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“सहयोग कोई एहसान नहीं, बल्कि इंसानियत की पहचान है।
जो बिना शर्त दे — वही सच्चा साथ होता है।”

इस एक पंक्ति में छुपी है ज़िंदगी की सबसे बड़ी सीख।

ऐसी ही अनकही लेकिन महसूस की गई बातें हैं मेरी किताब “अग्निपथ – हर मोड़ एक कहानी” में —
जहाँ हर मोड़ पर एक नई सोच, एक नई जंग और एक नई कहानी है।

यह सिर्फ़ किताब नहीं है,
बल्कि हर उस इंसान का आईना है
जो जीवन से लड़ता है, गिरता है, लेकिन रुकता नहीं।

अगर आपको ऐसी कहानियाँ पसंद हैं जो दिल को छू जाएँ,
जो शब्दों में नहीं, जज़्बातों में उतरें —
तो यह किताब आपके लिए है।

📚 हर मोड़ एक सवाल छोड़ता है… और हर उत्तर आपको थोड़ा और मज़बूत बनाता है।

पढ़िए, महसूस कीजिए, और साझा कीजिए…
क्योंकि कहानियाँ तब तक ज़िंदा रहती हैं जब तक वो किसी दिल को छूती हैं।

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dhirendra342gmailcom

Book available link 🔗 👉https://notionpress.com/read/kaathagodaam-ki-garmiyaan

dhirendra342gmailcom

कहानी: "अधूरी पेंसिल" ✍️
(प्रेरणा की कहानी – लगभग 1000 अक्षर)

छोटे से गाँव में एक गरीब लड़का था – आरव। उसके पास स्कूल जाने के लिए न जूते थे, न बस्ता, और न ही नई किताबें। बस एक पुरानी कॉपी और आधी पेंसिल, जो उसके पिता ने मजदूरी कर के खरीदी थी।

एक दिन क्लास में टीचर ने कहा, “कल एक प्रतियोगिता है – जो सबसे सुंदर अक्षरों में लिखेगा, उसे इनाम मिलेगा।”
आरव के पास नई पेंसिल नहीं थी, पर उसके अंदर एक जिद थी – कुछ कर दिखाने की।

उस रात वह आधी पेंसिल को चाकू से छील-छीलकर नुकीला करता रहा। उसकी माँ ने देखा और पूछा, “इतनी मेहनत क्यों कर रहा है बेटा?”
आरव ने मुस्कुरा कर कहा, “माँ, ये पेंसिल भले अधूरी है, पर मेरा सपना पूरा है – जीतने का!”

अगले दिन प्रतियोगिता हुई। बच्चों ने रंग-बिरंगी पेंसिलों से लिखा, पर आरव ने अपने दिल से लिखा – साफ़, सुंदर, और भावपूर्ण।

जब परिणाम आया – सब चौंक गए। पहला इनाम आरव को मिला।

टीचर ने पूछा, “इतने साधनों के बिना कैसे?”
आरव ने कहा – “पेंसिल छोटी थी, पर हौसले पूरे थे।”

सीख:
जीतने के लिए साधन नहीं, संकल्प चाहिए। चाहे पेंसिल आधी हो, पर सपना पूरा होना चाहिए। 💪✍️✨

rajukumarchaudhary502010

ये शाम;
बड़ी निराली है...
कुछ धुंधली है,
कुछ काली है....
कुछ स्याह लगे से पन्नों सी,
कुछ उजली; कुछ मतवाली है....
ये शाम;
बड़ी निराली है....
अगर शहर के साथ चलो तुम,
टिम-टिम तारों वाली है....
अगर गाँव का; रुख कर लो तुम,
दिल दहलाने वाली है....
आज भी बीहड़, जर्ज़र भूमि,
बुला रही है; आ तो जाओ....
मत छोड़ो अपनों की धरती....
उसको जगमग कर दिखलाओ।।

kanchanrautelarawat160412

शेरों की मिट्टी — नेपाल की गाथा"
✍️ राजु कुमार चौधरी के जज़्बे से प्रेरित

हिमालय की छाँव में,
जहाँ हवाएँ भी बोलती हैं,
मिट्टी में छुपा है वो इतिहास,
जो हर दिल को झंकृत करती है।

गोरखों की तलवार नहीं,
उनकी धड़कन में है आग,
हर कदम उनकी जमीन पर,
है शेरों की आवाज़।

न कभी हार मानी, न कभी झुका,
रक्त में बहती है आज़ादी की नदियाँ,
हर प्राण यहाँ है समर्पित,
मातृभूमि के लिए अपनी लड़ाई में।

ब्रिटिश के कदम थमे यहाँ,
गोरखा के गर्जन से धरती काँपी,
यहाँ की मिट्टी ने सुनाई कहानी,
शौर्य की, जो अमर हो गई।

नेपाल नहीं सिर्फ एक देश,
यह तो स्वतंत्रता की मिसाल है,
जहाँ हर दिल में बसी है वो बात —
कभी न झुकने का जज़्बा, कभी न हार मानने का हाल है।
"कभी न झुका नेपाल – गोरखों की गाथा"

✍️ राजु कुमार चौधरी द्वारा

> हिमगिरी के आँचल में बसा,
एक देश है बलिदानों का।
न किसी ने जंजीर पहनाई,
न कोई शिकारी बना शिकार का।

ये वो भूमि है वीरों की,
जहाँ गोरखा पैदा होता है।
तलवार नहीं, गर्जना से ही
दुश्मन का दिल रोता है।

ब्रिटिश आए घोड़े लेकर,
सोचा था जीत लेंगे सब कुछ।
पर नेपाल की माटी ने बोला —
"यहाँ लड़ाई होती है सच्ची, न साजिशवाली साजिश!"

सुगौली की स्याही से,
नक्शे में कुछ धब्बे आए।
पर आज़ादी की आत्मा
फिर भी न झुकी, न मिट पाई।

न ताज गया, न राज गया,
न खुद्दारी की बात गई।
गोरखा बोला —
“मातृभूमि के लिए तो जान भी सौगात है भाई!”

न कभी मुग़ल, न तैमूर आया,
न ब्रिटिश बन सका मालिक।
ये नेपाल है —
यहाँ हर बच्चा भी जन्म से स्वतंत्र सैनिक।




---

> 🌄 नेपाल कोई देश नहीं, एक प्रेरणा है।
🌪️ यहाँ न गुलामी आई, न आज़ादी गई।
🚩 क्योंकि यहाँ के लोग लड़ना नहीं, मरना जानते हैं — पर झुकना नहीं।

🇳🇵 "गोरखा का खून – नेपाल की आज़ादी की कहानी"

✍️ लेखन: राजु कुमार चौधरी

भाग 1: हिमालय के साए में जन्मा एक स्वाभिमान

सन 1814 —
हिमालय की गोद में बसा एक छोटा, लेकिन स्वाभिमानी देश — नेपाल।

यहाँ के लोग खेत में किसान, और युद्ध में शेर होते थे।
हर बच्चा जब जन्म लेता, माँ कहती —

> "बेटा, ज़िंदा रहो तो देश के लिए… और मरो, तो भी देश के लिए!"



इस कहानी का नायक — वीर बहादुर सिंह — गोरखा सैनिक।
उसकी आँखों में आग थी, सीने में देशभक्ति, और हाथ में तलवार।
उसका सपना था — नेपाल को किसी का गुलाम नहीं बनने देना।


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भाग 2: अंग्रेज़ी चाल और गोरखा की ढाल

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चारों तरफ साम्राज्य फैला रखा था।
भारत, बर्मा, श्रीलंका — सब उनकी मुट्ठी में थे।

पर जब उन्होंने नेपाल की तरफ देखा —
उन्हें लगा, “ये तो छोटा सा पहाड़ी देश है, इसे तो एक हफ्ते में झुका देंगे।”

गलती कर बैठे साहब लोग!

गोरखा सैनिकों ने कहा —

> “तुम बंदूक लाओ, हम हिम्मत लाएंगे।
तुम बारूद लाओ, हम भरपूर जज़्बा लाएंगे!”




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भाग 3: गोरखा युद्ध – जब ज़मीन हिली और इतिहास चिल्लाया

1814 में अंग्रेज़ों ने हमला किया।
लेकिन पहाड़ों की घाटियों से आवाज़ आई —

> “यहाँ हर पत्थर भी दुश्मन के लिए गोली बन जाएगा!”



वीर बहादुर सिंह ने अपनी छोटी सी टुकड़ी के साथ अंग्रेज़ों की फौज को रोक लिया।
कुरसे की पहाड़ी लड़ाई में अंग्रेज़ जनरल गिलेस्पी मारा गया —
ब्रिटिश अखबारों ने लिखा:

> “गोरखा सैनिक नहीं, बवंडर हैं!”




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भाग 4: संधि, लेकिन समर्पण नहीं

दो साल की लड़ाई के बाद, अंग्रेज़ थक गए।
उन्होंने सुगौली संधि की पेशकश की।

कुछ ज़मीन गई — हाँ,
लेकिन नेपाल की आज़ादी बची रही।

राजा ने कहा:

> "हम ज़मीन खो सकते हैं, पर आत्मसम्मान नहीं।
गुलामी का एक इंच भी हमें मंज़ूर नहीं!"




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भाग 5: आज़ादी की मिसाल – आज का नेपाल

आज भी, जब कोई बच्चा नेपाल में पैदा होता है,
उसकी नसों में गोरखा का खून दौड़ता है।

वीर बहादुर सिंह की गाथा आज स्कूलों में पढ़ाई नहीं जाती —
क्योंकि वो किताबों में नहीं, लोगों की रगों में ज़िंदा है।

और अंग्रेज़?
उन्होंने बाद में गोरखा सैनिकों को अपनी सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया,
क्योंकि जो जीत न सके — उसे साथ रखना ही बेहतर समझा।


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🎯 सीख क्या है?

> "जिस देश में हिमालय है और दिलों में आग है —
उसे कभी कोई गुलाम नहीं बना सकता।"
📚 राजु कुमार चौधरी
✍️ लेखक | कवि | कहानीकार
📍प्रसौनी, पर्सा, नेपाल

"हर शब्द में जादू, हर कहानी में रहस्य"
यहाँ आपको मिलेंगी —
🌀 जादुई कथाएँ
💔 दिल छू लेने वाली प्रेम कहानियाँ
👻 रहस्यमयी घटनाएँ
🔥 संघर्ष और प्रेरणा की अनसुनी दास्तानें

📖 अगर आपको कहानी में खो जाने का शौक है, तो आप सही जगह आए हैं।
हर दिन कुछ नया, कुछ अनदेखा... सिर्फ आपके लिए।

🙏 पढ़ें, पसंद करें, टिप्पणी करें — और मेरी रचनात्मक यात्रा में साथी बनें।
📬 सुझाव और विचारों का स्वागत है

rajukumarchaudhary502010

🙏શેફાલી જરીવાલા🙏
ગઈકાલ હતી...ને...દુનિયામાં
આજે નથી..અસ્થિ વિસર્જન

harshadpatel194722

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
કરમાયેલી લાગણીને ખીલવાની આશ છે!

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
રણ સમા આ હ્દયમાં મૃગજળી આભાસ છે!

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
શમી ગયેલ ભૂતકાળનો સહવાસ છે!

તારી આંખોની ભીનાશ આ ખાસ છે,
મારી નજરનો જ્યાં અટકેલો પ્રવાસ છે!

-નીલકંઠ

neelkanthvyas3915

ના પૂછો કેવી રીતે રહીએ છીએ,
દાઝીએ છીએ તોય મલકીએ છીએ...
- પાર્થ પ્રજાપતિ

parthprajapati9646

मोहब्बत हैं तुम से
मेरे दिल में तुम बस्ती हो

हम कैसे बसा ले किसी ओर को
जब तुम मेरी साँसो में बस्ती हो..

टूट कर हम नहीं बनते, बिखर जाते हैं हर तरफ
हम हैं एक दर्पण, हमारा तस्वीर नहीं बनता

साँसो का चलना
मन से रुक जाना
जिंदगी का प्रमाण नहीं हैं..

मोहब्बत हैं तुम से
मेरे दिल में तुम बस्ती हो


पवन का चलना
दिया का मुझ जने से
मृत्यु का संकेत नहीं होता।

stdmaurya.392853

કાંટા લગા ગર્લ....
શેફાલી જરીવાલા આજે આપણી વચ્ચે હયાત નથી
ગઈકાલે ર્હદયની કોઈ બીમારી ને કારણે તેને હાર્ટ એટેક આવ્યો હતો
કહેવાય છે કે પહેલો પ્રેમ કદી ભુલાતો નથી શેફાલી પણ પહેલા બિગબોસમાં કામ કરતા એક શ્રીદ્ધાર્થ નામના એક્ટર સાથે તેને પ્રેમ હતો પણ તેમનો પ્રેમ લગ્નમાં પરિણામે તે પહેલા તે પણ શેફાલીને છોડીને પરલોક ચાલ્યો ગયો
મારતા પહેલા શેફાલીની એક પોસ્ટ

harshadpatel194722

मैं अपनी जान से भी ज्यादा
प्यार तुझ से करता हूं
पर तेरे गम ए जुदाई के
अहसास से ही डरता हूं

गजेंद्र

kudmate.gaju78gmail.com202313

વિષય: રથયાત્રા
શીર્ષક: જીવનરૂપી રથ
પ્રકાર: ગદ્ય (અછાંદસ)

પિંડમાં પ્રસ્થાપિત પરમાત્માની પ્રાપ્તિ,
મનથી મનોરથના મહોત્સવની ઉજવણી...
આત્માથી પરમાત્માની પરમ અનુભૂતિ,
રથયાત્રા એ શ્રીજગન્નાથજીની પાવન ઝાંખી...

આ રથયાત્રા માત્ર બહાર દોડતા રથની યાત્રા નથી, એ તો અંદર દોડતા મનની યાત્રા છે...
જયાં ભક્તિરૂપ રશ્મિઓથી જોડાયેલા ઘોડાઓ છે,
વિશ્વાસની પાંખો છે,
અને અહંને ત્યજી મુક્તિ તરફ દોડતું મન છે...

એ જ છે યાત્રાનું સચ્ચું સ્વરૂપ.
એ જ છે “મનોરથ”.... મનની ઈચ્છા નહી, મનની શ્રદ્ધા.

આ યાત્રા આંખની નહીં, અંતરદ્રષ્ટિની છે;
સ્પર્શથી નહીં, શ્વાસમાં થતી હાજરીની છે.
જ્યાં નયનમાં દર્શન ન હોય,
ત્યાં અંતરમાં અલૌકિક અનુભૂતિ હોય...
એ જ સચ્ચી યાત્રા છે, એ જ છે પરમ સાક્ષાત્કાર...
ભગવાનનો પ્રેમભર્યો સ્પર્શ...
ભગવાન જગન્નાથ સૌના જીવનરૂપી રથને યોગ્ય દિશા આપે,
અને સૌના અંતરમનમાં વાસ કરે…
જય શ્રીજગન્નાથ...
જય શ્રીકૃષ્ણ
રાધે રાધે...

દર્શના "મીતિ"

jari

अधिक महत्वपूर्ण है। 🍁✨

arrugochhayat04gmail.com171627

*Dream*
मैंने उसे विदा किया था,
पर शायद दिल ने नहीं।
मौन का अर्पण अधूरा था,
कुछ अश्रु, कुछ मौन, और अपूर्ण स्पर्श।

मैंने दूसरों को मर्यादा सिखाई,
पर खुद की पीड़ा को न समझ पाई।

फिर वो लौटा…
एक और बार बिछड़ने,
शायद ये अंतिम बार हो।

इस बार,
मैं पूर्ण समर्पण करना चाहती हूँ —
रूह का उपहार
शांति से भरा अंतिम मौन,
एक सम्पूर्ण विदा।
_Mohiniwrites

neelamshah6821

*A Soul Journey*
Ek Dream..
"उसने मेरा इंतज़ार किया था..."

वो पल आया —
ज़िंदगी की एक नई राह सामने थी,
मैं भागी… पर कुछ पल देर हो गई।

वो वहाँ था —
नज़रों से दूर, लेकिन दिल के सबसे करीब।

वो आगे बढ़ गया,
उस सफ़र पर जो हमारी तक़दीर के नक्शे में लिखा था।
पर कदम ठिठक गए —
मेरे बिना वो रास्ता अधूरा लगा।

वो लौटा —
जैसे मेरी रूह की पुकार सुन ली हो।

मैंने भी फिर एक और मोड़ लिया,
नई राह, नया रास्ता चुना…
पर उसकी मौजूदगी की परछाई अब भी साथ थी।

मैंने पलट कर देखा —
वो दूर खड़ा था…
शायद सोच रहा था,
क्या मैं उसके बिना चल पाऊँगी?
या
क्या वो मेरे बिना कहीं गया ही नहीं?

🌙
"सफ़र बदला, रास्ते बदले…
पर दिल अब भी उसी मोड़ पर ठहरा है।"
_Mohiniwrites

neelamshah6821

महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) का इतिहास।
https://www.matrubharti.com/book/19948873/maharana-sanga-maharana-sangram-singh

Mohan Dhama प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/mohandhama175046

thebapparawal741785

પ્રેમી કલમ માટે ખાસ આમંત્રણ

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vrundajani

Tu Mera Tha..

Vo sanam tha,
meri baahon mein,
Jal gaya khwab, chhod gaya dhoon mein.

Dard se dard mita nahi,
Jism se rooh juda si hui kahi.

Jadoo sa tha, par ho gaya fanaa,
Sitamgar tha, par dil ne chaha.

Mayusi ke is intezaar mein,
Aankhon se dard chhalak gaya

Tu mera tha — meri jaan,
Dhadkan, pyaas, aur bepanah armaan
_Mohiniwrites

neelamshah6821

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किए गए समाज सुधार के कार्य।
https://www.matrubharti.com/book/19937295/social-reform-work-done-by-chhatrapati-shivaji-maharaj

Praveen kumrawat प्रोफ़ाइल लिंक — https://www.matrubharti.com/praveenkumrawat012852

bapparawal418006

🧠 “जहाँ डर खत्म होता है, वहीं से ज़िंदगी जीतना शुरू करती है…”

अगर कभी आपको ऐसा लगा हो कि आप अंदर से टूट चुके हैं… कि डर, असफलता और दूसरों की राय ने आपको रोक रखा है — तो “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” आपके लिए है।

यह सिर्फ एक किताब नहीं, एक मार्गदर्शक है — जो आपको बताती है कि हार मानना स्वाभाविक है, लेकिन उसी हार में छुपी होती है जीत की पहली सीढ़ी।

📖 इस किताब में पढ़िए:
🔹 मनोवैज्ञानिक डर और उसके पीछे छुपी सोच
🔹 नया काम शुरू करते समय मन कैसे आपको रोकता है
🔹 और कैसे आप अपनी सोच को जीत में बदल सकते हैं

अगर आप self-help, personal growth और motivation जैसी किताबें पढ़ते हैं, तो ये किताब आपके जीवन की दिशा बदल सकती है।

📚 अब उपलब्ध है: Amazon, Flipkart, Kindle, Notion Press
✍️ लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट

#मनकीहार_जिंदगीकीजीत
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హార్ట్ టచింగ్ రొమాంటిక్ సస్పెన్స్ లవ్ స్టోరీ.. కొత్త పార్ట్ రిలీజ్ అయింది ఇప్పుడే చదవండి.

vasireddyvarna104414

📘 “फोकटिया” — जब रिश्ते बोझ बन जाएँ…

कभी आपने किसी को दिल से निभाया हो, बिना शर्त, बिना स्वार्थ… और बदले में सिर्फ चुप्पी, ताने या इस्तेमाल मिला हो?
अगर हाँ, तो “फोकटिया” आपकी अपनी कहानी है — जिसे लिखा है दिल से, धीरेन्द्र सिंह बिष्ट ने।

यह सिर्फ एक दोस्त की कहानी नहीं है। यह उस हर एकतरफा रिश्ते की दास्तान है, जहाँ आप बस देते हैं — समय, पैसा, भावनाएँ — और बदले में सिर्फ खालीपन मिलता है।

“मैंने माफ़ किया, मगर भुलाया नहीं — क्योंकि वो यादें अब मेरी ताकत हैं।
मैं किसी को गिराना नहीं चाहता, लेकिन खुद को अब और नीचे नहीं झुकाना चाहता।”

📖 “फोकटिया” सिर्फ पढ़ने की किताब नहीं है — यह एक आईना है, जो आपको आपके ही जीवन के उन किरदारों से मिलवाएगा जिन्हें आप अब तक नज़रअंदाज़ करते आ रहे थे।

यह कहानी आपको सिखाएगी:
🔹 कब ‘ना’ कहना ज़रूरी होता है
🔹 कब चुप रहना कमजोरी नहीं, समझदारी होती है
🔹 और कब किसी रिश्ते को छोड़ देना ही खुद से वफ़ा होती है



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