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वेदांत 2.0 — जीवन का असली खेल ✧
1️⃣ धन, सत्ता, सिद्धि — सब मामूली चीजें हैं
ये मिल भी जाएँ तो क्या?
अगर प्रेम नहीं, शांति नहीं, आनंद नहीं —
तो सब बेकार।

विज्ञान = शक्ति
आनंद = उद्देश्य

2️⃣ सृष्टि में कोई गलती नहीं
जो गलत दिख रहा है —
उसका समाधान अस्तित्व के पास तैयार है।
मनुष्य बस ज़िद से लड़ रहा है।

> मनुष्य कहता है: “मैं जीतूँगा।”
अस्तित्व मुस्कुराता है: “मैं खेल चलाता हूँ।”

3️⃣ अस्तित्व ही असली खिलाड़ी है
हम सब — प्यादे, हाथी, वज़ीर, राजा
लेकिन मालिक कोई और है।

जैसे शतरंज में मोहरे बदलते रहते हैं —
लेकिन खेल एक ही खिलाड़ी खेलता है।

> तू खुद को मालिक मत समझ।
तू खेल का हिस्सा है,
खिलाड़ी नहीं।

4️⃣ जीतना लक्ष्य नहीं — देखना लक्ष्य है
जिस दिन मनुष्य खेल को देखना सीख ले —
उसी दिन वह खेल के ऊपर उठ जाता है।

यही दृष्टा होना है।

5️⃣ दुनिया का अहंकार — असली मूर्खता
नेता, अभिनेता, संत, अमीर —
सब खुद को विजेता समझते हैं।

लेकिन असलियत?

> वे मोहरे हैं।
चाल कोई और चलता है।

6️⃣ सृष्टि के साथ मित्रता — यही भक्ति
अस्तित्व से लड़ना पागलपन है।
अस्तित्व के साथ नृत्य — मोक्ष है।

7️⃣ प्रेम = विजय
जो प्रेम में जीता — वही असल में जीता।
बाकी सब लोग तो सिर्फ़ भाग रहे हैं।

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✧ अंतिम सूत्र — एक वाक्य में ✧

> जीतना जरूरी नहीं।
खेल को प्रेम से खेलना — यही परम जीत है।

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✧ यही तो वेदांत 2.0 है ✧

खेल को देखो

खेल में प्रेम से भाग लो

खेल के माध्यम से मौन को छुओ

और अंत में खेल से ऊपर उठ जाओ

यही संन्यास,
यही समाधि,
यही मोक्ष,
यही जीवन की पूर्णता।

bhutaji

तेरी ख़ैरियत का ही जिक्र रहता है
दुआओं मे,

मसला सिर्फ मोहब्बत का ही नहीं
फिक्र का भी है| ❤️

hardik89

नमस्ते, पूरा लेख पढ़ने के लिए देखिए ममता गिरीश त्रिवेदी वर्ड प्रेस डॉट कॉम पर
AI तकनीक सीखने का जोर अब किसी विषय का विकल्प नहीं रहा,
बल्कि एक नई साक्षरता
"Mamta Girish Trivedi" https://mamtagtblogs.wordpress.com

mamtatrivedi444291

गुल देखा गुलशन देखा
बहार भी देखी है हमनें
लबों पर लाली सीनें में
कटार भी देखी है हमनें

गजेंद्र

kudmate.gaju78gmail.com202313

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rajukumarchaudhary502010

Osho

anurag12

પાંખો પોતાની ને બંધન પણ પોતાનું...
પ્રયત્નો આપણા,ઉપર આકાશ ખુલ્લું...
બસ શોધ પોતાની,પોતાના તરફની....

truptirami4589

husband 🫂

gulaboo22

✨ PART 20 is OUT NOW! ✨

“Niyati — The Girl Who Waited”
Chapter 20 is now live!
A new twist, a deeper emotion, and a promise that touches the soul.
If you’ve been following Niyati’s journey… this chapter will stay with you. 💛

📖 Read Now:
https://www.matrubharti.com/book/19984320/niyati-the-girl-who-waited-20-by-nensi-vithalani

Your love, support, and reads mean the world.
Let me know how you like this chapter! ✨
— Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

नई राहें, नई कलम

“नई कलम से लिखी कहानी तभी खूबसूरत बनती है,
जब स्याही में पुरानी सीखों का रंग हो—
और सफ़र में चाहे नए लोग व नए रास्ते मिलें,
कदम बढ़ाना कभी मत रोकना,
पीछे मुड़कर कभी मत देखना।”

nensivithalani.210365

Do You Know that you should never quarrel with people at home? How can you quarrel with people you have to share the same home with? Nobody has ever been happy by making others miserable and we want to be happy by giving happiness. We can only be happy if we make others happy at home.

Read more on: https://dbf.adalaj.org/JPQJvDzO

#happy #happinees #relationshp #relationshiptips #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

न के बराबर लोग

समाज में कुछ लोग होते हैं —
होते हुए भी न के बराबर,
जैसे भीड़ में पड़े वो सूखे पत्ते,
जिन्हें हवा भी उठाने से कतराए बार-बार।

किसी घटना पर न उनकी भौंहें उठतीं,
न किसी दर्द पर दिल काँपता है,
पराये दुख उन्हें छूते नहीं,
मानो पत्थर की नसों में जमकर जम गया जाड़ा है।

ना किसी की आवाज़ पर कान देते,
ना किसी मदद को हाथ बढ़ाते,
जैसे इंसान नहीं,
बस चलते-फिरते बेजान साँचे हों,
जो सिर्फ साँस लेकर समाज का हिस्सा भर कहलाते।

पर जब वक्त की आंधी
सीधे इनके दरवाज़े पर दस्तक देती है —
तब अचानक ये लोग ‘इंसानियत’ का झंडा उठाते दिखाई देते हैं।

दोहाई देने लगते हैं उस संवेदना की,
जिसे कभी खुद जगाया ही नहीं,
रोने लगते हैं उस दर्द पर,
जिसे दूसरों में पहचाना ही नहीं।

समाज की नींव इन्हीं से डोलती है,
जो वक्त पर चुप और मुसीबत में loud हो जाते हैं—
और फिर भी उम्मीद रखते हैं
कि दुनिया उन्हें ‘अच्छा’ मान लेगी।

ये वही लोग हैं—
होते हुए भी न के बराबर,
पर अपने फायदे की बारी आए
तो सबसे पहले कतार में खड़े नजर आते हैं।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

હવે છેલ્લા બે દિવસ,
અમદાવાદ ઈન્ટરનેશનલ બુક ફેસ્ટીવલ, રિવરફ્રન્ટ, અમદાવાદ.
પુસ્તક: વિશ્વ ખોજ અને હિતકારી
બુક સ્ટોલ નંબર: ૫૧
નેક્સસ સ્ટોરીઝ પબ્લિકેશન.

manojnavadiya7402

હવે છેલ્લા બે દિવસ..
અમદાવાદ ઈન્ટરનેશનલ બુક ફેસ્ટીવલ, રિવરફ્રન્ટ, અમદાવાદ.
પુસ્તક: વિશ્વ યાત્રી, એક જીવન યાત્રા
બુક સ્ટોલ નંબર: ૩૯
નવભારત સાહિત્ય મંદિર.

manojnavadiya7402

સરળતા એટલે ઉચાઈ. સરળતાને કોઈ ઉચાઈ સુધી પહોચવાની ઈચ્છા હોતી નથી, એ જાતેજ એક ઉચાઈનુ લક્ષ્ય ધરાવે છે.

મનોજ નાવડીયા

manojnavadiya7402

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं🌹 ममता गिरीश त्रिवेदी की संवेदना ज्ञान धारा मैगजीन पढ़िए ममता गिरीश त्रिवेदी वर्ड प्रेस डॉट कॉम पर
https://www.instagram.com/reel/DRUon53irgH/?igsh=MWpuYzl1aGx6ZGxlNw==

mamtatrivedi444291

फेंकने से पहले देख लिया करो, सामने कौन है।😎
PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, attitude, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

jaiprakash413885

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

#जीवन #अनुभव

rashmidwivedi205340

जज सिस्टम बनाम जूरी सिस्टम

वोट वापसी कानूनों के अलावा जूरी सिस्टम होना सबसे बड़ी वजह रही कि अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देश भारत जैसे देशो से तकनीक के क्षेत्र में आगे, काफी आगे निकल गए।

जूरी मंडल ने वहां के छोटे-मझौले कारखाना मालिको की जज-पुलिस-नेताओं के भ्रष्टाचार से रक्षा की और वे तकनिकी रूप से उन्नत विशालकाय बहुराष्ट्रीय कम्पनियां खड़ी करने में सफल हो पाए

राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए। वर्ना राजवर्ग अन्यायपूर्ण कानूनों का इस्तेमाल करके प्रजा को लूट लेगा, और राज्य का विनाश होगा !!

प्रजा के अधीन नहीं होने पर राजवर्ग अन्याय, खूसट से दंड लगाकर प्रजा का उसी तरह भक्षण कर जायेगा जैसे मांसाहारी पशु शाकाहारी जीवो को खा जाते है !!

राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए, वर्ना वो प्रजा को लूट लेगा और राज्य का विनाश होगा - सत्यार्थ प्रकाश

sonukumai

कुछ ज्ञानी लोग बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर पेड़ काटने पर ज्ञान दे रहे हैं तो उनको मैं बताना चाहता हूं एक दिन अखबार छापने में जितना पेड़ काटना पड़ता है उससे भी काम कागज में बैलेट पेपर छप सकता है जिस दिन चुनाव हो उस दिन का अखबार छापने की छुट्टी रख सकते हैं l

sonukumai

મળતું હોત બધું બધાંને તો કોઈને કોઈની જરુર ના પડતે ! સંબંધો માત્ર સ્વાર્થના નથી હોતા બધા! પરસ્પર ભળવાથી ખાંડ લીંબુનું સરબત બને.
- વાત્સલ્ય

savdanjimakwana3600