Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

Happy Sunday evening

kattupayas.101947

Think positive

kattupayas.101947

bhudda the great

kattupayas.101947

Just one step

kattupayas.101947

Good evening friends

kattupayas.101947

"इच्छा से वासना तक — जीवन ऊर्जा का रहस्य"
🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

इच्छा – यह जीवन की पहली चिंगारी है। भीतर का पहला जागरण। जन्म लेने के साथ ही आँख खुलती है, भूख-प्यास उठती है, जिज्ञासा जन्म लेती है। यही मूल गति है — सृजन का बीज। इच्छा कभी स्वप्न बनती है, कभी हक़ीक़त को आकार देती है।

काम – इच्छा की शाखाएँ। इच्छा जब गति पकड़ती है तो काम बन जाती है। काम के कई रूप हैं — भोजन की खोज, भूख-प्यास का तृप्ति, स्पर्श-सुख, दृष्टि का आनन्द। यह सब शरीर और जीवन की बुनियादी गतियाँ हैं। काम भीतर से भी उठ सकता है (ऊर्जा, स्वप्न, कल्पना), और बाहर भी प्रकट हो सकता है (स्त्री-संबंध, रचना, आनंद)।

सेक्स – काम का एक विशिष्ट रूप, जो शरीर और प्रजनन से जुड़ा है। सही जगह और सही दृष्टि से यह प्रेम और रचनात्मकता में बदल सकता है, लेकिन केवल भोग की दृष्टि से यह सीमित और गिरा हुआ रूप है।

वासना – जब इच्छा या काम को अनुचित, अनीतिगत या दमनकारी ढंग से पकड़ लिया जाता है। जैसे स्त्री को केवल भोग की वस्तु मानना, या धन/विषय/पद को पाना किसी भी कीमत पर। वासना का केंद्र असंतुलन और स्वार्थ है।

इच्छा — पहली गति

शास्त्र प्रमाण: ब्रह्मसूत्र कहता है – “लोकवत्तु लीला कैवल्यम्” — सृष्टि ब्रह्म की लीला है, इच्छा की पहली लहर है।

सूक्ष्म रहस्य: इच्छा जीवन की आँख है। जब शिशु जन्म लेता है, उसका पहला रोना भीतर उठी इच्छा की ध्वनि है। यही "मैं होना चाहता हूँ" की घोषणा है।

---

2. काम — मूल प्रवृत्ति

शास्त्र प्रमाण: कामसूत्र और ऋग्वेद में "काम" को सृष्टि का प्रथम देवता कहा गया — “कामस्तदग्रे समवर्तताधि” (ऋग्वेद 10.129.4)।

सूक्ष्म रहस्य: काम सिर्फ़ यौन ऊर्जा नहीं है, यह मूल आकर्षण है जिससे जीवन बहता है — अन्न की ओर आकर्षण, संगीत की ओर आकर्षण, साथी की ओर आकर्षण।

---

3. सेक्स — काम का विशेष रूप

शास्त्र प्रमाण: उपनिषद कहते हैं — “स योषित्संगो लोको वै स लोकः” — स्त्री-पुरुष का संग प्रजनन और जीवन की निरंतरता का साधन है।

सूक्ष्म रहस्य: सेक्स ऊर्जा के बहिर्मुख रूप में है। यदि इसे प्रेम और ध्यान में बदला जाए, तो यही ऊर्जा भीतर उठकर समाधि का द्वार बनती है।

---

4. वासना — विकृति

शास्त्र प्रमाण: गीता कहती है — “कामेष क्रोधेष रजोगुणसमुद्भवाः महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्” (गीता 3.37) — काम जब वासना बन जाता है, तो वही महापाप और वैरी है।

सूक्ष्म रहस्य: वासना वह जगह है जहाँ ऊर्जा दबी या विकृत होकर निकलती है। इच्छा का निष्कपट बीज यहाँ तृष्णा और स्वार्थ में बदल जाता है।

---

5. सीढ़ी का रहस्य

इच्छा → काम (मूल लहर)

काम → सेक्स (एक शाखा)

सेक्स → प्रेम (अगर चेतना है)

प्रेम → समाधि (ऊर्जा का आरोहण)

सेक्स → वासना (अगर अनीति है)

वासना → बंधन (लत और पीड़ा)

👉 इसलिए शास्त्र कहते हैं:

वेद: काम सृष्टि की जड़ है।

गीता: वासना बंधन है।

उपनिषद: सेक्स भी ध्यान का द्वार बन सकता है।

तंत्र: काम ही समाधि का पुल है।

🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

bhutaji

मुश्किलें चाहे जितनी आएं, हौसला मत खोना,
अंधेरा चाहे गहरा हो, सुबह जरूर होना।

ganeshkumar6818

આપ શ્રી કોઈને પણ કોઈ હેલ્પ ની જરૂર હોય તો આ શ્રીમાન નો contact કરવો એેમને...એમનો નંબર સામેલ કરેલ છે..જી.. કોઈ ખોટી ધારણા નાં રાખવી ખૂબ સારી નિયત થી જસ્ટ ladies ની હેલ્પ કરવા જ આગળ વધે છે... 🙏

nikitavinzuda6548

निन्द आये या ना आये
पर ख्वाब कभी आना बन्द नही होते .

mashaallhakhan600196

ईश्वर की प्रसन्नता और मानव की भ्रांति ✧
मनुष्य का स्वभाव है कि वह प्रसन्नता और अप्रसन्नता को हमेशा बाहरी साधनों से जोड़कर देखता है।
कभी किसी को उपहार देकर, कभी मधुर शब्दों से, कभी मन बहलाकर — वह दूसरों को प्रसन्न करता है। यही संसार के नियम हैं।

जब मनुष्य ईश्वर की ओर बढ़ता है, तो यही तरकीबें वहाँ भी आज़माता है।
वह सोचता है — जप, व्रत, हवन, त्याग या भेंट से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है।
किन्तु यह धारणा स्वयं में एक गहरी भ्रांति है।

---

देवता और मानव का अंतर

मानव-मन कल्पना में बंधा है।
वह शब्द, वस्तु और भावनाओं की अदला-बदली से तुरंत प्रभावित हो जाता है।
परंतु ईश्वर अथवा देवत्व की सत्ता इन काल्पनिक विनिमयों से परे है।

उसे न प्रसन्न किया जा सकता है और न अप्रसन्न —
क्योंकि वह मानव-स्वभाव के द्वैतों से पूर्णतया मुक्त है।
यदि कोई देवता बाहरी विधान या अर्पण से प्रसन्न होता प्रतीत होता है,
तो समझना चाहिए कि वह मनुष्य की मानसिक कल्पना का ही प्रतिरूप है।

---

प्रसन्नता का असली स्रोत

सच्ची आध्यात्मिकता में ईश्वर की प्रसन्नता कहीं बाहर नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर है।
जब अंतःकरण निर्मल होता है, वासनाएँ शांत हो जाती हैं, और प्रेम का प्रवाह भीतर से उमड़ता है —
तब आत्मा स्वयं आनंदमय हो उठती है।

यही आंतरिक आनंद ही ईश्वर का सच्चा प्रसाद है,
और यही वास्तविक "ईश्वर की प्रसन्नता" कहलाता है।

---

भक्ति और अहंकार

मनुष्य अक्सर अपनी भक्ति को भी अहंकार का साधन बना लेता है।
"मैंने इतने उपवास किए", "मैंने इतने मंत्र बोले", "मैंने इतना दान दिया" —
ये सब अहंकार के अंक हैं, भक्ति नहीं।

भक्ति का सार निष्काम भाव है —
जहाँ न प्रसन्न करने की इच्छा होती है और न फल पाने की लालसा।
जब प्रेम सहज रूप से बहता है और आनंद स्वाभाविक हो जाता है,
तभी ईश्वर का साक्षात्कार संभव है।

---

दार्शनिक निष्कर्ष

ईश्वर को प्रसन्न करना किसी कर्मकांडीय विधि से संभव नहीं।
वह स्वयं में परिपूर्ण आनंद है।

साधक का प्रयास केवल इतना होना चाहिए —
कि वह अपने भीतर वही आनंद खोज ले, वही प्रेम जागृत कर ले।
तभी ईश्वर का अनुभव होता है —
प्रसन्नता के रूप में नहीं, बल्कि आत्मानुभूति के रूप में।

वस्तुतः "ईश्वर की प्रसन्नता" का सही अर्थ है —
आपकी अपनी आत्मिक अनुभूति।
और इस अनुभूति तक पहुँचने का मार्ग है —
स्वयं को अहंकार की परतों से मुक्त करना,
और प्रेम-आनंद की शुद्ध लहर में उतर जाना।

शास्त्र-प्रमाण ✧

1. भगवद्गीता (9.22)

> अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥

अर्थ — जो भक्त निष्काम भाव से केवल मेरा चिन्तन करते हैं, उन्हें मैं स्वयं योग-क्षेम प्रदान करता हूँ।
👉 यहाँ प्रसन्न करने का कोई उपाय नहीं बताया, केवल निष्काम शरणागति का महत्व है।

---

2. कठोपनिषद् (II.23)

> नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन।
यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूँ स्वाम्॥

अर्थ — आत्मा न तो प्रवचन, न बुद्धि, न शास्त्र-पाठ से मिलता है; वह केवल उसी को प्राप्त होता है जिसे आत्मा स्वयं प्रकट होना चाहता है।
👉 यहाँ कोई रिझाने की तरकीब नहीं, केवल भीतर की योग्यता और शुद्धता।

---

3. श्वेताश्वतर उपनिषद् (III.20)

> यः सर्वज्ञः सर्वविद्यस्य ज्ञानमयं तपः।
तस्मात् एतानि भूतानि जातानि जीवन्ति यानि च॥

अर्थ — वही परमेश्वर सर्वज्ञ, सर्वविद् है; उसी से सब कुछ उत्पन्न होता और चलता है।
👉 ऐसा ईश्वर प्रसन्न-अप्रसन्न से परे है, क्योंकि वही मूल आधार है।

---

4. भक्तिमार्ग का संकेत (भागवत पुराण, 11.14.20)

> नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदयेषु वा।
यत्र गायन्ति मद्भक्ता तत्र तिष्ठामि नारद॥

अर्थ — मैं न तो वैकुण्ठ में रहता हूँ, न योगियों के हृदय में; पर जहाँ मेरे भक्त प्रेम से गाते हैं, वहीं उपस्थित होता हूँ।
👉 यहाँ भी प्रेम और आनंद की स्थिति को ही ईश्वर की "प्रसन्नता" बताया गया।

---

निष्कर्ष

शास्त्रों का स्वर एक ही है:

ईश्वर को प्रसन्न करने का कोई बाहरी उपाय नहीं।

प्रेम, निष्काम भाव और आंतरिक आनंद ही उसके सान्निध्य का द्वार हैं।

— अज्ञात अज्ञानी

bhutaji

🙏🙏ક્યારેક અમુક વસ્તુઓની નજીક રહેવાથી.
આપોઆપ મળી જાય, માંગવાથી નહીં.

અગ્નિ નજીક રહેવાથી ગરમાહટ.
પાણીની નજીક રહેવાથી શીતળતા.
ગુલાબની નજીક રહેવાથી ખુશ્બુ.

બસ ઈશ્વરનું પણ કંઈક એવું જ છે.

નિકટતા વધારો માંગવાની જરૂર જ નહીં પડવા દે.🦚🦚

parmarmayur6557

યાદોનું મીઠું ગીત

​મન મૂકીને માણેલા, એ દિવસો વ્હાલા,
વર્ષો વીત્યા પણ, સ્મરણો છે તાજા.
ખિલખિલાટ હાસ્ય, ને દોસ્તોનો સંગાથ,
પળભરના સુખની, એ અમૂલ્ય વાત.
​જીવનની ડાળીએ, ફરતાં પતંગિયાં,
કોઈક ફરિયાદ, ને મીઠી મજાકિયા.
દિલના ખૂણે સચવાયેલી, અણમોલ મૂડી,
આ મીઠી યાદો છે, અંતરની પૂડી.
એને યાદ કરીને, મન હરખાય,
બસ આ જ છે આપણું, સૌથી મોટું ધન.
DHAMAk

heenagopiyani.493689

અજવાળું ફેલાવી જાણે સુંદર મજાનું ફાનસ...
બીજા માટે જીવી જાણે તેનું જ નામ માણસ...
💛🧡❤️

dipika9474

*अज्ञान गीता*
ईश्वर और आत्मा से मानव कैसे दूर हुआ

सूत्र 1 — मार्ग थोपे जाते हैं

> “अपनाओ, तपस्या करो, कर्मयोग करो” — यह सब थोपी हुई दिशा है।
बुद्ध, मीरा, ओशो, कृष्णमूर्ति — सब अपने-अपने स्वभाव से चले।

सूत्र 2 — स्वभाव ही मार्ग है

मार्ग कोई “चयन” नहीं है, वह स्वभाव की अभिव्यक्ति है।
भक्ति वाला तप नहीं कर सकता, तपस्वी भक्ति नहीं कर सकता।

सूत्र 3 — गीता का सत्य

> “स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः।”
स्वभाव ही धर्म है।
दूसरे का मार्ग अपनाना बंधन है।

सूत्र 4 — अनुकरण सबसे बड़ी रुकावट

धर्म, शास्त्र, गुरु सब मार्ग देने पर अड़े रहते हैं।
लोग अंधे होकर अनुकरण करने लगते हैं।
यही सबसे बड़ा धोखा है।

सूत्र 5 — स्वभाव को सराय कहना

हर कोई अपने स्वभाव की सराय में ठहरा है।
दूसरे की धर्मशाला में घसीटने की कोशिश उलझन है।

सूत्र 6 — उपायों की थकान

कर्म, ध्यान, पूजा, तपस्या, प्रवचन, यात्रा — सब आज़माने पर भी खालीपन बचता है।
यह साफ़ करता है कि मार्ग बाहर नहीं, भीतर के स्वभाव से निकलेगा।

सूत्र 7 — कठिनतम मोड़

जब सब उपाय फेल हो जाएँ, तब दो रास्ते बचते हैं:
या फिर से वही चक्कर,
या पहली बार रुककर देखना कि “मेरे भीतर जो है, वही मेरा मार्ग है।”

सूत्र 8 — सहजता ही धर्म है

भक्ति, त्याग, तपस्या, कर्मकांड जब असहज हों तो बोझ हैं।
धर्म वही है जो स्वभाव से सहज बहे।

सूत्र 9 — जीवन विरोधी मार्ग

त्याग, तपस्या, भक्ति, कर्मकांड जीवन विरोधी हैं।
ये आदमी को उसके स्वभाव और सहज कर्तव्य से भटकाते हैं।

सूत्र 10 — प्यास मार्ग से बड़ी है

महावीर–बुद्ध मार्ग से नहीं पहुँचे, उनकी प्यास उन्हें ले गई।
आज लोग मार्ग पकड़ते हैं, इसलिए असफल;
उन्होंने प्यास पकड़ी, इसलिए सफल।

सूत्र 11 — समय की धारा

हर युग का अपना स्वभाव होता है।
आज विज्ञान का समय है — तर्क और प्रमाण का।
भक्ति–त्याग–तपस्या का समय निकल चुका है।
आज की माँग है स्वभाव को पहचानना और प्यास को सच्चा करना।

सूत्र 12 — मार्ग केवल इत्तफ़ाक़ हैं

लाखों में कभी कोई पहुँच जाता है,
तो लोग समझते हैं कि मार्ग कारण था।
असल में सफलता सिर्फ़ स्वभाव और प्यास की थी।

सूत्र 13 — अनुभव सार्वभौमिक नहीं है

प्रेमानंद महाराज “राधे-राधे” से सम्मोहन में गए — वह उनका स्वभाव था।
लेकिन अब दुनिया कहती है “राधे-राधे करो, सबको मिलेगा” — यही मूर्खता है।

---

अंतिम सूत्र

> मार्ग जीवन का विरोध है।
सत्य प्यास का परिणाम है।
मार्ग इत्तफ़ाक़ हैं, स्वभाव सत्य है।
दूसरे का मार्ग अपनाना सबसे बड़ी मूर्खता है।
अपने स्वभाव को जीना ही धर्म है।

मार्ग जीवन का विरोध है।
प्रमाण: कठोपनिषद (1.2.18) — “अविद्यायामन्तरे वर्तमानाः स्वयं धीराः पण्डितं मन्यमानाः” — अज्ञान में फँसे लोग मार्ग बनाते हैं और उसी को जीवन मान लेते हैं।

2. सत्य प्यास का परिणाम है।
प्रमाण: बुद्ध — “तृष्णा पज्झायति दुःखं, तृष्णा निवृत्ते सुखं।” — प्यास ही खोज का प्रारंभ है, और सत्य उसी का शमन।

3. मार्ग इत्तफ़ाक़ हैं, स्वभाव सत्य है।
प्रमाण: छान्दोग्य उपनिषद (6.8.7) — “तत्त्वमसि श्वेतकेतो।” — मार्ग संयोग से बदलते हैं, पर आत्मस्वभाव ही सत्य है।

4. दूसरे का मार्ग अपनाना सबसे बड़ी मूर्खता है।
प्रमाण: गीता (3.35) — “श्रेयान् स्वधर्मो विगुणः, परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।” — अपना धर्म दोषयुक्त भी श्रेष्ठ है, पराया धर्म मृत्यु का कारण है।

5. असहज मार्ग धर्म नहीं, बोझ हैं।
प्रमाण: गीता (18.47) — “स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः।” — अस्वभाविक मार्ग डर और बोझ ही है।

6. धर्म वही है जो स्वभाव से बहे।
प्रमाण: महाभारत, शांति पर्व — “स्वभावो धर्म इत्याहुः” — जो स्वभाव से बहे वही धर्म है।

7. जो किसी को मिला, वही उसका था; उसे सबका धर्म मानना सबसे बड़ी मूर्खता है।
प्रमाण: बुद्ध — “एको एकस्स पथं गच्छति।” — प्रत्येक व्यक्ति का मार्ग अद्वितीय है।

8. अपने स्वभाव को जीना ही धर्म है।
प्रमाण: गीता (18.45) — “स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।” — अपने कर्म/स्वभाव से ही सिद्धि मिलती है।

9. मार्ग बाहर से थोपे जाते हैं, स्वभाव भीतर से खिलता है।
प्रमाण: मुण्डकोपनिषद (1.2.12) — “परिक्ष्य लोकान् कर्मचितान् ब्राह्मणो निर्वेदमायात्।” — बाहर के मार्ग छोड़कर भीतर का स्वभाव ही खिलता है।

10. मार्ग बदलते रहते हैं, स्वभाव शाश्वत है।
प्रमाण: गीता (2.16) — “नासतो विद्यते भावो, नाभावो विद्यते सतः।” — असत्य (मार्ग) बदलता है, सत्य (स्वभाव) शाश्वत है।

11. मार्ग से चलकर तुम दूर घूमते हो, स्वभाव से जीकर तुम सीधे घर पहुँचते हो।
प्रमाण: बृहदारण्यक उपनिषद (4.4.6) — “आत्मानं चेत्त्वां विदितं, अमृतत्वं विध्यते।” — आत्मस्वभाव जानो, वही घर वापसी है।

12. जब तक मार्ग पूछते रहोगे, भटकते रहोगे; जब स्वभाव देखोगे, तभी ठहरोगे।
प्रमाण: बुद्ध — “अप्प दीपो भव।” — बाहर मार्ग पूछोगे तो भटकते रहोगे, दीपक अपने भीतर है।

अज्ञात अज्ञानी

अधिक विस्तारपूर्ण के लिए agyat-agyani. कॉम par जाय

bhutaji

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

After seeing Indian Streets in rainy season my friend says we are paying taxes for nothing
I said you are short sighted bro
Government is working so hard to make our cities like venice(Italy)
So from next time when someone say government is not working then remember they are anti-national

rohanbeniwal113677

मां, मेरे पास कुछ नहीं, बस एक मन है,
वही तो तुम्हें अर्पित करने के लिए बना है।

लोग फूल, इत्र, धूप‑दीप और सोना‑चांदी चढ़ाते हैं,
मेरे पास कुछ नहीं, बस मन की सच्चाई बाकी है।

जैसा भी है, वह मन तुम्हारे चरणों में रखती हूँ,
मेरी भक्ति, मेरा प्यार, यही तो तुम्हारे लिए अर्पण है।

archanalekhikha

जय श्री राधे राधे ❤️❤️

rashmidwivedi205340

देखा एक ख़्वाब मैनें,
सपनों सा हसीन है।

मेरे संग मैं वो
और  समा भी हसीन है।

हाथों में है हाथ
और रास्ता भी हसीन है।


रात भी है मस्त
और चांद भी हसीन है।

संग मैं है वो
और समा भी हसीन है‌।

प्रेम में है‌ हम
और यह जीवन भी हसीन है।

vrinda1030gmail.com621948

😔

rv1967

प्रेमिका कहती:
पत्नी ब्लॉक लिस्ट में नहीं
में उसकी दिल और फॉलो लिस्ट में हूँ

तो बहनों, इतना मत सोचो
ब्लॉक लिस्ट में तुम्हें भी किसी और को दिखा रहा होगा 😂

कुछ दिन पहले एक पोस्ट देखी जिसमे एक प्रेमिका कहती नजर आ रही है कि मैं प्रेमी की फॉलो लिस्ट में हूं और दिल में भी लेकिन पत्नी तो ब्लॉक लिस्ट में भी नहीं है और उनके साथ कहीं प्रेमिका ही उनका सपोर्ट कर रही है, हंस रही है मजाक बना रही


मुझे यह समझ नहीं में आता, आखिर एक औरत ही औरत की दुश्मन क्यों बन जा रही ह।ै वह जो आदमी एक इस दो महिलाओं को दुश्मनी के मोड पर लाकर खड़ा कर दिया है उसे आदमी को नहीं गलत कह रही हो प्रेमिका उसे पत्नी को नीचा रही है,पत्नी को कितना गलत कह रही हैं।
ै क्या कभी सोचा है ,जब वह पत्नी का नहीं हो सका , कल को तुम्हें भी धोखा दे सकता है

---

archanalekhikha

करवटे बदल कर देख ली तुमने,
ले कमबख्त फिर से आ गया चूमने।

neerajsharma.603011

ನಿರ್ದೇಶಕರ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ತೆರೆಮರೆಯ ಆಲೋಚನೆಗಳು
ಚಿತ್ರ ನಿರ್ದೇಶನ ಕೇವಲ ಆಕ್ಷನ್ ಮತ್ತು ಕಟ್ ಹೇಳುವುದಲ್ಲ. ಇದು ಒಂದು ಸಂಕೀರ್ಣವಾದ ಮಾನಸಿಕ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆ. ಕ್ಯಾಮೆರಾ ಹಿಂದೆ ನಿಂತಿರುವ ಒಬ್ಬ ನಿರ್ದೇಶಕನ ಮನಸ್ಸು ಹೇಗೆ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ? ಒಂದು ದೃಶ್ಯವನ್ನು ತೆರೆಗೆ ತರುವ ಮೊದಲು ಅವರು ಯಾವೆಲ್ಲಾ ಅಂಶಗಳನ್ನು ಆಳವಾಗಿ ಯೋಚಿಸುತ್ತಾರೆ ಎಂಬುದನ್ನು ಇಲ್ಲಿ ನೋಡೋಣ.
1. ಕಥಾವಸ್ತುವಿನ ದೃಷ್ಟಿ (The Vision of the Story)
ಒಬ್ಬ ನಿರ್ದೇಶಕ ಯಾವಾಗಲೂ ಚಿತ್ರದ ಅಂತಿಮ ದೃಷ್ಟಿಯನ್ನು ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಹೊಂದಿರುತ್ತಾರೆ.
ಭಾವನೆ ಮತ್ತು ಉದ್ದೇಶ: ಈ ದೃಶ್ಯದಿಂದ ವೀಕ್ಷಕರಿಗೆ ಯಾವ ಭಾವನೆ ತಲುಪಬೇಕು? ಭಯವೇ? ನಗುವೇ? ಆಶ್ಚರ್ಯವೇ? ದೃಶ್ಯದ ಉದ್ದೇಶ (Goal) ಏನು?
ಟೋನ್ ಮತ್ತು ಶೈಲಿ: ಚಿತ್ರದ ಒಟ್ಟಾರೆ ಶೈಲಿ (Tone) ಹೇಗಿರಬೇಕು? ಇದು ಡಾರ್ಕ್ ಆಗಿ, ಪ್ರಕಾಶಮಾನವಾಗಿ, ಅಥವಾ ವೇಗವಾಗಿ ಸಾಗಬೇಕೇ? ಈ ನಿರ್ಧಾರವು ಲೈಟಿಂಗ್, ಕ್ಯಾಮೆರಾ ಚಲನೆ ಮತ್ತು ಬಣ್ಣದ ಆಯ್ಕೆಯನ್ನು ಪ್ರಭಾವಿಸುತ್ತದೆ.
ಸತ್ಯತೆ (Authenticity): ಚಿತ್ರವು ಸನ್ನಿವೇಶಕ್ಕೆ ಅಥವಾ ಕಥೆಗೆ ಪ್ರಾಮಾಣಿಕವಾಗಿದೆಯೇ? ಪಾತ್ರಗಳು ನಿಜ ಜೀವನದಂತೆ ವರ್ತಿಸುತ್ತಿವೆಯೇ? ಕಥೆಗೆ ಧಕ್ಕೆಯಾಗದಂತೆ ವಾಣಿಜ್ಯ ಅಂಶಗಳನ್ನು ಹೇಗೆ ಸಮತೋಲನ ಮಾಡುವುದು ಎಂಬ ಚಿಂತನೆ ಇರುತ್ತದೆ.
2. ತಾಂತ್ರಿಕ ನಿರ್ಧಾರಗಳು (Technical Decisions)
ದೃಶ್ಯವನ್ನು ಪರಿಣಾಮಕಾರಿಯಾಗಿ ಸೆರೆಹಿಡಿಯಲು ತಾಂತ್ರಿಕ ವಿಭಾಗದ ಬಗ್ಗೆ ನಿರ್ದೇಶಕರು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಯೋಚಿಸುತ್ತಾರೆ.
ಕ್ಯಾಮೆರಾ ಕೋನ (Camera Angle): ಪಾತ್ರದ ಭಾವನೆಯನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸಲು ಕ್ಯಾಮೆರಾವನ್ನು ಕೆಳಗಿನಿಂದ (Low Angle) ಅಥವಾ ಮೇಲಿನಿಂದ (High Angle) ಇಡಬೇಕೇ? ಯಾವ ಶಾಟ್‌ ಗಾತ್ರ (Close-up, Mid-shot) ಹೆಚ್ಚು ಸೂಕ್ತ?
ಚಲನೆ (Movement): ಕ್ಯಾಮೆರಾವನ್ನು ಚಲಿಸಬೇಕೇ (Dolly, Crane, Handheld)? ಅಥವಾ ಸ್ಥಿರವಾಗಿ (Static) ಇಡಬೇಕೇ? ಕ್ಯಾಮೆರಾ ಚಲನೆಯು ಕಥೆಯಲ್ಲಿ ಒತ್ತಡವನ್ನು ಅಥವಾ ಪ್ರಶಾಂತತೆಯನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುತ್ತದೆ.
ಲೈಟಿಂಗ್: ಬೆಳಕು ಕೇವಲ ಎಲ್ಲವನ್ನೂ ತೋರಿಸಲು ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಅದು ಕಥೆಯನ್ನು ಹೇಳಲು ಸಹಾಯಕ. ಪಾತ್ರದ ಮನಸ್ಸಿನ ಗೊಂದಲ ತೋರಿಸಲು ಡಾರ್ಕ್ ಲೈಟಿಂಗ್ ಬಳಸಬೇಕೇ? ಅಥವಾ ಸಂತೋಷ ತೋರಿಸಲು ಪ್ರಕಾಶಮಾನವಾದ ಬೆಳಕು ಬೇಕೇ? ಈ ಯೋಚನೆಗಳು ಪ್ರತಿಕ್ಷಣ ನಡೆಯುತ್ತವೆ.
​3. ನಟರೊಂದಿಗೆ ಕೆಲಸ ​ನಟರಿಂದ ಅತ್ಯುತ್ತಮ ಪ್ರದರ್ಶನವನ್ನು ಹೊರತರಲು ನಿರ್ದೇಶಕರು ಮನೋವೈಜ್ಞಾನಿಕವಾಗಿ ಯೋಚಿಸುತ್ತಾರೆ.
ಪಾತ್ರದ ಮನಸ್ಥಿತಿ: ನಟನು ಆ ದೃಶ್ಯದಲ್ಲಿ ಪಾತ್ರದ ನಿಖರವಾದ ಮನಸ್ಥಿತಿಯಲ್ಲಿ ಇದ್ದಾನೆಯೇ? ಪಾತ್ರದ ಹಿಂದಿನ ಕಥೆ ಮತ್ತು ಪ್ರೇರಣೆಯನ್ನು ನಟನಿಗೆ ಸರಿಯಾಗಿ ತಲುಪಿಸಿದ್ದೇನೆಯೇ?
ಸಂಭಾಷಣೆಯ ವಿತರಣೆ: ಸಂಭಾಷಣೆಗಳನ್ನು ಕೇವಲ ಓದುವ ಬದಲು, ನಟನು ಅದನ್ನು ಅನುಭವಿಸಿ ಹೇಳುತ್ತಿದ್ದಾನೆಯೇ? ನಟನು ಏನಾದರೂ ಹೊಸದನ್ನು ತರುತ್ತಿದ್ದರೆ, ಅದನ್ನು ದೃಶ್ಯಕ್ಕೆ ಬಳಸಬಹುದೇ?
ದೃಶ್ಯದ ಬ್ಲಾಕಿಂಗ್ (Blocking): ನಟರು ದೃಶ್ಯದಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲಿ ನಿಲ್ಲಬೇಕು, ಎಲ್ಲಿ ಚಲಿಸಬೇಕು ಮತ್ತು ಎಲ್ಲಿ ಕುಳಿತುಕೊಳ್ಳಬೇಕು ಎಂಬುದನ್ನು ನಿಖರವಾಗಿ ನಿರ್ಧರಿಸುವುದು. ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಚಲನೆಯೂ ಕಥೆಗೆ ಅರ್ಥ ನೀಡಬೇಕು.
​4. ಸಮಯ ಮತ್ತು ಸಂಪನ್ಮೂಲಗಳ ನಿರ್ವಹಣೆ ​ಪ್ರತಿ ನಿಮಿಷವೂ ಬಜೆಟ್ ಮತ್ತು ವೇಳಾಪಟ್ಟಿಗೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿರುತ್ತದೆ.
ಸಮಯ ಉಳಿತಾಯ: ಈ ದೃಶ್ಯವನ್ನು ವೇಗವಾಗಿ, ಆದರೆ ಗುಣಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಯಾವುದೇ ರಾಜಿ ಇಲ್ಲದೆ, ಹೇಗೆ ಶೂಟ್ ಮಾಡುವುದು? ಶೂಟಿಂಗ್ ನಿಗದಿತ ವೇಳಾಪಟ್ಟಿಯನ್ನು ಮೀರದಂತೆ ನೋಡಿಕೊಳ್ಳುವುದು.
ಸಮಸ್ಯೆಗಳಿಗೆ ಪರಿಹಾರ: ಲೈಟಿಂಗ್ ಸೆಟ್ ಆಗುತ್ತಿಲ್ಲವೇ? ನಟ ಅನಾರೋಗ್ಯದಿಂದ ಬಳಲುತ್ತಿದ್ದಾನೆಯೇ? ನಿರ್ದೇಶಕರು ಪ್ರತಿ ಸಣ್ಣ ಮತ್ತು ದೊಡ್ಡ ಸಮಸ್ಯೆಗಳಿಗೆ ಸ್ಥಳದಲ್ಲೇ ಸೂಕ್ತ ಪರ್ಯಾಯ ಪರಿಹಾರಗಳನ್ನು ಕಂಡುಕೊಳ್ಳಲು ಸಿದ್ಧರಿರಬೇಕು.

ಇನ್ನೊಂದು ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆ ಒಬ್ಬ ನಿರ್ದೇಶಕನ ಆಲೋಚನೆಯು ಒಂದೇ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಕಲಾವಿದನಂತೆ (ಕಥೆ ಮತ್ತು ಭಾವನೆ), ತಂತ್ರಜ್ಞನಂತೆ (ಕ್ಯಾಮೆರಾ ಮತ್ತು ಲೈಟಿಂಗ್), ಮತ್ತು ನಾಯಕನಂತೆ (ತಂಡದ ನಾಯಕತ್ವ ಮತ್ತು ಸಮಯ ನಿರ್ವಹಣೆ) ಕೆಲಸ ಮಾಡಿದರೆ ಅವರ ಮನಸ್ಸು ಒಂದು ದೃಶ್ಯದ ಸಾವಿರಾರು ಸಾಧ್ಯತೆಗಳನ್ನು ಪರಿಶೀಲಿಸಿ, ಅತ್ಯುತ್ತಮವಾದದ್ದನ್ನು ಆರಿಸಿ, ಅದನ್ನು ತೆರೆಯ ಮೇಲೆ ಜೀವಂತಗೊಳಿಸಲು ಪ್ರಯತ್ನಿಸುತ್ತದೆ.

sandeepjoshi.840664