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मेथी डाळ वडी सांबार

☘️हा एक थोडा वेगळा पण चविष्ट प्रकार आहे

☘️साहित्य

बारीक चिरलेली मेथी एक वाटी
एक वाटी शिजवलेली तूर डाळ शक्यतो फार शिजलेली नको
बेसन पाटवड्या
फोडणी साहित्य
अर्धी वाटी डाळीचे पीठ
ठेवलेली मिरची एक मोठी
पंचफोडण.. फोडणीचे साहित्य
एक आमसूल

☘️कृती
प्रथम बेसन पाटवडी करून तयार ठेवावी


पाटवडी तयार झाली की

☘️बारीक चिरलेली मेथी मिरची सोबत पाणी घालून एका भांड्यात झाकण लावुन शिजवून घ्यावी
मेथी शिजली की त्यात शिजलेली डाळ, आमसूल मीठ व हळद घालून ढवळून शिजवावे
पाण्याचे प्रमाण आवश्यक तितके ठेवावे

☘️एक उकळी आली की
दुसऱ्या छोट्या कढईत पंचफोडण, हींग घालून लसणाचे तुकडे लाल तळून घ्यावेत
ही फोडणी उकळी आलेल्या मेथी वर ओतावी
व चांगलें मिसळून घ्यावे

☘️यात तयार पाटवडी घालून
भांडे लगेच खाली उतरवावे
कोथींबीर खोबरे घालून गरम गरम असतानाच खायचा घ्यावें
(पाट वडी घालून उकळू नये
वडी मोडण्याचा संभव असतो)
किंवा हे सांबार खाताना ऐन वेळी वडी वर मेथी डाळ घालून घेतली तरी चालते

jayvrishaligmailcom

✧ लोकतंत्र का विरोधाभास ✧

— शक्ति नहीं, समझ शासन की नींव है

✍🏻🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

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✧ प्रस्तावना ✧

लोकतंत्र को हमने आज़ादी का दूसरा नाम मान लिया,
पर आज़ादी तभी सार्थक होती है
जब मनुष्य स्वयं जागृत हो।

आज का लोकतंत्र भीड़ का उत्सव है —
पर चेतना का नहीं।
जहाँ वोट है, वहाँ विवेक नहीं;
जहाँ बहुमत है, वहाँ अक्सर सत्य अनुपस्थित होता है।

यह ग्रंथ उस मौन प्रश्न से जन्मा है —
क्या बिना जागे हुए मनुष्य,
स्वतंत्र समाज बना सकता है?

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✧ अध्याय 1 : लोकतंत्र का विरोधाभास ✧

— जब अधिकार योग्यता से बड़ा हो जाए

लोकतंत्र सुंदर विचार था —
कि जनता अपनी नियति खुद तय करे।
पर विचार तब तक सुंदर रहते हैं
जब तक वे भीड़ के हाथों में नहीं आते।

आज सत्ता बुद्धि से नहीं,
भावना और जाति के समीकरणों से तय होती है।
एक अधिकारी को योग्यता चाहिए,
पर एक नेता को बस भीड़ चाहिए।

जब शक्ति विवेक से बड़ी हो जाए,
तो व्यवस्था तर्क नहीं — तामाशा बन जाती है।

सूत्र:

> “शक्ति नहीं, समझ शासन की नींव है।”

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✧ अध्याय 2 : राजनीति का मनोविज्ञान ✧

— सत्ता क्यों हर सच्चे को हराती है

राजनीति का केंद्र “सेवा” नहीं, “स्थिरता” है।
नेता सत्य से नहीं डरता —
वह जागी हुई जनता से डरता है।

झूठ अब पाप नहीं रहा,
वह राजनीति की अनिवार्यता बन चुका है।
भीड़ सत्य नहीं सुनना चाहती,
वह वही सुनना चाहती है
जो उसके पक्ष में लगे।

सूत्र:

> “सत्ता सत्य से नहीं डरती —
सत्य से जागी जनता से डरती है।”

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✧ अध्याय 3 : जनता का मौन ✧

— सबसे बड़ा अपराध

हर अन्याय की जड़ में जनता का मौन छिपा है।
हर बार जब कोई कहता है — “मुझसे क्या लेना?”
तब वह अन्याय को थोड़ा और जीवन दे देता है।

जनता अब क्रोध दिखाती है, पर सुविधा में सोती है।
यह मौन किसी तानाशाह से बड़ा अपराध है —
क्योंकि मौन, अत्याचार की सबसे स्थायी अनुमति है।

सूत्र:

> “जो सत्य जानकर भी चुप है,
वह झूठ से कम दोषी नहीं।”

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✧ अध्याय 4 : क्रांति ✧

— जो भीतर से शुरू होती है

हर बाहरी आंदोलन तब तक अधूरा है
जब तक मनुष्य अपने भीतर के झूठ से नहीं भिड़ता।

भीतर की क्रांति वही है
जो सुविधा को तोड़ती है
और विवेक को जगाती है।
जो खुद को जीत ले,
वह व्यवस्था को बिना छुए बदल देता है।

सूत्र:

> “बाहरी क्रांति दीवारें गिराती है,
भीतरी क्रांति सीमाएँ।”

---

✧ अध्याय 5 : नया मनुष्य ✧

— जहाँ शासन भीतर से चलता है

हर समाज अपने भीतर के मनुष्य जितना ही पवित्र है।
नया मनुष्य वही है
जो नियमों से नहीं, समझ से चलता है।
जिसका धर्म किसी किताब में नहीं,
उसके जागे हुए विवेक में है।

वह नेता या अनुयायी नहीं,
स्वयं का शासक है।

सूत्र:

> “जो स्वयं को शासन कर सके,
उसे किसी राजा की ज़रूरत नहीं।”

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✧ उपसंहार ✧

— विवेक की वापसी

सरकारें गिरती हैं, व्यवस्थाएँ बदलती हैं,
पर सभ्यता तभी बदलेगी
जब मनुष्य भीतर से बदलेगा।

संविधान हमें अधिकार दे सकता है,
पर विवेक ही बताता है कि उनका उपयोग कैसे हो।

जब समझ लौटती है,
तो शासन भीतर से चलता है।
और तब लोकतंत्र धर्म बन जाता है —
सचेत जीवन का धर्म।

अंतिम सूत्र:

> “लोकतंत्र की रक्षा संविधान नहीं करता —
जागा हुआ मनुष्य करता है।”

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🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷?

bhutaji

जब टूटी छत, बिखर गए ख्वाब,
जब हाथों से फिसल गए सब हिसाब,
तब मत समझो कि किस्मत खत्म हुई,
बस एक नया अध्याय शुरू हुआ है जनाब।

जब खाली जेब में हवाएँ गूँजती हैं,
तब दिमाग नई राहें खोजती हैं,
धन खो जाए तो क्या हुआ,
हौसले बचे हों तो दुनिया झुकती है।

कभी मिट्टी से सोना बनाया था तुमने,
अब राख से भी उजाला करोगे,
कल गिर गए थे वक्त के थपेड़ों से,
पर आज नई सुबह में चमकोगे।

संपत्ति जा सकती है, पर सपने नहीं,
हार सकते हैं कदम, पर मन नहीं,
जो खुद पर विश्वास रखता है,
वो कंगाल होकर भी निर्धन नहीं।

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“धन खोना दुखद है, पर आत्मविश्वास खोना विनाश है।”
इसलिए सिर ऊँचा रखो — क्योंकि असली पूँजी हम खुद है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

અરે ઓ પાગલ,
આપણી
મુલાકાત થશે???

શું તેની
સાક્ષી કડક મીઠી
ચા થશે?

જો ચા સાક્ષી થશે.
સંબંધમાં મીઠાશ વધશે.
ચાહ હશે તો!

ચાના કપમાંથી
ગરમ વરાળ ઉડશે.
વ્યોમ ભણી.

શ્વાસમાં
તેની સુગંધ ભળશે,
એલચીના સ્વાદ જેવી.

ખરેખર, હૃદયને
તરોતાજા કરી દેશે.
તાજી ચા શ્વાસને.

જો હશે ચાહ હૈયેથી,
તો મુલાકાત થશે,
બે કપ ચાથી જ થશે.

parmarmayur6557

🙏🙏 જ્યારે શિક્ષક માતા બની ભણાવે છે,થોડી હળવી ટપલી મારી માટલા ની માફક ઘડે છે.

તે ઘડાયેલું વ્યક્તિ પોતાના વ્યક્તિત્વથી જીંદગીમાં ક્યાં કદી પાછું પડે છે.🦚🦚

👨‍🏫World teacher day 👨‍🏫

parmarmayur6557

🦋... SuNo न┤_★__
ए लड़की...तुम्हारे बिन हर बात अधूरी
लगती है, जैसे बिन चाँदनी रात अधूरी
लगती है,

लफ़्ज़ों में वो मिठास नहीं, वो रंग नहीं
जैसे बिन ख़ुशबू, कोई सौगात अधूरी
लगती है,

हां, ये अजीब है कि तुम पास भी नहीं
हो मेरे, फिर भी हर पल मेरे साथ तुम
रहती हो,

हर धड़कन में तेरा ही नाम छुपा है
जैसे, तुम साँसों की तरह मुझमें
ज़िंदा रहती हो,

तेरी याद का साया है कि दामन नहीं
छोड़ता, ये इश्क़ वो दरिया है जो
कभी मुँह नहीं मोड़ता,

ज़िधर भी देखूँ बस तेरा ही अक्स
नज़र आए,

ये जादू है तेरा, जो दिल को तन्हा
नहीं छोड़ता,

तुम दूर होकर भी, मेरे ख्यालों की
रौनक हो,

तुम ख़ामोशी में भी मेरी आवाज़ की
रौनक हो,

मेरी ज़िंदगी का हर किरदार तुमसे
मुकम्मल है,

तुम इबादत हो मेरी तुम मेरे प्यार की
रौनक हो...❤️
╭─❀💔༻ 
╨──────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
  #LoVeAaShiQ_SinGh
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loveguruaashiq.661810

🦋... SuNo न┤_★__
ए लड़की, आपकी हर बात ने इक
           नई तहकीक की,

आपसे मिल कर  मेरी  हस्ती भी
               तब्दील  की,

पहले  शब   फिर  चांदनी,  फिर
        माह-ए-ताबाँ हो गए,

रफ़्ता  रफ़्ता  आप मेरे, मेरी जाँ
                   हो गए,

पहले आवाज़ थी फिर साज़ का
                नग़मा बनी,

आपकी बातें मेरी हर एक रुदाद
                      बनी,

पहले शायद था फिर यकीं फिर
           मेरी ईमान हो गए,

रफ़्ता रफ़्ता आप मेरे, मेरे अरमान
                  हो गए,

पहले  दोस्ती  थी, फिर रूह का
               रिश्ता बनी,

हर मुलाकात में, इक नई कशिश
                  जागी,

पहले ख्वाबों में थे, फिर हकीकत
           के महफ़िल हुए,

रफ़्ता रफ़्ता आप मेरे, मेरे दरबान
                 हो गए,

पहले  खामोश थे, फिर लबों पे
            फरियाद आई,

आपकी चाहत मेरे, हर ज़िक्र में
                शाद आई,

पहले नज़रों में थे, फिर निगाहों के
              तारा हो गए,

रफ़्ता रफ़्ता आप मेरे, मेरे पहचान
               हो गए...❤️
╭─❀💔༻ 
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
 #LoVeAaShiQ_SinGh
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loveguruaashiq.661810

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kattupayas.101947

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏

sonishakya18273gmail.com308865

great event

kattupayas.101947

I love books

kattupayas.101947

Travel with your books

kattupayas.101947

True friend

kattupayas.101947

Good morning friends

kattupayas.101947

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! यादें वादे

mamtatrivedi444291

इतना मत इतरा ..आज तू जिस जगह खड़ी है कभी
में भी वही थी। अपनी नियत साफ रख वक्त का
payaपलटते देर नहीं लगती।

sayali3998

किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाकर
उसकी बेबसी और दर्द पे मत मुस्कुराना।
क्योंकि दर्द सबका एक जैसा ही होता है ..
याद रखना .." किसीको बर्बाद कर के कभी
कोई आबाद नहीं हुआ"..

sayali3998

Goodnight friends

kattupayas.101947

জীবনের প্রশ্ন

বিতান মন্ডল


রাগ কেন হয়
কোনো কিছু পাওয়ারি জন্য ?
মন কেন অসহায় ..
তোমারি দেখার জন্য।।

ভুল কেনো হয়
না জানার জন্য ?
মানুষ কাঁদে কেনো
আপন জনের জন্য ‌।
কখন মানুষ পরিচয় পায়,
যখন ভুল শুধরে যায়।।

bitanmondal119526

ಕಾಂತಾರ: ದಂತಕಥೆ - ಚಾಪ್ಟರ್ 1' (Kantara: A Legend - Chapter 1) ಚಲನಚಿತ್ರದ ವಿಮರ್ಶ
02/10/25
ರಿಷಬ್ ಶೆಟ್ಟಿ ನಿರ್ದೇಶಿಸಿ, ನಟಿಸಿರುವ ಈ ಚಿತ್ರವು ೨೦೨೨ರ ಬ್ಲಾಕ್‌ಬಸ್ಟರ್ 'ಕಾಂತಾರ'ದ ಪ್ರೀಕ್ವೆಲ್ (ಪೂರ್ವ ಕಥೆ) ಆಗಿದ್ದು, ತುಳುನಾಡಿನ ದೈವಗಳ ಮತ್ತು ಸಂಸ್ಕೃತಿಯ ಮೂಲ ಕಥೆಯನ್ನು ಪ್ರೇಕ್ಷಕರೆದುರು ತೆರೆದಿಟ್ಟಿದೆ.
​ಪ್ರಮುಖ ಅಂಶಗಳು
ಕಥೆ ಮತ್ತು ಹಿನ್ನೆಲೆ:** ಚಿತ್ರವು ೪೦೦-೫೦೦ CE (ಸಾ.ಶ.) ಕಾಲಘಟ್ಟದ ಕಥೆಯನ್ನು ಹೇಳುತ್ತದೆ. ಇದು ತುಳುನಾಡಿನ ಆದಿವಾಸಿಗಳು ಮತ್ತು ಕದಂಬ ಸಾಮಂತರಾಜನ ನಡುವಿನ ಸಂಘರ್ಷ, ದೈವಗಳ ಮೂಲ, ಮತ್ತು 'ಗುಳಿಗ' ಹಾಗೂ 'ಚಾಮುಂಡಿ' ದೈವಗಳ ದಂತಕಥೆಯನ್ನು ವಿಸ್ತರಿಸುತ್ತದೆ. ಇದು ದೈವ ನರ್ತನದ ಸಂಪ್ರದಾಯದ ಹಿಂದಿನ ಸತ್ಯಗಳನ್ನು ಮತ್ತು ಭೂಮಿ-ಅರಣ್ಯಕ್ಕಾಗಿ ನಡೆಯುವ ಹೋರಾಟವನ್ನು ಅದ್ಧೂರಿತನದಿಂದ ಕಟ್ಟಿಕೊಡುತ್ತದೆ.
ಅದ್ದೂರಿ ದೃಶ್ಯ ವೈಭವ: 'ಹೊಂಬಾಳೆ ಫಿಲ್ಮ್ಸ್' ಬಂಡವಾಳದಿಂದಾಗಿ ಚಿತ್ರವು ತಾಂತ್ರಿಕವಾಗಿ ಅತ್ಯಂತ ಶ್ರೀಮಂತವಾಗಿದೆ. ವಿಎಫ್‌ಎಕ್ಸ್ (VFX) ಮತ್ತು ಪ್ರೊಡಕ್ಷನ್ ಡಿಸೈನ್ (Production Design) ಗುಣಮಟ್ಟವು ಉನ್ನತ ಮಟ್ಟದ್ದಾಗಿದ್ದು, ಪ್ರತಿ ಫ್ರೇಮ್ ಸಹ ಕಲಾತ್ಮಕವಾಗಿ ಮೂಡಿಬಂದಿದೆ. ವಿಶಾಲವಾದ ಅರಣ್ಯದ ದೃಶ್ಯಗಳು, ಅರಮನೆಯ ವೈಭವ ಮತ್ತು ಯುದ್ಧದ ದೃಶ್ಯಗಳು ಕನ್ನಡ ಚಿತ್ರರಂಗವನ್ನು ಮತ್ತೊಂದು ಹಂತಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ದಿವೆ.
ರಿಷಬ್ ಶೆಟ್ಟಿ ಅಭಿನಯ: ರಿಷಬ್ ಶೆಟ್ಟಿ ಅವರು 'ಬೆರ್ಮೆ' ಪಾತ್ರದಲ್ಲಿ, ವಿಶೇಷವಾಗಿ ದೈವ ಆವಾಹನೆಯಾದಾಗ, ನಟನೆಯ ಮೂಲಕ ರೋಮಾಂಚನ ಮೂಡಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಅವರ ದೈಹಿಕ ಪರಿಶ್ರಮ ಮತ್ತು ಆ ಪಾತ್ರದ ಆಳವಾದ ಅಧ್ಯಯನವು ಸ್ಪಷ್ಟವಾಗಿ ಗೋಚರಿಸುತ್ತದೆ. ಕ್ಲೈಮ್ಯಾಕ್ಸ್‌ನಲ್ಲಿನ ಅವರ ನಟನೆ (ಗುಳಿಗ ಮತ್ತು ಚಾಮುಂಡಿ ಅವತಾರದಲ್ಲಿ) ಅದ್ಭುತವಾಗಿದೆ ಎಂದು ಪ್ರೇಕ್ಷಕರು ಮತ್ತು ವಿಮರ್ಶಕರು ಮೆಚ್ಚಿದ್ದಾರೆ.
ತಾಂತ್ರಿಕ ವಿಭಾಗ: ಅಜನೀಶ್ ಲೋಕನಾಥ್ ಅವರ ಹಿನ್ನೆಲೆ ಸಂಗೀತವು (BGM) ಚಿತ್ರಕ್ಕೆ ಇನ್ನಷ್ಟು ಬಲ ತುಂಬಿದೆ. ಮಂತ್ರಗಳು ಮತ್ತು ಪ್ರಾರ್ಥನೆಗಳನ್ನು ಬಳಸಿಕೊಂಡು, ಆಕ್ಷನ್ ದೃಶ್ಯಗಳಿಗೆ ಜೀವ ತುಂಬಿದ್ದಾರೆ.
ಅರವಿಂದ್ ಎಸ್. ಕಶ್ಯಪ್ ಅವರ ಛಾಯಾಗ್ರಹಣವು (Cinematography) ಅತ್ಯುತ್ತಮವಾಗಿದ್ದು, ಕಥೆಯ ಹಿನ್ನೆಲೆಗೆ ತಕ್ಕಂತೆ ದೃಶ್ಯಗಳಿಗೆ ವಿಶಿಷ್ಟ ಸೊಬಗು ನೀಡಿದೆ.
ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಅಂಶಗಳು:
* ​ಚಿತ್ರದ ಅದ್ದೂರಿ ಮೇಕಿಂಗ್ ಮತ್ತು ದೃಶ್ಯ ವೈಭವ.
* ರಿಷಬ್ ಶೆಟ್ಟಿಯ ನಟನೆ, ನಿರ್ದೇಶನ ಮತ್ತು ಕಥೆ ಹೇಳುವ ಶೈಲಿ.
* ಕ್ಲೈಮ್ಯಾಕ್ಸ್ ದೃಶ್ಯಗಳು ಮತ್ತು ದೈವ ಕೋಲದ ಚಿತ್ರಣ.
* ​ತಾಂತ್ರಿಕವಾಗಿ ಚಿತ್ರವು ಅತ್ಯಂತ ಸಮೃದ್ಧವಾಗಿದೆ.
​*ರುಕ್ಮಿಣಿ ವಸಂತ್ ಪಾತ್ರವು ಕಥೆಯಲ್ಲಿ ಅಚ್ಚರಿಯ ತಿರುವುಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿದೆ.
ಗಮನಿಸಬೇಕಾದ ಅಂಶಗಳು/ಕಡಿಮೆಗಳು:
1) ಮೊದಲಾರ್ಧವು ಪಾತ್ರ ಪರಿಚಯ ಮತ್ತು ಕಥಾ ವಿಸ್ತರಣೆಗೆ ಹೆಚ್ಚು ಸಮಯ ತೆಗೆದುಕೊಂಡಿದ್ದು, ಕೆಲವರಿಗೆ ಸ್ವಲ್ಪ ನಿಧಾನವೆನಿಸಬಹುದು.
2) ​ಕಥೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಬಿಗಿಯಾಗಿ ಹೆಣೆಯುವ ಅವಕಾಶವಿತ್ತು ಎಂಬ ಅಭಿಪ್ರಾಯವಿದೆ.
3) ​ಕೆಲವು ಪ್ರಮುಖ ಪಾತ್ರಗಳಿಗೆ ಹೆಚ್ಚು ಆಳ ನೀಡುವ ಬದಲು, ಆಕ್ಷನ್ ಮತ್ತು ಅದ್ಧೂರಿತನದ ಮೇಲೆ ಹೆಚ್ಚು ಗಮನ ಹರಿಸಲಾಗಿದೆ.
ಒಟ್ಟಾರೆಯಾಗಿ, ಕಾಂತಾರ: ದಂತಕಥೆ - ಚಾಪ್ಟರ್ 1' ಒಂದು ಭಾರೀ ನಿರೀಕ್ಷೆಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸುವ ಅದ್ಧೂರಿ ಚಿತ್ರ. ಇದು ಪುರಾಣ ಮತ್ತು ಮಾನವೀಯ ಭಾವನೆಗಳೊಂದಿಗೆ ಬೆರೆತ ಒಂದು ದಂತಕಥೆಯ ಪಯಣವಾಗಿದ್ದು, ದೊಡ್ಡ ಪರದೆಯಲ್ಲಿ ನೋಡಲೇಬೇಕಾದ ಚಿತ್ರವಾಗಿದೆ. ಕಥೆಯ ಆತ್ಮಕ್ಕಿಂತ ದೃಶ್ಯ ವೈಭವಕ್ಕೆ ಹೆಚ್ಚು ಪ್ರಾಶಸ್ತ್ಯ ನೀಡಿದ್ದರೂ, ದೈವಗಳ ಮತ್ತು ತುಳುನಾಡಿನ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯನ್ನು ಜಾಗತಿಕ ಮಟ್ಟಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ಯುವಲ್ಲಿ ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿದೆ.

sandeepjoshi.840664

एक प्रश्नकर्ता पूछते हैं, “मूर्ति पूजा के लिए मना किया जाता है, तो आध्यात्मिक दृष्टि से अब मैं सिर्फ किताबें पढूँ और मूर्ति पूजा न करूँ, तो मुझे कितना नुकसान होगा?” मूर्ति पूजा का रहस्य क्या है? आइए जानते हैं इस विडीयो में: https://youtu.be/d3NSCUmRSX0

#spirituality #pray #worship #spiritualvideo #trendingvideo #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

Good evening friends..

kattupayas.101947

गाने में छिपा ताना

गाँव की शादी का जश्न पूरे शबाब पर था। औरतों का झुंड दालान में बैठा था, हाथों में ढोलक, तालियाँ और गाने की गूँज। कोई लोकगीत छेड़ता तो सब ठहाकों में डूब जातीं। हंसी-ठिठोली, मजाक और मस्ती—यही तो महिला संगीत की असली जान होती है।

भीड़ में से तभी एक बहू उठी। जवान थी, स्वर में मिठास थी। सबने तालियाँ बजाईं—“वाह, अब तो मजा आ जाएगा!”

उसने देहाती गाना शुरू किया। ढोलक की थाप पर उसकी आवाज़ गूँजी—

“सास तो बड़ी करारी,
बहू तो है हमारी प्यारी…”

गाने में आगे बढ़ते ही शब्दों का रुख बदल गया। गीत की धुन में उसने “गाली शब्द” जोड़ दिए। परंपरा का हिस्सा मानकर बाकी औरतें खिलखिला कर हँस पड़ीं। हर ताली, हर ठहाका, उस गीत को और ऊँचा कर रहा था।

लेकिन भीड़ के बीच एक चेहरा चुप था।
वह थी—सास।

वह सिर झुकाए बैठी रहीं। उनकी आँखों में गहरी उदासी थी। शायद वे समझ नहीं पा रही थीं कि यह गीत मजाक है या अपमान। बहू की आवाज़ जितनी ऊँची उठती, उनके दिल की चुप्पी उतनी गहरी होती जाती।

कुछ कह भी तो नहीं सकती थीं। सब कह देते—“अरे, ये तो रस्म है, परंपरा है, मजाक है।”
पर उनके लिए यह मजाक नहीं था।
यह रिश्तों के सम्मान पर एक चोट थी।

मैंने सोचा—सच में, यह घोर कलयुग है।

जहाँ बहू-बेटियाँ गीतों में सास को गालियाँ देकर हँसी का सामान बना देती हैं, वहाँ रिश्तों की पवित्रता कहाँ रह जाती है?
जहाँ शब्दों की मिठास की जगह कटुता और तानों ने ले ली है, वहाँ प्रेम और आदर की नींव कितनी कमजोर हो जाएगी?

असल में, सब एक जैसे नहीं होते।
कुछ पति अच्छे होते हैं, कुछ बुरे।
कुछ पत्नी त्यागमयी होती हैं, कुछ स्वार्थी।
कुछ प्रेमी सच्चे, कुछ धोखेबाज़।
प्रेमिका अच्छी बुरी
अच्छाई और बुराई दोनों हर जगह हैं।

लेकिन जब अच्छाई का सम्मान न हो और बुराई हँसी का कारण बन जाए—तभी तो लगता है कि कलयुग सचमुच हमारे बीच उतर आया है।

archanalekhikha