Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

दिनांक ०२/१०/२०२५ रोजी ई साहित्य प्रतिष्ठान वर प्रा. श्रीराम काळे यांचा*टुरिंग टॉकीज*कथासंग्रह
लेखक प्रा. श्रीराम काळे यांचा टुरिंग टॉकीज म्हणजे कोकणच्या सुंदर पार्श्वभूमीवरच्या मजेदार कथांचा संग्रह. हा कथासंग्रह म्हणजे कोकणातील परंपरांचा सुगंध आणि आजच्या काळाशी जोडणारा पूल आहे. या कथा कदाचित एखाद्या वाड्याच्या ओसरीवर, वडाच्या झाडाखाली किंवा गावच्या चौकात संध्याकाळच्या गप्पांमध्ये सांगितल्या गेल्या असतील; पण त्यांचा भावविश्वावरचा परिणाम खोलवर रुजलेला आहे. कारण काळ बदलला तरी मानवी मनातील भावना, विचार आणि वृत्ती कायम तशाच राहतात.
या कथासंग्रहात लेखकाने कोकणातील प्रथा, परंपरा, समजुती, हेवेदावे आणि त्यातून निर्माण झालेल्या गावोगावच्या आख्यायिकांना शब्दांत गुंफलं आहे. एका लग्नाची गोष्ट, पडपड आंब्या, टूरिंग टॉकीज, देवाचं देवपण, थंड झाल्यार खावचा, दातारांचा त्रिपुर आणि लिंग्या गुरुवाला लॉटरी लागली या सात कथा कोकणच्या साध्या पण गहिऱ्या अनुभवांना शब्दरूप देतात. जसं टूरिंग टॉकीज गावोगाव फिरत चित्रपट दाखवायचं, तसंच या कथा कोकणातील आठवणी, नाती, सवयी आणि चमत्कारांच्या कथांनी आपल्या मनापर्यंत पोहोचतात.
कोकण ही फक्त निसर्गसौंदर्याची भूमी नाही; इथल्या समुद्रकाठच्या वाऱ्यांत, लाटांच्या गाजेत, भातशेतीच्या मातीच्या सुगंधात आणि डोंगरदऱ्यांतून वाहणाऱ्या ओढ्यांत एक सातत्यपूर्ण अनुभव दडलेला आहे. या अनुभवात कोकणच्या बोलीचा गोडवा, माणसांचं रोजचं जगणं, त्यांच्या श्रद्धा-समज आणि त्यांच्या भोवतालचं गूढविश्व सामावलेलं आहे. टूरिंग टॉकीज हा कथासंग्रह म्हणजे या अनुभवांचा जिवंत दस्तऐवज आहे.
सुनिळ सामंत (ई साहित्य प्रतिष्ठान)

ysnyrsno2175.mb

best sayri in lotus 🪷 special

rohittalukdar7180

में तुम्हारे पहले चेहरे का आशिक़ था

अगर में तुम्हारा दूसरा चेहरा पहले ही देख पाता तो इश्क़ किया तुम्हारी तरफ़ देखना भी पसंद नहीं करता

rohittalukdar7180

मुझसे कुछ तो शायरी बोलती है फिर खुद मेरी डायरी खोलती है

rohittalukdar7180

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 सच और सृजन का संगम, यह कविता अनेक रूपों को दर्शाती हुई क्या कहती है यही कविता में दर्शाया है

mamtatrivedi444291

Mein paani tu kinara
Iss duniya mein tu sahara

Mein chidiya to tu
Uss panchi ka asamaan

Jisne mujhse rone se
Hasna sikhaya
Meri hasi ko sundar bataya

Subah tu raat tu
Har din iss dil mein
Baasne wali awaj tu

Jo Maan ko bhajaye
Vo eshaas tum
Jisse na bhul paye
Vo yaad ho tum

Agar mein novel hu
Uss ki puri kahani tum ho
Dost tum yaar tum
Jisne jeena sikhaya
Voh pyar tum

Nhi janti kon tum
Pyar Dil ko pata hai
Kya ho tum

Aankhe aisi jo
Heartless mein bhi
Pyar bhar de

Baatein aisi jo
Khamosh ko bhi hasa de

Behaviour means vyaktitva
Aisa jo deewana bana de

Nhi janti ki pyar kya hai
Par agar hai toh tum ho voh pyar
Prem

Mi innamoro di te Raghav, non so come ma i tuoi occhi, la tua voce, il tuo comportamento e la cosa più importante Le tue parole e i tuoi consigli sono la risposta a ogni problema.
Mi innamoro di te Raghav,
Mi innamoro di te Raghav

poem by Gunjan gayatri

gunjangayatri949036

**बढ़ती उम्र का लिवास**

धीमे-धीमे घटता नहीं है जीवन का सागर,
बस बदलता है उसका रूप, उसका आकार।
सफेद होते बालों में छुपी है कहानी,
वक्त की नर्म छुअन, यादों की रवानी।
हाथों की लकीरों में लिखा अनगिनत संघर्ष,
हर लहर में है जिंदगी का एक अवलंब।
धीमी पड़ती सांसों में भी गूंजता है शोर,
फ़र्क़ बस इतना है कि अब कम है दौर।
यह उम्र नहीं है बोझ, ना कोई बंदिश,
यह एक सुकून है मन की, वक्त की गंध।
संघर्ष से परे अब मिलेगा विश्राम,
जहाँ आत्मा पाएगी अपना स्वाभिमान।
बढ़ती उम्र का यह लिवास है वरदान,
स्नेह, सम्मान और प्रेम का महान।
जो पाता इसे, वह समझता है सच,
जीवन का संगीत है, इस धीमी गति का मधुमय स्पर्श।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

कब्र तक पहुंच जाते जनाब,बड़ी देर करदी आने मे
वो तो हम अब तक होश मे है, बड़ी भीड़ लगी थी मयखाने मै .

कुछ कर भी नहीं सकता तेरा, तू आज भी मेरा कल भी मेरा
तुझसे जुदा मै रहे नही सकता ,तू पल भी मेरा तू भर भी मेरा .

लगी थी आग पानी में, जमाने लगे बुझाने मे
ओरो पर इतना भरोसा, बस हमसे शर्म लगी बताने मे .

mashaallhakhan600196

कुछ भी नहीं होना चाहिए
बेवजह इस जहाँ में
अरे यहाँ तो पैदाइश पर भी
सौ सवाल उठाये जाते है।

गजेंद्र

kudmate.gaju78gmail.com202313

अध्याय 1 — सौंदर्य का जन्म ✧

✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

आरंभ में कुछ नहीं था —
न रूप, न रंग, न शब्द, न ध्वनि।
बस एक मौन था,
जो स्वयं को देखना चाहता था।

देखने की उसी चाह से
सृष्टि की पहली लहर उठी।
और जब चैतन्य ने स्वयं को प्रतिबिंबित किया,
वहीं से सौंदर्य का जन्म हुआ।

सौंदर्य कोई वस्तु नहीं,
वह आत्मा की तरंग है —
जो पंचतत्व में उतरकर
रूप ले लेती है।

मिट्टी ठहरना चाहती थी,
जल बहना,
अग्नि जलना,
हवा नाचना,
आकाश सबको थामे रहना।
जब ये पाँचों तत्व
एक साथ चैतन्य के स्पर्श में आए —
तब सृष्टि मुस्कराई,
और उसी मुस्कान का नाम पड़ा — सौंदर्य।

सौंदर्य पहली दृष्टि में नहीं,
पहले अनुभव में था —
जहाँ कोई देखने वाला नहीं था,
केवल देखा जाना था।

जब देह बनी,
तो सौंदर्य सीमित हो गया।
अब वह रूप बन गया —
कभी स्त्री का, कभी पुरुष का,
कभी फूल का, कभी तारों का।
पर असल में,
हर रूप के पीछे वही चेतना थी
जो स्वयं को पहचानना चाहती थी।

स्त्री उस चेतना का ग्रहणशील भाग है,
पुरुष उसका दर्शक भाग।
एक भीतर झिलमिलाता है,
दूसरा बाहर से झांकता है।
दोनों में ही सौंदर्य है —
क्योंकि दोनों ही अधूरे हैं।

सौंदर्य पूर्णता नहीं,
अधूरापन का नृत्य है।
जहाँ एक दूसरे की ओर झुकता है,
वहाँ से अस्तित्व खिलता है।

रूप का सौंदर्य तभी तक है
जब तक भीतर की रोशनी उसे छूती रहती है।
जिस दिन चेतना पीछे हटती है,
रूप मिट्टी बन जाता है।

इसलिए जो केवल देखने में रुक जाता है,
वह सौंदर्य खो देता है।
और जो देखने के पार पहुँच जाता है,
वह स्वयं सौंदर्य बन जाता है।

क्योंकि सौंदर्य का असली जन्म
बाहर नहीं,
भीतर होता है —
जहाँ कोई “मैं” नहीं,
सिर्फ एक मौन साक्षी रह जाता है।

वही साक्षी —
वही चैतन्य —
वही सौंदर्य।

अगला अध्याय “रूप और दृष्टि का संवाद”

bhutaji

आज के समय में शादीशुदा मर्दों को किसी और औरत से रिश्ता बनाना मुश्किल नहीं रहा।
वे जानते हैं कैसे किसी की कमजोरी, अकेलेपन या झूठे स्नेह के बहाने दिल में जगह बना लेनी है।
लेकिन असल सवाल यह है —
क्या गलती सिर्फ़ मर्दों की है?
क्योंकि दूसरी तरफ़ की औरत भी जानती है कि वह किसी की पत्नी को दुख दे रही है।
फिर भी बहुत कम ऐसी औरतें मिलती हैं, जो साफ़-साफ़ कह दें —

> “नहीं, तुम्हारी पत्नी जैसी भी है, तुम्हारी ज़िम्मेदारी है।
मैं किसी के बीच नहीं आऊँगी।”



अगर हर औरत यह “ना” कह देती,
तो शायद
घर टूटने से बच जाएंगे।

archanalekhikha

have love and get life

kattupayas.101947

plans vs life

kattupayas.101947

ask help when you are in trouble

kattupayas.101947

mm let's fight

kattupayas.101947

Good evening friends..

kattupayas.101947

ye meri post thi . idhar se thik 300 mtr pakistan ki post thi . bahut maja aata tha aaps me gali dene ka aur fire karne ka aaj yad aaya laga diya

virdeepsinh

खोया क्या
फिर दुख कैसा..
पाकर भी तो
खोना ही है..
--#डॉ_अनामिका --
#हिंदी_का_विस्तार #हिंदीशब्द
#हिंदी_पंक्तियाँ

rsinha9090gmailcom

सुनिए प्रयाग शुक्ला की कहानी सामन जो राजेंद्र यादव के कहानी संग्रह "एक दुनिया समानांतर" में संकलित है।

https://youtu.be/B6eCiGYJ7GQ?si=j9Jf66RtTU_ejSua\

lk2433554gmail.com182641

https://s.daraz.com.np/s.p3SN?ccमातृभारती पर मुझे फॉलो करें,

https://www.matrubharti.com

भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!

rajukumarchaudhary502010

कभी-कभी...
ज़िंदगी कुछ ऐसे मोड़ पर ले आती है,
जहाँ "रोकना" भी मुश्किल होता है... और "जाने देना" भी।
ऐसे ही किसी पल में... एक लफ़्ज़ दिल से निकलता है — “इजाज़त”......

ritu5403

सूत्र : धर्म और ईश्वर की भ्रांति

सारे रंग उसके हैं —
फिर भी मनुष्य नए रंग और रूप गढ़कर
अपना ईश्वर बना लेता है।

जो है, वही सब कुछ ईश्वर है —
फिर भी मनुष्य उसे बाँट देता है,
कहता है — “यह मेरा ईश्वर है।”

इस तरह वह अनगिनत जन्मों तक
ईश्वर को जान नहीं पाता।

वह स्वयं ईश्वर की लीला है,
और फिर भी अलग ईश्वर रच रहा है।
सड़कें, शहर, साधन — ये मनुष्य के हैं,
पर वृक्ष, नदियाँ, ऋतु, आकाश —
सब उसी के रंग हैं।

वह स्वयं बो रहा है,
स्वयं पाल रहा है,
स्वयं संहार कर रहा है।

फिर भी मनुष्य पूछता है —
“मेरा ईश्वर कौन है?”

शायद वह अपने को
अस्तित्व से अलग मान बैठा है,
अपना निजी अस्तित्व गढ़ना चाहता है।

यही असंभव प्रयास —
बंधन है, अंधकार है, अज्ञान है।

और इसी अंधकार का नाम तुमने धर्म रख दिया है।

— ✍🏻 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

bhutaji