Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

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New bites

"Shubh Maha Navami! 🌸
May the divine power of Maa Durga bring love, light & spiritual growth in your life, and keep your eyes radiant forever.
— Netram Eye Centre"

netrameyecentre

तेरे सिवा कोई भाता ही नहीं तुम बिन दिन गुजरता ही नहीं आंखों को आदत लगवाई है तूने अपनी तू ना दिखे तो शिकायत है इन्हें नज़रे मिले तो अश्क भर आते हैं आंखों आंखों में इज़हार इश्क का कर जाते हैं कैसा यह दिल का हाल है लफ्ज़ बाय ही नहीं कर पाते हैं अल्फाज़ दिल के दरमियान ही ठहर जाते हैं तेरी परवाह इतनी करते हैं कि खुद की परवाह करना भूल जाते हैं सब कुछ खोकर सबको भूल कर बस तुझको याद रख पाते हैं यह जिद्दी नादान बेचैन दिल और क्या क्या करवाएगा हमसे लाख कोशिशें के बाद भी दिल की बात ना का पता है तुमसे राज़ तो इतना ही है कि यह चाहता है तुम्हें कसम से....

anjalijha981030gmail.com119902

A Hindi Gujarati Fusion Romance, listen on YouTube click on the below link

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vrajkan

அதிகாரத் திமிருடன் ஒரு பெண்ணை மிகக் கொடூரமாகக் கற்பழித்துக் கொன்ற குற்றவாளிகளைத் தீர்த்துக் கட்ட, ஒரு மர்ம நபரால் எழுதப்பட்ட மரண சாசனமே இந்த மீரா கதை. இதுவரை வெளிவந்துள்ள இரண்டு பாகங்களையும் படித்துவிட்டு, உங்கள் கருத்துகளை எனக்குத் தெரியப்படுத்துங்கள்.

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surya1991

Let's take a look at the divine moments from Navratri 2025 photo gallery: https://dbf.adalaj.org/08ky8y78

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dadabhagwan1150

एक ही ज्ञान — अनेक रूप ✧
ज्ञान का इतिहास कोई नया आविष्कार नहीं है।
जिस क्षण शिव ने मौन से वाणी को जन्म दिया, उसी क्षण पहला बीज बो दिया गया। उसके बाद से जो कुछ भी कहा गया—वह उसी बीज का फैलाव है।

नया धर्म, नया दर्शन, नया शास्त्र—ये शब्द भर हैं। भीतर से सब एक ही तरंग के अलग-अलग रूप हैं। समय और परिस्थिति के अनुसार शब्द बदलते हैं, पर सत्य का स्रोत नहीं बदलता। जैसे बीज से पेड़ निकलता है, पेड़ फल देता है, फल फिर बीज बनाता है—जीवन चलता रहता है। ज्ञान भी इसी चक्र में है।

मनुष्य बदलता है, समाज बदलता है, भाषा और प्रतीक बदलते हैं। पर भीतर का जो सत्य है, वह सब जगह एक सा है। अमेरिका हो या ऑस्ट्रेलिया, भारत हो या चीन—मनुष्य हर जगह एक ही है। किसी जगह पाँच हाथों वाला, किसी जगह तीन सिर वाला मनुष्य नहीं पैदा होता। चेहरों का फर्क मामूली है, हृदय का स्वरूप एक है।

धर्म भी ऐसा ही है। हिंदू, इस्लाम, बौद्ध, ईसाई—ऊपर से भिन्न परतें हैं। भीतर का रस एक ही है। सनातन इसी का केंद्र है, क्योंकि इसमें सभी मत, सभी ऋषि, सभी खोजें किसी न किसी रूप में समाहित हैं।

जैसे विज्ञान आज पश्चिम में विकसित दिखता है, पर उसका बीज भी भारत से निकला था। उसी तरह आज धर्म के तमाम रूप फैले हैं, लेकिन उनकी जड़ भी यहाँ, इसी भूमि से उठी थी। भारत ज्ञान का जन्मस्थल रहा है—सोने की चिड़िया सिर्फ धन के कारण नहीं, बल्कि इस अमर बीज के कारण थी।

लेकिन जब मैं आज का भारत देखता हूँ—
आज के धर्मगुरुओं को, आज की आध्यात्मिकता को, और उसकी तुलना उन ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों से करता हूँ—तो दूरी असह्य लगती है।

हमने उस गहराई को खो दिया है,
हमने उस जीवित प्रवाह को खो दिया है।

जो कभी शिव की वाणी थी, जो कभी ऋषियों के मौन से बहती थी—वह अब अनुष्ठान और व्यापार में बंध गई है।

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✧ समापन ✧

ज्ञान कभी नया नहीं होता—
नया होता है सिर्फ उसका आवरण।

आज का संकट यही है कि हमने आवरण को धर्म मान लिया, और बीज को भुला दिया।
हमने स्मारक बचा लिया, पर आत्मा खो दी।

अब प्रश्न सामने खड़ा है—
क्या हम उस बीज को फिर से पहचानेंगे?
या इतिहास हमें सिर्फ यह याद दिलाएगा कि हमने कभी सोने की चिड़िया को खो दिया था?।

✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

इतिहास :

1. उपनिषदों की धारा
– मुण्डकोपनिषद् कहता है:
“सत्यं ज्ञानं अनन्तं ब्रह्म।”
(सत्य और ज्ञान अनन्त हैं, कभी समाप्त नहीं होते।)
यह वही बात है कि नया नहीं जन्मता, बस अनन्त से अनन्त तक बहता है।

2. गीता का सन्दर्भ
– श्रीकृष्ण कहते हैं (गीता 4.1–2):
“इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्…”
(मैंने यह सनातन योग सूर्य को कहा था, वही आगे-पीछे परंपरा से चलता रहा।)
मतलब: ज्ञान नया नहीं, वही पुराना सत्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी रूपांतरित होता है।

3. शिव परंपरा
– कश्मीर शैव दर्शन और तंत्र मानता है कि आदि गुरु शिव ने प्रथम बार मौन से वाणी और ज्ञान का प्रादुर्भाव किया।
यही स्रोत-ज्ञान है, बाकी सब उसी की व्याख्या है।

4. पश्चिमी दार्शनिक दृष्टि
– हेराक्लाइटस (Heraclitus) कहता है: “You cannot step into the same river twice.”
(नदी वही रहती है, पर पानी हर पल बदलता है।)
यह तुम्हारे कथन से मेल खाता है—सत्य वही है, रूप और परिस्थिति बदलते रहते हैं।

bhutaji

good morning ❣️

mrsfaridadesar

સુપ્રભાત 🙏🏼

aryvardhanshihbchauhan.477925

सुकून के हर पल में, प्रेम का ही एहसास
जिन्दगी की आपाधापी में भी
इक दुसरों का ख्याल रखना..
किसी भी जिम्मेदारी से मुख नहीं मोड़ना.
हंसते हुए बड़ी तत्परता से आगे होकर
अपने समकक्ष के मुखड़े को हंसते हुए देखना..
यही तो प्रेम है..
हे प्रिय ! फिर प्रेम में उद्दीपन कैसा--
------
मौसम बदलता है बदलता रहे
लाख रूकावटें हों झंझावातों की
कुशलता का हाल पूछ लेना
मूर्धन्य कलाकार की भूमिका निभाना
प्रेम का ही सोपान है
यही तो प्रेम है
हे प्रिय ! प्रेम में उद्दीपन कैसा--
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चाहे कितने ही पतझड़ हो जीवन में
सावन बसंत बहार बनकर तत्परता दिखाना
लाखों करोड़ों की भीड़ में भी सिर्फ और सिर्फ
अपने समकक्ष की खुशियाँ देखना
यही तो प्रेम है
हे प्रिय! प्रेम में उद्दीपन कैसा--
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बदलाव तो प्रकृति का नियम है
फिर भी अंतरंग मन से
बखूबी हर रिश्ते को निभाना
सबका ख्याल रखना
यही तो प्रेम है
हे प्रिय!!!! प्रेम में उद्दीपन कैसा--

--डॉ अनामिका--
#हिंदी_का_विस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #हिंदीशब्द

rsinha9090gmailcom

Good morning friends

kattupayas.101947

बीमार मन की स्मृतियाँ

बीमार मन की खिड़कियों पर
स्मृतियों की धूल जमी रहती है,
कभी कोई हंसी की आहट
उस धूल में उँगलियाँ फेर जाती है,
और कभी कोई रोष,
शांत कोनों में फफूँदी बनकर उग आता है।

स्मृतियाँ—
वे अधूरी कविताएँ हैं
जो लिखी तो गईं,
पर कभी पूरी न हो सकीं।
वे टूटे हुए सपनों की किरचें हैं
जिन पर चलते-चलते
मन के तलवे छिल जाते हैं।

बीमार मन जानता है
कि समय ही एक चिकित्सक है,
पर समय की दवा
धीरे-धीरे असर करती है—
मानो गहरे कुएँ में डाली
एक-एक बूंद पानी।

कुछ स्मृतियाँ
फफोलों जैसी हैं—
छूने पर दर्द देती हैं,
और कुछ,
जैसे बुझ चुकी अग्नि की राख
जो बस उँगलियों पर
धूसर निशान छोड़ जाती है।

बीमार मन फिर भी
इन स्मृतियों को संजोए रहता है,
मानो रोग ही उसकी पहचान हो,
मानो दर्द ही
उसके भीतर की अंतिम भाषा हो।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

, ಸತ್ಯ ಎಂದರೇನು?
ಸತ್ಯ: ಅದು ಏನು ಮತ್ತು ಅದನ್ನು ನಾವು ಹೇಗೆ ಅರ್ಥಮಾಡಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇವೆ? ​ಸತ್ಯ (Truth) ಎನ್ನುವುದು ನಮ್ಮ ಜೀವನದ ಆಳವಾದ ಮತ್ತು ಅತ್ಯಂತ ಚರ್ಚಾಸ್ಪದ ಪರಿಕಲ್ಪನೆಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದಾಗಿದ್ದು ಇದನ್ನು ಒಂದೇ ವಾಕ್ಯದಲ್ಲಿ ವ್ಯಾಖ್ಯಾನಿಸುವುದು ಅಸಾಧ್ಯ. ಸತ್ಯ ಎಂದರೆ ಕೇವಲ ಯಾವುದೋ ಒಂದು ವಿಷಯ ನಿಜವಾಗಿದೆ ಎಂದು ಹೇಳುವುದಲ್ಲ, ಬದಲಿಗೆ ಅದು ನಮ್ಮ ವಾಸ್ತವದ (Reality) ಮೂಲಾಧಾರವಾಗಿದೆ. ​ಸತ್ಯದ ವಿವಿಧ ಆಯಾಮಗಳು ​ಸತ್ಯವನ್ನು ನಾವು ವಿಭಿನ್ನ ದೃಷ್ಟಿಕೋನಗಳಿಂದ ನೋಡಬಹುದು.
​ವಸ್ತುನಿಷ್ಠ ಸತ್ಯ (Objective Truth): ಇದು ನಮ್ಮ ವೈಯಕ್ತಿಕ ಅಭಿಪ್ರಾಯಗಳು ಅಥವಾ ನಂಬಿಕೆಗಳನ್ನು ಅವಲಂಬಿಸದ ಸತ್ಯ. ಉದಾಹರಣೆಗೆ, ಸೂರ್ಯ ಪೂರ್ವದಲ್ಲಿ ಉದಯಿಸುತ್ತಾನೆ ಅಥವಾ 2+2=4 ಎಂಬ ಗಣಿತದ ಸೂತ್ರ. ಈ ಸತ್ಯವು ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಒಂದೇ ಆಗಿರುತ್ತದೆ, ಯಾರೇ ನಂಬಲಿ ಬಿಡಲಿ. ವಿಜ್ಞಾನ ಮತ್ತು ಗಣಿತವು ಈ ರೀತಿಯ ಸತ್ಯದ ಹುಡುಕಾಟದಲ್ಲಿ ತೊಡಗಿವೆ. ​ಸತ್ಯಗಳಲ್ಲಿ ಹಲವಾರು ರೀತಿ ಇವೆ.
ವೈಯಕ್ತಿಕ ಸತ್ಯ (Subjective Truth): ಇದು ಒಬ್ಬ ವ್ಯಕ್ತಿಯ ಅನುಭವಗಳು, ಭಾವನೆಗಳು ಮತ್ತು ಗ್ರಹಿಕೆಗೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಸತ್ಯ. ಉದಾಹರಣೆಗೆ, ನನಗೆ ಈ ಚಿತ್ರ ತುಂಬಾ ಸುಂದರವಾಗಿದೆ ಅಥವಾ ಈ ಆಹಾರ ತುಂಬಾ ರುಚಿಕರವಾಗಿದೆ. ಇದು ಒಬ್ಬರಿಂದ ಒಬ್ಬರಿಗೆ ಬದಲಾಗುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ವ್ಯಕ್ತಿಯ ಆಂತರಿಕ ಜಗತ್ತಿಗೆ ನಿಜವಾಗಿರುತ್ತದೆ. ​
ತಾತ್ವಿಕ ಸತ್ಯ (Philosophical Truth): ತತ್ವಶಾಸ್ತ್ರದಲ್ಲಿ, ಸತ್ಯವನ್ನು ಅರ್ಥಮಾಡಿಕೊಳ್ಳಲು ಹಲವು ಸಿದ್ಧಾಂತಗಳಿವೆ. ​ಹೊಂದಾಣಿಕೆ ಸಿದ್ಧಾಂತ (Correspondence Theory): ಒಂದು ಹೇಳಿಕೆಯು ವಾಸ್ತವಕ್ಕೆ ಅಥವಾ ಸಂಗತಿಗಳಿಗೆ ಹೊಂದಿಕೆಯಾದರೆ ಅದು ಸತ್ಯ. ​
ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಸಿದ್ಧಾಂತ (Coherence Theory): ಒಂದು ಹೇಳಿಕೆಯು ಸತ್ಯವಾಗಬೇಕಾದರೆ, ಅದು ಈಗಾಗಲೇ ಸತ್ಯವೆಂದು ಒಪ್ಪಿಕೊಂಡಿರುವ ಇತರ ಹೇಳಿಕೆಗಳ ಜೊತೆ ತಾರ್ಕಿಕವಾಗಿ ಹೊಂದಿಕೊಂಡಿರಬೇಕು. ​ಸತ್ಯದ ಮಹತ್ವ ​ನಾವು ಪ್ರತಿದಿನ ಸತ್ಯವನ್ನು ಹುಡುಕುತ್ತೇವೆ ಮತ್ತು ಅದರ ಮೇಲೆ ನಮ್ಮ ನಿರ್ಧಾರಗಳನ್ನು ಅವಲಂಬಿಸುತ್ತೇವೆ. ಪರಸ್ಪರರ ಮೇಲೆ ವಿಶ್ವಾಸ ಇಡಲು, ಕಾನೂನು ಮತ್ತು ನ್ಯಾಯವನ್ನು ಕಾಪಾಡಲು, ಹಾಗೂ ಪ್ರಗತಿ ಸಾಧಿಸಲು ಸತ್ಯ ಅತಿ ಮುಖ್ಯ. ಸುಳ್ಳಿನ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ಸತ್ಯವು ದಿಕ್ಸೂಚಿಯಂತೆ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಹಿಸುತ್ತದೆ. ​ಅಂತಿಮವಾಗಿ, ಸತ್ಯವು ನಾವು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಹುಡುಕುವ ಒಂದು ಪರಿಕಲ್ಪನೆ. ಕೆಲವೊಮ್ಮೆ ಅದನ್ನು ಸಾಬೀತುಪಡಿಸುವುದು ಸುಲಭ, ಆದರೆ ಜೀವನದ ಆಳವಾದ ಪ್ರಶ್ನೆಗಳಿಗೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದಂತೆ, ಸತ್ಯವು ಜಟಿಲ, ಬಹುಮುಖಿ ಮತ್ತು ಕಾಲಾನಂತರದಲ್ಲಿ ವಿಕಸನಗೊಳ್ಳುವಂತಹದ್ದಾಗಿದೆ. ​ನಿಮ್ಮ ಪ್ರಕಾರ, ಸತ್ಯಕ್ಕೆ ಅತ್ಯಂತ ಹತ್ತಿರವಾದ ವ್ಯಾಖ್ಯಾನ ಯಾವುದು?

sandeepjoshi.840664

মহানবমীর সকাল

সপ্তমীর আলো ঝলমলে রাত পেরিয়ে,
অষ্টমীর উল্লাসও ফুরিয়ে গেলো ধীরে ধীরে।
আজ মহানবমী— উমা বিদায় নেবেন কাল।
মনে হয় আকাশও যেন জানে এই সত্যি,
তাই ভোররাত থেকেই বৃষ্টি হয়ে কাঁদছে অবিরাম।

শঙ্খ-ঘন্টায় ধ্বনিত আরতির শব্দ মিশে গেছে
জলভেজা বাতাসে।
ঢাকের আওয়াজও আজ যেন ভারী,
প্রতিটি তাল যেন বলে— “বিদায় আসছে, বিদায় আসছে।”

শিউলি ফুলে ভরা আঙিনা ভিজে গেছে বৃষ্টির জলে,
যেন তারাও জানে, এই আনন্দের উৎসবের
অন্তরালেও লুকিয়ে আছে এক অদ্ভুত বিষণ্নতা।

আমরা জানি, কাল উমা ফিরে যাবেন শ্বশুরবাড়ি,
আমাদের হৃদয় ফাঁকা করে রেখে।
তবুও আজকের নবমীর পূজা,
আজকের এই ভেজা-ভেজা সকাল—
শুধুই প্রার্থনা,
মা যেন আশীর্বাদ দিয়ে যান প্রতিটি ঘরে,
প্রতিটি মনে,
যাতে আগামী বছর আবার ফিরে আসার অপেক্ষা
আমাদের সহ্য হয়।

আজ বৃষ্টি মানেই শুধু প্রকৃতির কান্না নয়,
আজ বৃষ্টি মানে আমাদের হৃদয়ের অশ্রু,
যা মিশে যাচ্ছে উমার পদচিহ্নে—
বিদায়ের সুরে,
আবার তাঁর আগমনের প্রত্যাশায়।

krishnadebnath709104

ಕಣ್ಮರೆಯಾದ ಕನ್ನಡಿಗ?
ಅವಿನಾಶ್ ಒಂದು ದಿನ ಬೆಳಿಗ್ಗೆ ಎಚ್ಚರವಾದಾಗ, ಅವನ ಸುತ್ತಲಿನ ಪ್ರಪಂಚ ಬದಲಾದಂತೆ ಕಾಣಿಸಿತು. ಎಲ್ಲವೂ ಅಸ್ಪಷ್ಟವಾಗಿತ್ತು, ಮತ್ತು ಅವನ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಏನೋ ಕಣ್ಮರೆಯಾಗಿದೆ ಎಂಬ ಭಾವನೆ ಮೂಡಿತು. ಅವನಿಗೆ ತಾನು ಯಾರು, ಎಲ್ಲಿಗೆ ಹೋಗಬೇಕು ಎಂದು ತಿಳಿದಿರಲಿಲ್ಲ. ಅವನ ಜೇಬಿನಲ್ಲಿ ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಕೀ ಇತ್ತು. ಆ ಕೀಲಿ ಯಾವುದಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ್ದು ಎಂಬುದು ಅವನಿಗೆ ಗೊತ್ತಿರಲಿಲ್ಲ.

​ಅವನು ರಸ್ತೆಯಲ್ಲಿ ನಡೆಯುತ್ತಿದ್ದಾಗ, ಒಂದು ಪುಟ್ಟ ಕನ್ನಡಿ ಸಿಕ್ಕಿತು. ಅವನು ಅದನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಂಡು ತನ್ನ ಮುಖವನ್ನು ನೋಡಿದಾಗ, ಅವನು ಕಂಡದ್ದು ತನ್ನ ಪ್ರತಿಬಿಂಬವನ್ನು ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಬದಲಿಗೆ ತನ್ನ ಹಿಂದೆ ನಿಂತಿರುವ ಇನ್ನೊಬ್ಬ ವ್ಯಕ್ತಿಯನ್ನು ನೋಡಿದನು. ಆ ವ್ಯಕ್ತಿ ಅವನಂತೆ ಕಾಣುತ್ತಿರಲಿಲ್ಲ, ಆದರೆ ಅವನ ಕಣ್ಣುಗಳಲ್ಲಿ ಅವಿನಾಶ್‍ನದ್ದೇ ಭಯವಿತ್ತು. ಅವಿನಾಶ್ ಆ ವ್ಯಕ್ತಿಯತ್ತ ತಿರುಗಿದನು, ಆದರೆ ಅಲ್ಲಿ ಯಾರೂ ಇರಲಿಲ್ಲ.

​ಅವನು ತನ್ನ ಮನಸ್ಸಿನ ಮೇಲೆ ನಿಯಂತ್ರಣ ಕಳೆದುಕೊಳ್ಳುತ್ತಿದ್ದಾನೆ ಎಂದು ಭಯಪಟ್ಟನು. ಕೀಲಿಯು ಅವನನ್ನು ಒಂದು ಹಳೆಯ ಅಪಾರ್ಟ್ಮೆಂಟ್ ಕಟ್ಟಡಕ್ಕೆ ಕರೆದೊಯ್ಯಿತು. ಕಟ್ಟಡದ ಮೂರನೇ ಮಹಡಿಯಲ್ಲಿ ಒಂದು ಕೊಠಡಿಯ ಬಾಗಿಲಿಗೆ ಆ ಕೀಲಿ ಹೊಂದಿಕೆಯಾಯಿತು. ಅವನು ಕೊಠಡಿಯನ್ನು ತೆರೆದಾಗ, ಅಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲವೂ ತುಂಬಾ ಚೆನ್ನಾಗಿ ಮತ್ತು ಅಚ್ಚುಕಟ್ಟಾಗಿತ್ತು. ಒಂದು ಗೋಡೆಯ ಮೇಲೆ, ಒಂದು ಹಳೆಯ ಕ್ಯಾಲೆಂಡರ್ ಇತ್ತು, ಅದರ ಮೇಲೆ ಒಂದು ದಿನಾಂಕವನ್ನು ಕೆಂಪು ಪೆನ್ನಿನಿಂದ ಗುರುತಿಸಲಾಗಿತ್ತು. ಆ ದಿನಾಂಕ ಅವನ ಜ್ಞಾಪಕದಲ್ಲಿ ಇರಲಿಲ್ಲ.

​ಅದೇ ಕೊಠಡಿಯಲ್ಲಿ ಒಂದು ಟೇಪ್ ರೆಕಾರ್ಡರ್ ಇತ್ತು. ಅವನು ಅದನ್ನು ಆನ್ ಮಾಡಿದಾಗ, ಅವನ ಧ್ವನಿ ಕೇಳಿಸಿತು. ಟೇಪ್ ರೆಕಾರ್ಡರ್‌ನಲ್ಲಿ ದಾಖಲಾದ ಧ್ವನಿಯು ಭಯಭೀತರಾಗಿ ಮಾತನಾಡುತ್ತಿತ್ತು: "ನನ್ನ ಮನಸ್ಸು ನನ್ನ ನಿಯಂತ್ರಣದಲ್ಲಿಲ್ಲ. ಯಾರೋ ನನ್ನ ನೆನಪುಗಳನ್ನು ಕದ್ದಿದ್ದಾರೆ. ನಾನು ಅರಿತ ಸತ್ಯವನ್ನು ಮರೆತುಬಿಟ್ಟಿದ್ದೇನೆ, ಮತ್ತು ನನ್ನ ಹಿಂದೆ ಒಬ್ಬ ಕನ್ನಡಿಗ ಇದ್ದಾನೆ. ಅವನು ನನ್ನನ್ನು ಹಿಂಬಾಲಿಸುತ್ತಿದ್ದಾನೆ.

​ಟೇಪ್ ರೆಕಾರ್ಡರ್‌ನಲ್ಲಿ ಇನ್ನೊಂದು ಧ್ವನಿ ಕೇಳಿಸಿತು, ಅದು ವೃತ್ತಿಪರ ಧ್ವನಿ: "ಅವಿನಾಶ್, ನಿಮ್ಮ ನೆನಪುಗಳು ನಿಮ್ಮ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಇನ್ನೂ ಜೀವಂತವಾಗಿವೆ. ನೀವು ಅವುಗಳನ್ನು ಹುಡುಕಬೇಕು. ಆ ರಹಸ್ಯದ ಪೆಟ್ಟಿಗೆಯನ್ನು ಹುಡುಕಿ.

​ಅವಿನಾಶ್‍ಗೆ ಅರ್ಥವಾಯಿತು. ಅವನು ಎರಡು ವಿಭಿನ್ನ ವ್ಯಕ್ತಿತ್ವಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿದ್ದನು. ಒಂದು, ಅವನ ನಿಜವಾದ ಅವಿನಾಶ್, ಮತ್ತು ಇನ್ನೊಂದು, ಅವನ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಆವರಿಸಿದ "ಕನ್ನಡಿಗ". ಈ ಕನ್ನಡಿಗ ಅವನ ನೆನಪುಗಳನ್ನು ಅಳಿಸಿಹಾಕಿದ್ದನು. ಆ ಕೀಲಿಯು ನಿಜವಾಗಿಯೂ ಅವನ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿರುವ ರಹಸ್ಯ ಪೆಟ್ಟಿಗೆಯನ್ನು ತೆರೆಯಲು ಬಳಸುವ ಒಂದು ಸಾಂಕೇತಿಕ ಸಾಧನವಾಗಿತ್ತು.

​ಅವನು ಕೊಠಡಿಯಲ್ಲಿ ಹುಡುಕಿದಾಗ, ಹಳೆಯ ಪುಸ್ತಕಗಳ ನಡುವೆ ಒಂದು ಗುಪ್ತ ಡಬ್ಬಿಯನ್ನು ಕಂಡನು. ಅದನ್ನು ತೆರೆದಾಗ, ಅದರಲ್ಲಿ ಅವನ ಹಳೆಯ ಡೈರಿ ಸಿಕ್ಕಿತು. ಡೈರಿಯಲ್ಲಿ, ಅವನು ತನ್ನ ಬದುಕಿನ ಭಯಾನಕ ಘಟನೆಗಳನ್ನು ಬರೆದಿದ್ದನು.

​ಅವನು ಒಬ್ಬ ಮನೋವೈದ್ಯನಾಗಿದ್ದನು. ಒಂದು ದಶಕದ ಹಿಂದೆ, ಅವನು ಒಬ್ಬ ರೋಗಿಗೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ನೀಡುತ್ತಿದ್ದನು. ಆ ರೋಗಿ ತನ್ನ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ "ಕನ್ನಡಿಗ" ಎಂಬ ವ್ಯಕ್ತಿತ್ವವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದನು. ಆ ವ್ಯಕ್ತಿತ್ವವು ರೋಗಿಯ ಮನಸ್ಸನ್ನು ನಿಯಂತ್ರಿಸುತ್ತಿತ್ತು. ಚಿಕಿತ್ಸೆಯ ಸಮಯದಲ್ಲಿ, ಅವಿನಾಶ್ ಆ ರೋಗಿಯ ಮನಸ್ಸನ್ನು ನಿಯಂತ್ರಿಸಲು ಪ್ರಯತ್ನಿಸಿದನು. ಆದರೆ, ಏನೋ ತಪ್ಪಾಯಿತು. ಆ ರೋಗಿಯ ಮನಸ್ಸಿನ ಕನ್ನಡಿಗ ಅವನ ಮನಸ್ಸಿನೊಳಗೆ ಪ್ರವೇಶಿಸಿದನು.

​ಅವಿನಾಶ್‍ಗೆ ತನ್ನ ನಿಜವಾದ ರೋಗ ಯಾರೆಂದು ತಿಳಿದುಬಂದಿತು. ಕನ್ನಡಿಗನು ರೋಗಿಯಾಗಿದ್ದನು, ಆದರೆ ಅವನು ತನ್ನ ಗುರುತನ್ನು ಅವಿನಾಶ್‍ನ ಮನಸ್ಸಿನೊಳಗೆ ಇರಿಸಿದ್ದನು. ಟೇಪ್ ರೆಕಾರ್ಡರ್‌ನಲ್ಲಿ ಕೇಳಿಸಿದ ಧ್ವನಿ ಅವನದೇ ಆಗಿತ್ತು, ಆದರೆ ಅದು ಅವನ ನಿಜವಾದ ಆಲೋಚನೆಗಳನ್ನು ಪ್ರತಿನಿಧಿಸುವುದಿಲ್ಲ. ಇದು ಒಂದು ವಿಚಿತ್ರ ಆಟವಾಗಿತ್ತು.

​ಕಥೆಯ ಕೊನೆಯಲ್ಲಿ, ಅವನು ತನ್ನನ್ನೇ ಪ್ರಶ್ನಿಸಿಕೊಂಡನು, ನಾನು ಯಾರು? ನಾನು ಅವಿನಾಶ್? ಅಥವಾ  ಅವನ ನೆನಪುಗಳನ್ನು ಕದ್ದ ಕನ್ನಡಿಗನಾ?
ಈ ಕಥೆ ನಿಮಗೆ ಇಷ್ಟ ಆಯ್ತಾ? ನಿಮ್ಮ ಅನಿಸಿಕೆಗಳನ್ನು ಕಾಮೆಂಟ್ ಬಾಕ್ಸ್ ನಲ್ಲಿ ತಪ್ಪದೇ ತಿಳಿಸಿ.

sandeepjoshi.840664

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மீரா: பாடி ஃபெல், நாட் லவ் தமிழ் பதிப்பு பகுதி 2 இப்போது அமேசான் கிண்டில் அன்லிமிடெட்டில் இலவசமாகக் கிடைக்கிறது. தயவுசெய்து அதைப் படித்து உங்கள் கருத்தை எனக்குத் தெரியப்படுத்துங்கள்.

surya1991

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है यादें

mamtatrivedi444291

अमर तत्व

अमर तत्व (Immortal Principle) भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक चिंतन में प्रयुक्त एक अवधारणा है। इसका मूल दावा यह है कि शरीर, मूर्ति और शास्त्र नष्ट हो सकते हैं, परंतु ज्ञान, वाणी, अहंकार और भाव जैसी तरंगें आकाश तत्व में अमर रहती हैं। यह विचार ऊर्जा संरक्षण के वैज्ञानिक सिद्धांत, मानवीय अनुभव, और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ता है।


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सिद्धांत

1. ऊर्जा का विज्ञान

भौतिकी का मूल नियम है कि ऊर्जा न तो बनाई जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है; यह केवल रूप बदलती है। बोलना, गाना या सोचना भी ध्वनि एवं मानसिक कंपन है। ये तरंगें हवा और आकाश में फैलती हैं और उनकी ऊर्जा सूक्ष्म रूप में दर्ज रहती है। इससे संकेत मिलता है कि वाणी या कंपन पूरी तरह नष्ट नहीं होते।

2. शब्द और स्मृति

रेडियो, टेलीविज़न और मोबाइल संचार आकाशीय तरंगों के कारण संभव है। मानव द्वारा उत्पन्न ध्वनि तरंगें हज़ारों किलोमीटर दूर तक ग्रहण की जा सकती हैं। इससे यह विचार उत्पन्न हुआ कि आकाश तत्व केवल ध्वनि ही नहीं बल्कि उसके सूक्ष्म "निशान" को भी संचित करता है। इसी कारण कहा जाता है कि पुरानी सभ्यताओं की तरंगें आज भी सूक्ष्म जगत में मौजूद हैं।

3. अनुभव का प्रमाण

आध्यात्मिक परंपराओं में यह अनुभवजन्य दावा किया जाता है कि कबीर, बुद्ध या अन्य ऋषियों की चेतना आज भी ध्यान एवं समाधि में सुनी जा सकती है। साधकों के अनुसार, आकाश में उनकी चेतना का कंपन अभी भी विद्यमान है, और पात्रता अनुसार व्यक्ति उन तरंगों से जुड़ सकता है।

4. सांस्कृतिक प्रमाण

इतिहास में मंदिर नष्ट हुए, ग्रंथ जले, और भाषाएँ लुप्त हुईं; फिर भी कई पंक्तियाँ, कहावतें और विचार आज तक जीवित हैं। इसे सांस्कृतिक प्रमाण माना जाता है कि वे विचार और भाव सामूहिक चेतना और आकाश तत्व दोनों में तरंग बनकर टिके रहे।

5. अहंकार और ज्ञान दोनों अमर

आकाश तत्व निष्पक्ष है। जैसे रेडियो में संगीत और शोर दोनों दर्ज होते हैं, वैसे ही आकाश में ज्ञान और अहंकार दोनों कंपन रहते हैं। साधक की पात्रता यह तय करती है कि कौन-सी तरंग उसे प्रभावित करेगी। इसी आधार पर कहा जाता है कि राम भी अमर हैं (ज्ञान की तरंग) और रावण भी अमर हैं (अहंकार की तरंग)।

6. गुरु का रूप

आकाश तत्व को "गुरु" भी कहा गया है, क्योंकि यह बिना पक्षपात किए व्यक्ति को वही दिखाता है जिसके लिए वह तैयार है। भीतर प्यास हो तो ज्ञान की तरंग आकर्षित होती है, भीतर वासना हो तो उसी प्रकार की तरंग खिंच आती है।


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निष्कर्ष

इस सिद्धांत के अनुसार, अमरता शरीर की नहीं बल्कि तरंग की है। तरंग नष्ट नहीं होती, केवल उसका ग्रहणकर्ता बदलता है। जो ऋषि-मुनि, बुद्ध, राम, कृष्ण और कबीर ने जिया या कहा, वह आज भी आकाश तत्व में दर्ज है। यही "अमर तत्व" है — आकाश में अंकित चेतना की स्मृति।

bhutaji

Goodnight friends

kattupayas.101947

Sukun ✨🫶🖤

hiralb

❣️Jai Shree krishna❣️

gautamsuthar129584

খুব শীঘ্রই ছাপার অক্ষরে প্রকাশিত হতে চলেছে আমার প্রথম বই—
**“মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ : ডায়াবেটিস থেকে মুক্তির উপায়”**।

ডায়াবেটিস আজ আমাদের সমাজের সবচেয়ে নীরব ঘাতকগুলোর একটি। এই বইয়ে আমি শুধু রোগের চিকিৎসা নয়, এর আসল কারণগুলোকে খুঁজে দেখার চেষ্টা করেছি। দীর্ঘ অভিজ্ঞতা, ব্যক্তিগত অনুশীলন এবং জীবনযাপনের নানা পরীক্ষার মধ্য দিয়ে আমি উপলব্ধি করেছি— ডায়াবেটিস কোনো অনিবার্য রোগ নয়; সঠিক লাইফস্টাইল মেনে চললে এর কবল থেকে সম্পূর্ণ মুক্তি পাওয়া সম্ভব।

এই বই পাঠকের জন্য হবে—
- ডায়াবেটিস সম্পর্কে গভীরতর উপলব্ধি।
- কর্টিসল, খাদ্যাভ্যাস, ফাস্টিং ও গাট হেলথের মতো বিষয়ের বৈজ্ঞানিক বিশ্লেষণ।
- বাস্তব জীবনে প্রয়োগযোগ্য লাইফস্টাইল পরিকল্পনা, যা ডায়াবেটিসকে শুধু নিয়ন্ত্রণই নয়, মুক্তির পথে নিয়ে যেতে পারে।

আমার বিশ্বাস, এই বই ডায়াবেটিসে আক্রান্ত মানুষদের নতুন আশা দেবে, আর যারা এখনো সুস্থ আছেন তাদের জন্য হবে এক মূল্যবান দিশারি— যাতে ভবিষ্যতে এই রোগের ফাঁদে না পড়তে হয়।

অপেক্ষা করুন, খুব তাড়াতাড়িই আপনাদের হাতে পৌঁছে যাবে “মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ”।

krishnadebnath709104

मौहब्बत है तुमसे मोहब्बत को क्या सजा दू
गिरे है आंख से आंसू कहे और गिरा दू
दिल ये नादान था जो तुम पर आ गया
तुकड़े हुए हजार दिल के कहे तो दिखा दू
काटो की कलिया थी फूलो के तलबगार थे
भर दिये घर तेरा फूलो से बता और क्या दू
समुद्र की लहरे तुफानो का कहर है
तेरे डूबे जहाज को किनारे पर ला दूं

mashaallhakhan600196

🐭 कार्टून कहानी – “मिन्नी और जादुई रंगों की दुनिया”

एक छोटे से गाँव में मिन्नी नाम की चूहिया रहती थी। मिन्नी का सपना था कि उसका गाँव भी रंग-बिरंगा और सुंदर बने। लेकिन उसका गाँव हमेशा धूल भरा और उदास सा दिखता था।

एक दिन मिन्नी को जंगल के अंदर एक पुराना रंगों का डिब्बा मिला। जैसे ही उसने ढक्कन खोला, उसमें से सात रंग बाहर निकलकर आसमान में नाचने लगे — लाल, पीला, हरा, नीला, नारंगी, गुलाबी और बैंगनी।

रंगों ने मिन्नी से कहा,
“हम जादुई रंग हैं। अगर तुम हमें सही जगह पर इस्तेमाल करोगी, तो तुम्हारा गाँव खुशियों से भर जाएगा।”

मिन्नी खुशी-खुशी रंगों को लेकर गाँव लौटी और घर-घर में रंग भरने लगी।

घरों की दीवारें नीली और पीली हो गईं 🌈

पेड़ हरे और फूल गुलाबी हो गए 🌸

आसमान नारंगी चमक से भर गया ☀️


गाँव वाले हैरान थे — उनका गाँव पहली बार इतना सुंदर और जीवंत दिख रहा था।

लेकिन तभी, एक लोभी बिल्ली टॉमी को यह जादुई रंगों का रहस्य पता चला। उसने डिब्बा चुराने की कोशिश की। मिन्नी ने हिम्मत दिखाते हुए सबको इकट्ठा किया। सबने मिलकर बिल्ली को डराया और रंगों का डिब्बा बचा लिया।

अंत में रंगों ने कहा,
“अब हम हमेशा तुम्हारे गाँव में रहेंगे, लेकिन याद रखना — असली रंग तो दोस्ती और मिल-जुलकर रहने से आते हैं।”

गाँववाले हँस पड़े और सबने मिन्नी को गाँव की हीरो मान लिया।


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✨ सीख: असली जादू रंगों का नहीं, बल्कि मिलजुलकर खुशियाँ बाँटने का होता है।

rajukumarchaudhary502010