलती नहीं न संग उसके..
सपने में बुलाने आता है।

रेशम और जूट -बने झूले...
मेरे घर में सजाये जाते हैं।
मुझे वक्त नहीं उसे छूने का..
डालियों पर झुलाने आता है।
वो नीम.......

अब कहां वो ताजी हवाएं हैं?
ये शहर भरे कारखानों से।
मैं सो नहीं पाती चैन से अब..
छांओं में सुलाने आता है।
वो नीम.......

वो दिन भर गुजरना संग उसके...
मैं भूल नहीं पाती अब तक।
बेफिक्री भरे वो दिन मेरे...
मुझे याद दिलाने आता है।
वो नीम .....

कितने ही उकेरे थे ,दिल उस पर...
क्या अब भी धड़कते होंगे वो?
हमें मिले हुए, इक ज़माना हुआ...
दिलवर से मिलने आता है।
वो नीम का पेड़ अब भी मुझको
यादों में रुलाने आता है..

सीमा शिवहरे "सुमन"
भोपाल मध्यप्रदेश

#Kavyotsav -2
#हास्य


मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो,
मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये,

तुम ए.सी. घर में रहती हो,
मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम मारुति का नया मॉडल हो
मैं पुराना स्कूटर लेम्ब्रेटा हूँ,

इस तरह अगर हम छुप - छुप,
कर आपस में प्यार बढ़ायेंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी
अमरीश पुरी बन जायेंगे,

सब हड्डी - पसली तोड़,
मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम क्रिसमस की सी जगमग जगमग
मैं मुहर्रम सी चीरती खाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो,
मैं मजदूरों की भूख हड़ताल प्रिये,

तुम हिरनी कुलाँचे भरती हो,
मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो,
मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये,

मैं अफ्रीकन बदसूरत सा
तुम कोमल कँचन काया हो,
मैं तन से, मन से कंगला हूँ,
तुम महाचञ्चला माया हो,

तुम हो पूनम का ताजमहल,
मैं काली गुफा अजन्ता की,
तुम हो वरदान विधाता का,
मैं गलती हूँ भगवन्ता की,

तुम बुलेट ट्रेन की शोभा हो,
मैं लोकल बस की ठेलमपेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम सुजाता की मिक्सी हो,
मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम पिस्टल सी अचूक निशाना
मैं हाथ मे फटता देसी कट्टा हूँ,

तुम चित्रहार का मधुर गीत,
मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ,
तुम विश्व सुंदरी सी महान,
मैं ठेला छाप कबाड़ी हूँ,

तुम एप्पल का मोबाइल हो,
मैं टेलीफोन वाला चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की,
मैं सागर तट का हूँ घोंघा,

तुम जीनत अमान सी जुल्फ सुंदरी
मैं शेखर कपूर वाली दाढ़ी हूँ,
तुम नूतन जैसी चंचल चुलबुली
मैं राजकपूर सा अनाड़ी हूँ

मैं दिल्ली का गन्दा नाला
तुम निर्मल पावन गंगा हो,
तुम राजघाट का शान्ति मार्च सी
मैं जैसे कोई हिन्दू - मुस्लिम दंगा हो

तुम राबड़ी सी भोली भाली
मैं धूर्त चालाक लालू हूँ,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की,
मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ,

तुम मोदी सी व्यस्त व्यस्त
मैं अडवाणी - सा खाली हूँ,
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की,
मैं पुलिस वाले की गाली हूँ,

तुम संसद की सुन्दरता हो,
मैं हूँ तिहाड़ की जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये ।

वाकई
बहुत ही मुश्किल है,
अपना मेल प्रिये..!

#kavyotsav -2
#કાવ્યોત્સવ -2


સાત સમંદર તરીને પણ આવીશ,
તું જાણ નહિ કરે તો પણ આવીશ.

તું ભલે છૂપાવ મહેચ્છા બધી તારી,
એને દિલમાં ઉતરી હું જાણી લઈશ.

ફૂલોથી મહેકાવિશ તારી ઇચ્છાઓનું શહેર,
એમાં,ખુશ્બુ બધી ઈતર જેવી છંટકાવિશ.

તારાં દિલમાં છું તને રાહ ન જોવડાવિશ,
ઈશ્વર સાથે વેર કરીને પણ તને મળવા આવીશ.

અરે!!,સઘળી દીવાલો હું જ વિખેરિશ,
તને,તલભાર પણ તકલીફ ન થવા દઈશ.

આ કથા આપણી હું દિલમાં મઢવિશ,
એને કલમના સહારે કાગળીએ નહિ છપાવિશ.

રવિ નકુમ 'ખામોશી'

#kavyotsav 2
#काव्योत्सव

भावनाप्रधान

#KAVYOTSAV -2

हाय! रे गर्मी

छुटकी गर्मी बोली अकड़कर,
अभी तो बड़की भी आएगी।
अभी तो हाय गर्मी बोला है,
वो हाय - हाय गर्मी बुलवाएगी।

कूलर तो फेल हो चुका है,
एसी भी फेल हो जाएगा।
टेबिल, सीलिंग फैन का जनाजा,
जल्द ही निकल जाएगा।

फ्रिज से बाहर निकलते ही,
पानी की ठंडक होगी गुल।
पसीने की गंगा - जमुना से,
मेकअप सारा जाएगा धुल।

शरबत पीना चाहें कोल्ड ड्रिंक,
राहत फिर भी नहीं मिलेगी।
जिस धूप को बुलाया था जाड़े में,
वो जून की दुपहरी में खिलेगी।

बरसात के भरोसे तो रहना मत,
वो तो कब्ज की शिकार है।
जरूरत पर न होती बूँदाबाँदी भी,
बिन जरूरत होती मूसलाधार है।

ज्यादा दुआ मत करना बारिश की,
वर्ना वो बाढ़ को लेकर आएगी।
निचले मकानों में रहने वालों के,
बर्तन, चप्पल आँगन में तैरवाएगी।

अभी तो बचुआ मई ही चल रही है,
जून का जलवे देखना बाकि है।
तुम्हारे शरीर का बहता हुआ पसीना,
बड़की गर्मी का खास साकी है।

मैं तो केवल ट्रेलर दिखा रही हूँ,
असली फ़िल्म तो आने वाली है।
मैं तो हूँ निरुपमा राय सी दुःखी माँ,
वो तो शादीशुदा बड़ी साली है।

आँधी का थप्पड़ खाकर मैं तो,
एक कोने में जाती हूँ दुबक।
पर बड़की को ये चोंचले पसंद नहीं,
ठंडी हवा को भी सिखा दे सबक।

ले आना कितने भी काले बादल,
वो गमस से और गर्मी बढ़ाएगी।
हो गयी जो हल्की - फुल्की बारिश,
तो उसकी लॉटरी लग जाएगी।

डाल - डालकर कूलर में ठंडा पानी,
और गटक - गटककर बर्फ ठंडी।
मेरा तो घोर बहिष्कार कर दिया है,
एसी का बटन दिखाए लाल झंडी।

पर बड़की के सामने एक न चलेगी,
वो आज की आधुनिक नारी है।
कूलर, एसी, फ्रिजवादी सोच पर,
उसकी अंगारी गर्माहट भारी है।

कल ही बड़की से मेरी बात हुई है,
सामान पैक करके वो लैंड करेगी।
लगा लेना एक कमरे में दो - दो एसी,
पर वो तुम्हारी एक भी न सुनेगी।

सोचोगे तुम इसे कैसे भगाएँ,
पर तुम्हारे कहे से वो न जाएगी।
तुम रोना चाहोगे ठंडी बर्फ के,
पर वो पसीने के आँसू रुलवाएगी।

जब काटे हैं जमकर पेड़ और जंगल,
तो फिर सजा भी तुम्हें भुगतनी है।
गर्मी के टोल टैक्स की पर्ची भी,
तुम्हारे नाम पर ही कटनी है।

नये पौधे के साथ सेल्फी खिंचवाकर,
अपने को पर्यावरण प्रेमी कहते हो।
फिर कभी उन पौधों की सुध न लेते,
इसीलिए घोर गर्मी को सहते हो।

सोशल मीडया पर पढ़ते हो मैसेज,
कभी उन पर अमल भी करो।
जब चाहते हो प्रकृति से लाभ,
तो धरती को हरियाली से भरो।

न होगा इस कविता को पढ़ने से कुछ,
जो मंथन करे बिना ताली बजायी।
ऐ! मानव सोचो प्रकृति के बारे में,
देखो दबे पाँव बड़की भी आयी।

प्रांजल सक्सेना