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“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2”

विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी।

इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा।

विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया।
“क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा।

अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।”

तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा।

अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया,
“विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?”

विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा,
“अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”

तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।”

दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई।

कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा,
“हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।”

और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए।

rajukumarchaudhary502010

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3”

कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया।

अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी।

विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा,
“अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।”

अनामिका ने गंभीर होकर कहा,
“विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।”

लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया।

उसने विकास को सहलाते हुए कहा,
“हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।”

फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा,
“याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।”

विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा,
“और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।”

दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था।

कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।

rajukumarchaudhary502010

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5”

कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला।

यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है।

अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा,
“देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”

गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा,
“तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”

इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए।

रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा,
“विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।”

विकास ने धीरे से कहा,
“अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।”

फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा,
“क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?”

अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।”

और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है।

rajukumarchaudhary502010

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4”

कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई।

अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया।

विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था।

इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे।

अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा,
“विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?”

विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ।

घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा,
“तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।”

अनामिका ने हँसते हुए कहा,
“और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।”

फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा,
“हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।”

और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।

rajukumarchaudhary502010

“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 2”

विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से सामान्य हो रही थी। बच्चों की पढ़ाई, घर और कामकाज के बीच दोनों ने अपनी खुशियों को छोटे-छोटे पलों में ढूंढना शुरू किया। लेकिन जैसे ही सब कुछ ठीक लग रहा था, विकास के ऑफिस में अचानक एक नई परियोजना आई, जो उसकी पूरी ऊर्जा मांग रही थी।

इस दौरान, अनामिका ने एक बड़ी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और उसका काम देश भर में सराहा गया। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, और उसे अक्सर बाहर रहने के लिए बुलाया जाने लगा।

विकास और अनामिका दोनों व्यस्त थे, और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से उलझन में आ गई। एक दिन, विकास ने देखा कि अनामिका ने उसके जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं भेजा। दिल टूट सा गया।
“क्या मैं अब उसके जीवन में उतना अहम नहीं हूँ?” वह सोचने लगा।

अनामिका भी अपने मन में यही सवाल कर रही थी। उसने सोचा, “विकास बहुत थका हुआ है, शायद वह मेरी खुशी में खुश नहीं है।”

तभी कहानी में ट्विस्ट आया। विकास के ऑफिस में एक नई महिला कर्मचारी आई – स्नेहा। स्नेहा बहुत दोस्ताना और खुशमिजाज थी। विकास ने पहले तो सोचा कि वह सिर्फ मददगार है, लेकिन धीरे-धीरे उसके साथ अधिक समय बिताने लगा।

अनामिका ने यह महसूस किया और अंदर से थोड़ा डरने लगी। उसने विकास से सीधे सवाल किया,
“विकास, क्या हम कहीं खो रहे हैं?”

विकास ने कुछ देर चुप रहकर कहा,
“अनामिका, कभी-कभी मैं समझ नहीं पाता कि कैसे दोनों चीज़ें—काम और घर—साथ में निभाऊँ। लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”

तभी अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तो हम फिर से शुरुआत करते हैं। अपने प्यार को प्राथमिकता देंगे, चाहे कितना भी काम क्यों न हो।”

दोनों ने तय किया कि रोज़ कम से कम आधा घंटा सिर्फ एक-दूसरे के लिए निकालेंगे। धीरे-धीरे, स्नेहा की मौजूदगी भी सिर्फ एक पेशेवर दोस्ती में बदल गई।

कुछ महीने बाद, विकास ने अनामिका को सरप्राइज दिया। उसने उनके पुराने कॉलेज वाले पार्क में एक छोटे-से कैम्पिंग ट्रिप का इंतजाम किया। वहाँ, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कहा,
“हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हम हमेशा साथ रहे। यही असली प्यार है।”

और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि सच्चा प्यार वही है जो मुश्किल समय में भी डगमगाए नहीं, बल्कि और मजबूत हो जाए।
“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 3”

कुछ साल बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से स्थिर लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, और दोनों ने अपनी-अपनी काम में संतुलन बना लिया था। लेकिन तभी अचानक एक बड़ा संकट आया।

अनामिका की पुरानी दोस्त, नीहा, शहर में वापस आई। नीहा और अनामिका कॉलेज की दोस्त थीं, लेकिन विकास को नीहा के साथ अनामिका की दोस्ती कभी अच्छी नहीं लगी थी। नीहा ने अनामिका से मिलने के बहाने घर पर आए और धीरे-धीरे विकास के सामने उसके काम की तारीफ करने लगी।

विकास ने यह देखा और पहली बार अंदर से असुरक्षित महसूस किया। उसने अनामिका से कहा,
“अनामिका, मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे पुराने दोस्त हमारी खुशियों में खलल न डाल दें।”

अनामिका ने गंभीर होकर कहा,
“विकास, मैं तुम्हारे लिए चुनी गई हूँ, और मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो। नीहा सिर्फ मेरी पुरानी दोस्त है, और कोई खतरा नहीं है।”

लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी समय, विकास के ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट था जिसमें गलतफहमी और दबाव की वजह से वह गलती कर बैठा। कंपनी ने उसे सस्पेंड कर दिया। विकास बेहद टूट गया और अनामिका ने उसका सहारा बनने का फैसला किया।

उसने विकास को सहलाते हुए कहा,
“हमने पहले भी हर कठिनाई का सामना किया है। तुम अकेले नहीं हो। हम साथ हैं।”

फिर कहानी में एक रोमांटिक मोड़ आया। अनामिका ने एक सरप्राइज प्लान किया—पुराने कॉलेज वाले कैम्पस की वही जगह जहाँ उन्होंने पहली बार अपनी दोस्ती की शुरुआत की थी। वहाँ पहुँचते ही उसने विकास के सामने कहा,
“याद है, जब हम पहली बार यहाँ आए थे, हमने वादा किया था कि हम हमेशा साथ रहेंगे? मैं आज वही वादा दोबारा करना चाहती हूँ।”

विकास ने उसकी आँखों में देखकर कहा,
“और मैं आज फिर से वादा करता हूँ कि चाहे कोई भी मुश्किल आए, चाहे समय कितना भी बदल जाए, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।”

दोनों ने हाथ थाम कर आसमान की ओर देखा और महसूस किया कि उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव कितने भी आएँ, उनका प्यार और विश्वास अडिग था।

कहानी का संदेश यह था कि सच्चा प्यार केवल रोमांस नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और एक-दूसरे के साथ हर चुनौती का सामना करना है।“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 5”

कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल लग रही थी। बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी, और घर में प्यार और समझदारी का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका को एक पुराना पत्र मिला।

यह पत्र उसकी कॉलेज की दोस्त नीहा से आया था। नीहा ने लिखा कि वह अब विदेश में शादी कर रही है और वह विकास और अनामिका को एक खास मौका देना चाहती है। पत्र में लिखा था कि उसने अनामिका की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर एक इंटरनेशनल आर्ट गैलरी खोलने का विचार किया है और वह अनामिका को अपना विशेष अतिथि बनाना चाहती है।

अनामिका ने विकास को पत्र दिखाया। विकास ने मुस्कुराते हुए कहा,
“देखो, तुम्हारी कला और मेहनत ने तुम्हें इतना बड़ा मौका दिलाया है। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”

गैलरी का उद्घाटन दिन आया। अनामिका ने अपने पेंटिंग्स प्रदर्शित किए और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। विकास ने उसके हाथ में हाथ डालकर कहा,
“तुम हमेशा चमकती रहो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”

इसी बीच, बच्चों ने चुपचाप एक सरप्राइज प्लान किया। उन्होंने पिताजी और माँ के लिए एक वीडियो तैयार किया जिसमें उनके छोटे-छोटे प्यारे पल, उनके संघर्ष और खुशियाँ दिख रही थीं। जब विकास और अनामिका ने वह वीडियो देखा, दोनों की आँखों में आँसू आ गए।

रात में, गैलरी की छत पर दोनों अकेले बैठे और आसमान की तरफ देखकर अनामिका ने कहा,
“विकास, हमारी जिंदगी में हर तूफान आया, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। हमारे प्यार ने हर चुनौती को पार किया।”

विकास ने धीरे से कहा,
“अनामिका, तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ। तुम मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी जिंदगी हो।”

फिर, बच्चों और दोस्तों के सामने, विकास ने अनामिका को अपने हाथों में हाथ देकर कहा,
“क्या तुम मेरे साथ जीवन भर के लिए फिर से यह वादा दोहराओगी—हर मुश्किल, हर खुशी, हर पल साथ रहने का?”

अनामिका ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हाँ, विकास। हमेशा। हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे।”

और इस तरह, विकास और अनामिका की कहानी ने साबित किया कि प्यार, विश्वास और साथ की ताकत से हर मुश्किल आसान हो जाती है, और जिंदगी की असली खूबसूरती छोटे-छोटे पलों और साथ बिताए समय में ही है“साथ-साथ जीवन की राह – भाग 4”

कुछ सालों बाद, विकास और अनामिका की जिंदगी फिर से व्यवस्थित लग रही थी। उनके बच्चे अब किशोरावस्था में थे और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन एक दिन अचानक अनामिका के पिता की तबियत गंभीर हो गई।

अनामिका की शादी के समय से ही उनके पिता ने कभी पूरी तरह उसके करियर और स्वतंत्र निर्णय को स्वीकार नहीं किया था। अब उनका इलाज बहुत महंगा था और विकास के ऑफिस में फिर से वित्तीय संकट आ गया।

विकास और अनामिका ने मिलकर यह फैसला किया कि वे पिता की देखभाल और इलाज के लिए शहर छोड़ देंगे। बच्चों के स्कूल और परिवार को संभालना आसान नहीं था।

इसी बीच, विकास के ऑफिस में एक प्रतियोगिता की घोषणा हुई। अगर विकास जीतता है तो उसे उच्च पद और वित्तीय सुरक्षा मिल सकती थी। लेकिन इसका मतलब था कि वह पूरे महीने घर से दूर रहे।

अनामिका ने उसे रोकने के बजाय कहा,
“विकास, यह तुम्हारे लिए एक अवसर है। मैं घर संभाल लूँगी, तुम्हें मौका लेना चाहिए। हम साथ हैं, याद है?”

विकास ने अनामिका को देखा और उसकी आँखों में अपने प्यार और भरोसे को महसूस किया। उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और कड़ी मेहनत के बाद जीत गया। वित्तीय संकट समाप्त हुआ।

घर लौटने पर, अनामिका ने उसे सरप्राइज दिया। उसने घर सजाया, बच्चों के साथ स्वागत किया और खुद भी एक सुंदर पोशाक में इंतजार कर रही थी। विकास ने उसे देखा और कहा,
“तुम्हारा हर कदम, तुम्हारा हर भरोसा और प्यार ही मेरी ताकत है। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं।”

अनामिका ने हँसते हुए कहा,
“और तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं। हम दोनों मिलकर हर संकट को पार कर सकते हैं।”

फिर, उस रात दोनों ने बच्चों को सोने के बाद पुरानी यादों और अपने प्यार के पल याद किए। विकास ने अनामिका के हाथों को पकड़ा और कहा,
“हमारी जिंदगी में चाहे कितने भी तूफान आएँ, हम हमेशा साथ रहेंगे। यही सच्चा प्यार है।”

और इस तरह, विकास और अनामिका ने साबित किया कि असली प्यार कठिनाइयों में झुकता नहीं, बल्कि और मजबूत होकर खिलता है।

rajukumarchaudhary502010

ફીક્ર

કોઈની ચિંતા કરો તો, એને જરૂર કહેજો,

મૌન રહેશો તો મનના દરવાજા બંધ થઈ જશે.

ન કહેલા શબ્દો કદી કોઈ સાંભળતું નથી,

અને એ શબ્દો જ અંતરમાં ભાર બની રહે છે.
DHAMAK

heenagopiyani.493689

सरस्वती माता का गीत

अंतरा 1:
वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत,
सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा।
पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो,
तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ।

कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

अंतरा 2:
साधक बनाकर करो जीवन सफल,
अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ।
संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ,
माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ।

कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

अंतरा 3:
हाथ में वीणा, कमल पर विराज,
सत्य और विद्या का करती प्रचार।
भक्तों के संकट हर लो तू दूर,
सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर।

कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

rajukumarchaudhary502010

सरस्वती माता का गीत

अंतरा 1:
वाणी की देवी, ज्ञान की मूरत,
सरस्वती माता, कर दो हम पर कृपा।
पढ़ाई में लगे रहें, बुद्धि में वृद्धि हो,
तेरे चरणों में हम समर्पित जीवन जीएँ।

कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

अंतरा 2:
साधक बनाकर करो जीवन सफल,
अज्ञान के अंधकार को तुम दूर भगाओ।
संगीत और कला में हमें निपुण बनाओ,
माँ सरस्वती, हम सब पर अपनी कृपा बनाओ।

कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

अंतरा 3:
हाथ में वीणा, कमल पर विराज,
सत्य और विद्या का करती प्रचार।
भक्तों के संकट हर लो तू दूर,
सरस्वती माता, कर दो जीवन सुंदर।

कोरस:
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
ज्ञान की दाता, जग की रौशनी।
जय माँ सरस्वती, जय माँ सरस्वती,
वाणी और विद्या की तुम हो नायिका।

rajukumarchaudhary502010

Goodnight friends sweet dreams

kattupayas.101947

માણસની ફિતરતમાં ફેરફાર આવ્યા.
ક્યાં રહી એ સાદગી, ક્યાં એ વફાદારી રહી?
દરેક નકશાઓમાં આજે તકરાર આવ્યા.

જે કહેતા હતા કે હું છું સદા તારો જ ,
સંજોગો બદલાતાં એમાં અણગમાના સાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...

હવે તો લાગણીઓ પણ સ્વાર્થનું રૂપ લે છે,
દિલના દરવાજા પર પણ હવે વેપાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...

નથી કોઈ ઓળખ હવે સંબંધોની ભીડમાં,
મોઢા પર હાસ્ય ને દિલમાં અસહકાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...

વેદનાં શું કરે હવે આ દુનિયાની વાત?
નજરોમાં હતાં જે પ્રેમ, એમાં જ અંધકાર આવ્યા.
સમયની સાથે ઉતાર-ચઢાવ આવ્યા...

palewaleawantikagmail.com200557

"ईमानदार आईना"

मनुष्य ने आईना बनाया,
फिर फ़िल्टर अपनाने लगा,
क्योंकि आईना सच बोलता था,
और सच उसे चुभने लगा।

आईने में थी हर सिलवट,
हर झूठ की परत उतरती थी,
फ़िल्टर में बस मुस्कान सजती,
ख़ामोशियाँ नहीं झलकती थीं।

आईना पूछता रहा रोज़
"तू असल में क्या बन पाया?”
फ़िल्टर बोला“दिखना ही काफ़ी है,
होना अब ज़रूरी कहाँ रहा?”

चेहरे चमके, आत्मा धुँधली,
नज़रें झूठ पर टिक गईं,
आईने टूटे घर-आँगन में,
फ़िल्टरों में ज़िंदगियाँ बिक गईं।

काश कोई दिन ऐसा आए,
जब सच फिर प्यारा हो जाए,
फ़िल्टर थमें, आईना बोले
और इंसान खुद से मिल जाए।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

ભગવત ગીતા એક એવું પુસ્તક છે,
જેના માધ્યમથી શ્રીકૃષ્ણ વાંચનાર સાથે વાત કરે છે.

sonalpatadiagmail.com5519

Writer Nirbhay Shukla
"न तू ज़मीं के लिए है,
न आसमान के लिए है…
जो जहाँ है, वो सिर्फ़ तेरे लिए है,
पर तू बना ही नहीं इस जहाँ के लिए…" 💓

nirbhayshuklanashukla.146950

જય શ્રી કૃષ્ણ 
હતો દ્વાપર યુગ ને
  માગશર સુદ અગિયારસ,
કુરુક્ષેત્રની ભૂમિ પર આજ દિ' એ
ભગવાન કૃષ્ણ થકી ઉપદેશ મળ્યો અર્જુનને!....
કૃષ્ણ અને અર્જુન વચ્ચેનો સંવાદ
જે ઉજવાય છે "ગીતા જયંતી" તરીકે!..…
૧૮અધ્યાય ને ૭૦૦ શ્લોક છે ગીતામાં
પ્રથમ છ અધ્યાય કર્મ યોગના પછીના,
છ અધ્યાય જ્ઞાન યોગને,છ ભક્તિ યોગના જો!....
અજ્ઞાન,દુઃખ,કામ,ક્રોધ અને મોહ ત્યજી
મુક્તિનો માર્ગ બતાવે છે ગીતા!..…...
જય શ્રી કૃષ્ણ: ગીતા જયંતીની શુભકામના

thakorpushpabensorabji9973

Writer Nirbhay Shukla

कुछ मौसम लौट आते हैं
सिर्फ यह देखने कि दरवाज़ा अब भी उसी तरफ खुलता है।तेरे चुने फूलों की पंखुड़ियाँ
मेरी डायरी में आज भी तारीख़ें बनकर गिरती हैं।अक्टूबर समझाता है हर साल
कि यादें भी रुतों की तरह अपनी बारी से आती हैं।अधूरा मैं, अधूरा तू—
मिलें तो पूरा, वरना इंतज़ार की ही परिभाषा हैं

nirbhayshuklanashukla.146950

Writer Nirbhay Shukla

nirbhayshuklanashukla.146950

कुछ तो है.....

nirbhayshuklanashukla.146950

@nirbhay_shukla_

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জীবনে প্রথম যেদিন জানতে পারলাম আমার ডায়াবেটিস হয়েছে, সেদিন যেন আকাশটাই মাথার ওপর ভেঙে পড়ল।
ডাক্তারের কথা আজও কানে বাজে - “এটা কখনো ভালো হয় না। সারাজীবন ওষুধ খেতে হবে।”

শুরু হলো দুঃস্বপ্নের জীবন।
ওষুধের প্রভাবে মাঝেমধ্যেই হঠাৎ সুগার নেমে যেত; শরীর কাঁপতে শুরু করত, চোখে অন্ধকার নামত, মনে হতো এখনই বুঝি সব শেষ....!
শরীরে শক্তি কিছুই নেই, কিন্তু ওজন বেড়েই চলেছে। হার্ট, লিভার, কিডনি, সবকিছুই যেন আমার থেকে দূরে সরে যাচ্ছিল।
নিজেকে প্রশ্ন করতাম - এটাই কি জীবন, নাকি অভিশাপ ?

এরপর একদিন আমার জীবনে প্রবেশ করলেন স্বামী আত্মজ্ঞানানন্দ মহারাজ। তিনি আমাকে থামিয়ে দিলেন। তিনি বললেন -
“এটা রোগ না। এটা তোমার শরীরকে ভুল পথে চালানোর ফল। পথ ঠিক করো; শরীর নিজেই ঠিক হয়ে যাবে।”

আমি তাঁর নির্দেশনা অনুসরণ করে জীবনকে নতুনভাবে শুরু করলাম। মাত্র ১৬ দিনে আমার সুগারের ওষুধ বন্ধ হয়ে গেল। এক মাসে ১৬ কেজি ওজন কমে গেল। তিন মাসে ২২ কেজি ওজন কমার পর, ৩০ বছর ধরে খেতে থাকা হাই প্রেশারের ওষুধটাও বন্ধ হয়ে গেল।

তারপর যেন একটি নতুন জীবন ফিরে পেলাম।
পরপর তিনবার HbA1c নরমাল; এখন মিষ্টি খেলেও সুগার বাড়ে না। একদিন বুঝতে পারলাম -
ডায়াবেটিস আমার শরীর থেকে বিদায় নিয়েছে।

এই সবকিছুই আমাকে শিখিয়েছে একটাই কথা -
ডায়াবেটিস কোনো আজীবনের রোগ নয়। এটা বিপাকীয় অসামঞ্জস্য। যখন ইনসুলিন বেড়ে যায়, কোষ তাকে আর মানে না; তখনই সুগার বাড়ে।
এই চক্র ভাঙলে শরীর নিজেই ঠিক হয়ে যায়।

স্বামী আত্মজ্ঞানানন্দ মহারাজের দেখানো পথের অভিজ্ঞতা থেকেই লিখেছি ডায়াবেটিস থেকে মুক্তির উপায় “মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ”। আমি এই বইটিতে শুধু সুগার ঠিক করার উপায় বলিনি,
বলেছি - কিভাবে আপনার শরীরের অভ্যন্তরীণ বুদ্ধিমত্তাকে আবার সক্রিয় করবেন।
কিভাবে লিভার, কিডনি, হার্ট, সবকিছুকে আবার নিজের পক্ষে কাজ করাবেন।
শুধু ডায়াবেটিস নয়, যে কোনো মেটাবলিক রোগ থেকে মুক্ত থাকার লাইফস্টাইল এখানে রয়েছে।

এই বইকে নিছক “বই” ভাববেন না।
এটি একটি জীবনদর্শন, একটি যাত্রা,
একজন সাইলেন্ট কোচ হিসেবে ব্যবহার করুন।

যদি কোনোদিন কেউ আমাকে জিজ্ঞেস করে -
“আপনি কিভাবে ডায়াবেটিস থেকে মুক্ত হলেন ?”
আমি শুধু বলবো, এটা কোনো জাদু নয়। এটা নিজের শরীরকে আবার নিজের ঘরে ফিরিয়ে আনার একটি প্রাকৃতিক পথ।

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krishnadebnath709104

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naushadkhan909793

অজ্ঞাত কারণে এই প্ল্যাটফর্মে আমার ধারাবাহিক লেখাগুলো এখন প্রকাশ করা হচ্ছে না। অথচ এই প্ল্যাটফর্মের অসংখ্য সম্মানিত পাঠক আমার "মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ" ধারাবাহিকটির জন্য অপেক্ষা করে থাকেন। এই অপারগতার দায়ভার আমার না, এটা সম্পূর্ণভাবেই মাত্রুভারতি কর্তৃপক্ষের। সম্মানিত পাঠকদের অনুরোধ করছি অনলাইন থেকে আমার এই বইটি সংগ্রহ করে নেয়ার জন্য। কারণ এই বইয়ে মধ্যে দেওয়া গাইডলাইন ফলো করে চললে কিছুদিনের মধ্যেই আপনার সুগারের ওষুধ বন্ধ হয়ে যাবে। হয়তো এজন্যই আমার এই লেখাটিকে এখন ব্ল্যাক লিস্টেড করে রাখা হয়েছে।
https://notionpress.com/in/read/mishti-naam-er-tikto-rog?utm_source=share_publish_email&utm_medium=whatsapp

krishnadebnath709104

કર્મ ભગવદ્ ગીતાનો મુખ્ય સાર રહ્યો છે.
માણસ તેના નામથી ફક્ત ઓળખાય છે જ્યારે કર્મથી ઓળખાઇ જતાં હોય છે.

કર્મના રહ્યા બે પાસાં.

એક સારું કર્મ અને એક નિમ્ન અથવા દુષ્ટ કર્મ.

માણસની કર્મના આ બે પાસામાં જેની પસંદગી કરે છે તે મુજબ તેનાં વ્યકિતત્વ ની સાચી ઓળખ છતી થઇ જતી હોય છે.

ઈશ્વરનું ખુશી પૂર્વકનું સાનિધ્ય પામવા કર્મ ખુબજ અગત્યનો ભાગ ભજવી શકે છે.

જેને પોતાના સારા કર્મો થકી દરેક જીવને સુખ, શાંતિ કે સંતોષ આપવા પ્રયત્ન કર્યો છે કે પ્રયત્નશીલ રહ્યો છે.

આ સારાં કર્મથી ભલે કોઈ વિરોધી કે હિતશત્રુઓ ઇર્ષા થી દુઃખી રહે.

ઈશ્વર તેમજ જે જીવને શાંતિ મળી છે તેને મળેલો હાશકારો!
હૃદયને એક અલગ જ આનંદ અને તૃપ્તિ આપે છે.

આ આનંદ અને તૃપ્તિ જગતના દરેક સુખ વૈભવ કરતાં કંઈક અલગ જ અહેસાસ આપે છે.

parmarmayur6557

“तुम पास रहो या दूर, फर्क नहीं पड़ता…
मेरी धड़कन तुमसे ही शुरू होती है।” 💞

payaldevang08gmail.com936925