Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

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New bites

રહ્યું ભલે એ પ્રાણી જંગલી,
દેખાવ એનો આકર્ષક!
છટા એની એટલી જબરદસ્ત,
જોતાં જ ઉભરાય વ્હાલ!
કરી ન શકાય હિંમત એટલી,
જઈએ એની નજીક એકદમ!
મોભો એનાં દેખાવનો એવો,
ડરે સૌ કોઈ એનાથી!
વધતી જતી માનવીની ઘેલછા,
ઓછાં થતાં જંગલો,
ને ઘટતી જતી વસ્તી એની!
કરવા સંરક્ષણ વાઘની વસ્તીનું,
ઉજવવો પડે છે
'વિશ્વ વાઘ દિવસ'
દર વર્ષે 29 જુલાઈએ!

s13jyahoo.co.uk3258

घाघरा में रंगों की बारात लिए,
ओढ़नी में जैसे रेत की बात लिए।
कंगन खनके, पायल बोले,
राजस्थानी लिबास में इतिहास डोले।

चुनरी की छाँव में शर्माए बदन,
जैसे मरुधरा में खिल उठे सावन।
ये पोशाक नहीं बस कपड़ों की बात,
ये है राजपूताना रिवायत की सौगात।

khammaghani saa🙏

kajal Thakur 😊

kajalthakur

“इस रिश्ते में मैं कभी तुम्हारी पहली पसंद थी ही नहीं… है न?”



पाँच साल पहले जब शहनाज़ की ज़िंदगी जबरन एक अनचाही शादी में बाँध दी गई, तब उसने सोचा था — वक़्त सब कुछ ठीक कर देगा।



लेकिन वक़्त के साथ सिर्फ़ उसका सब्र टूटा… प्यार नहीं मिला।



आरामदेह घर, सामाजिक इज़्ज़त, सब कुछ था…

बस नहीं था तो उसका हक़, उसकी पहचान, और उसके पति का प्यार।



वो हर रात उसकी बाहों में थी, लेकिन उसकी आँखों में नहीं।



पर एक दिन… उसे उसके दिल का सच मिला —

एक पुराना नाम, एक अधूरी मोहब्बत, और एक औरत जिसकी यादों में वो आज भी कैद था।



अब शहनाज़ क्या करेगी?



क्या वो इस रिश्ते को छोड़ देगी?

या एक नई शुरुआत के लिए उसकी बंद दिल की दुनिया में दस्तक देगी?



क्या एक जबरन रिश्ते से सच्ची मोहब्बत पैदा हो सकती है?



या फिर… मोहब्बत बस किस्मत वालों को मिलती है?



"अनचाही मोहब्बत" — एक ऐसी कहानी जो आपको रिश्तों की खामोश गहराइयों में ले जाएगी।

जहाँ सवाल बहुत हैं… पर जवाब सिर्फ़ दिल देता है।



जल्द ही🔥

~Diksha mis kahani

dikshaparashar.699046

Good afternoon friends

kattupayas.101947

My new story

kajalthakur

Out now: “The One-Week Series” — a story that sounds like a series, but isn’t.
Just like the protagonist, who looked like a literature student… but wasn’t. 😏

This one’s for the PDF readers, the last-minute crammers, and all those who passed the exam, but still haven’t opened the actual book.

Read it. Relate to it. Pretend you didn’t do the same thing.

https://www.matrubharti.com/book/19978219/one-week-series-aditya-39-s-odyssey

rohanbeniwal113677

Time for tea break

kattupayas.101947

जो चीज़ प्रिय हो गई हो, उसी में मूर्छित रहना, उसका नाम लोभ है। वह चीज़ प्राप्त होने पर भी संतोष नहीं होता। इस लोभ और लालच से कैसे बचें? क्या धन खर्च होगा, तभी बढ़ेगा? पैसों का सिद्धांत क्या कहता है, आइए जानते हैं इस विडीयो में।

Watch here: https://youtu.be/-SJz3Y5wHNU

#lifelessons #selfhelp #selfimprovement #trendingvideo #dadabhagwanfoundation

dadabhagwan1150

सारी सीमाएं केवल
मन में मौजूद होती हैं
और केवल मन में ही
उन्हें पार किया जा सकता है...

dipika9474

शब्दों की चिंगारी तह को जला गयी..
बची खुची जिंदगी कहानी बना गयी..
--
जिंदगी भर वह मुफ़लिसी का शिकार रहा
मरने के बाद भी उसे शब्दों से प्यार रहा.
---
डॉ अनामिका--
#ऊर्दूअल्फ़ाज़ #हिंदीशब्द #हिंदीकाविस्तार

rsinha9090gmailcom

#Arsia

#hukm aur hasarat 🔥

एक झलक अध्याय 3 की ,,

जल्द ही प्रकाशित होगा 30 जुलाई को!💗

~Diksha mis kahani 😙

dikshaparashar.699046

#Arsia

#hukm aur hasarat 🔥

sneak peek of ch 3

It will publish on 30!🔥

dikshaparashar.699046

લોક વાણી ભાગ. ૬

અજાણ્યા વ્હાલની એ અધિરાય છે.
સ્મરણમાં શબ્દ બની ને લહેરાય છે.

છોડવા મથો તો છોડી નહીં શકો,
વનમાં વચતી વેલીય વનરાય છે.....


ધારો કઈકને કંઈક હોય જુદું,
પ્રકાશે દીપ ને ઉડતું રહે ફુદું.

કંઈક પામવાનો એજ પમરાટ છે.

એવા જ એવા હોઈએ છીએ એવા,
ભટકો નહીં ભ્રમમાં કહો છો તેવા.

રહેશું તેમ રહેશું રસમ રહેવાય છે....

ભૂલો ના ભ્રમિત ભ્રમણા ના ભેદો,
અજ્ઞાન ના પડે છે અવિરત સેદો.

ભૂલાવે સાન ભાન શમણાં સેવાય છે...

ઓળખવા પણ કઠીન કહેવામાં,
તદ્રુપ તામાં તે જ મય રહેવામા.....

તર્કના તાણા માં સહુ તણાય છે....

મનરવ પણ એ અણઘડ અજાણ છે.

સુગમ લય મેળ

મનજીભાઈ કાળુભાઇ મનરવ મુ બોરલા

manjibhaibavaliya.230977

औरत का दिल,
अगर किसी को
खुद में बसा लें तो.......

तो उसे ईश्वर से कम नहीं समझता है।

और जरुरत पड़ जाए अगर तो
उस शख्स के लिए,
वह इस पूरी दुनिया से लड़त है

vrinda1030gmail.com621948

#.....!

gautamsuthar129584

Gud morning friends

kattupayas.101947

👇Save Your Friend's Status👇
#H_R

er.hr.731220

“कुछ तन्हाइयाँ हमसफ़र बन जाती हैं…”
जब लोग आँखें चुराते हैं, हम ख़ामोशियाँ ओढ़ लेते हैं।
और जब जज़्बात कोई न समझे — हम उन्हें शायरी बना देते हैं।

इस कविता में धीर सिर्फ एक नाम नहीं,
वो हर वो आत्मा है जिसने अकेलेपन से मोहब्बत सीखी है,
जिसने अपनी टूटन को शब्दों में पिरोया है,
और जिसे अब किसी के आने या जाने का मलाल नहीं रहा।

कभी-कभी सन्नाटा सबसे खूबसूरत संगीत होता है,
बस उसे महसूस करने की हिम्मत चाहिए।

“ज़िन्दगी अब तू साज़ है…”
हर दर्द को सुर बनाकर जीना भी एक हुनर है — और यही हुनर है धीर के शब्दों में।

📖 अगर कभी आपकी आंखों ने बिना आंसुओं के रोया है — तो ये पोस्ट आपके लिए है।

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dhirendra342gmailcom

✨ एक छोटी सी मुस्कान ✨

एक छोटी सी मुस्कान हो,
दिल से निकली जान हो,
बिना कहे जो सब कह जाए,
ऐसी कोई पहचान हो।

चांदनी सी रातों में,
तारों की बातों में,
तू मिल जाए ख्वाबों में,
बन जाए वो बातों में।

बचपन की मिठास हो,
संग तेरा एहसास हो,
हर लम्हा कुछ कहता जाए,
तू पास हो, ये आस हो।

फूलों सा नर्म दिल तेरा,
हवा सा प्यारा अंदाज़ हो,
तू रहे सदा मुस्कुराता,
तेरे नाम ये अल्फाज़ हो।

ankit26

naukari hamari pakki hai
bas
salary nahin milati
khushkismat hai shaher ki auraten
jinko pata hai ki mahila Divas bhi manaya jata
susma mishra

lalitmishra7728

“यह सिर्फ एक किताब नहीं…
यह उन गांवों का स्मारक है जिन्होंने हमें हमारी जड़ों से जोड़ने की कोशिश की — चाहे हम लौटे या नहीं।”
– जब पहाड़ रो पड़े (लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट)

जब आपने गांव छोड़ा था, क्या सच में सिर्फ जगह छोड़ी थी?
या पीछे रह गई थी वो मां जो अब भी हर त्यौहार पर वही मिठाई बनाती है —
वो पिता, जो आज भी हर सुबह खेतों में हल लेकर निकल जाते हैं…
शायद इस उम्मीद में कि बेटा एक दिन लौटेगा और कहेगा —
“बाबू, चलो खेत दिखाओ…”

“जब पहाड़ रो पड़े” कोई साधारण किताब नहीं,
यह उस खामोशी की चीख है जिसे आज तक कोई सुन न सका।

हर अध्याय में एक आंसू है,
हर लाइन में एक गांव की दहलीज़,
और हर शब्द में — एक सवाल:
क्या हम सच में अपने गांव को भूल चुके हैं?

अगर आपने कभी पलायन को महसूस किया है,
अगर आपको अपने बचपन का आंगन याद आता है,
अगर मां की रसोई की गंध अब भी नाक में बसती है —
तो यह किताब आपके दिल के सबसे कोमल हिस्से को छू जाएगी।

यह सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं… महसूस करने के लिए है।

📚 #जब_पहाड़_रो_पड़े
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#IndianAuthors #DeshKiJadSeJudo

dhirendra342gmailcom

“यह सिर्फ एक किताब नहीं…
यह उन गांवों का स्मारक है जिन्होंने हमें हमारी जड़ों से जोड़ने की कोशिश की — चाहे हम लौटे या नहीं।”
– जब पहाड़ रो पड़े (लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट)

जब आपने गांव छोड़ा था, क्या सच में सिर्फ जगह छोड़ी थी?
या पीछे रह गई थी वो मां जो अब भी हर त्यौहार पर वही मिठाई बनाती है —
वो पिता, जो आज भी हर सुबह खेतों में हल लेकर निकल जाते हैं…
शायद इस उम्मीद में कि बेटा एक दिन लौटेगा और कहेगा —
“बाबू, चलो खेत दिखाओ…”

“जब पहाड़ रो पड़े” कोई साधारण किताब नहीं,
यह उस खामोशी की चीख है जिसे आज तक कोई सुन न सका।

हर अध्याय में एक आंसू है,
हर लाइन में एक गांव की दहलीज़,
और हर शब्द में — एक सवाल:
क्या हम सच में अपने गांव को भूल चुके हैं?

अगर आपने कभी पलायन को महसूस किया है,
अगर आपको अपने बचपन का आंगन याद आता है,
अगर मां की रसोई की गंध अब भी नाक में बसती है —
तो यह किताब आपके दिल के सबसे कोमल हिस्से को छू जाएगी।

यह सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं… महसूस करने के लिए है।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है मयूर, मैने हाल ही में। dhumketu नाम की fantasy epic स्टोरी लिखी है।
कहानी का पहला चैप्टर 31 जुलाई 2025 को रिलीज होगा, ______अजय नाम का बहुत ही होनहार लड़का, जिसे एक दिन उल्कापिंड का असाधारण सा टुकड़ा मिल जाता है, फिर उसके जिंदगी में उथल - पुथल मच जाती है।
क्या है उस उल्कापिंड का रहस्य,?
आखिर कितनी बुरी ताकतें है उल्कापिंड के पीछे?

जानने केलिए हमें follow करें, और इंतजार करें कहानी के हर एक भाग का।

mayurpokale921810