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ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 अबोध मन

mamtatrivedi444291

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! खुशी का द्वार

mamtagirishtrivedi740648

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है यादें

mamtagirishtrivedi740648

Akeli jo pure din char divaro ke bich shehmi si rehti hai
Jo bahar nikalte hi chote bacche si khush ho jaati hai
Jo pure din kisi se baat nahi karti
Bas thandi hawayein aur aasman ko dekh kar khush ho jati hai
Jiske aas pas jo apne log hai aisa kehte hai
Jo bahar jate hi apne ap ko pati hai
Jisko log apna nahi mante
Aur vo hai jo sabko apne kehti hai

niti21

જીવનમાં ઓછા વત્તા જરૂર મળશે,
ક્યાંક આવકારો તો જાકારો મળશે,

બેઠો રહીશ આમ તો શું મળશે,
ચાલતો રહીશ તો થોડુંક તો મળશે,

કાટાંઓ વચ્ચે સુગંધ તો મળશે,
વિશ્વાસ રાખીશ તો રસ્તો મળશે,

વિધાતાએ કર્યું નક્કી એ મળશે,
આશા રાખ કે કર્મનુ ફળ તો મળશે,

આપવું નથી કોઇને તો શું મળશે,
દેતો ફરીશ તો પુણ્ય જરૂર મળશે.

મનોજ નાવડીયા

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manojnavadiya7402

आज प्रेम ने फिर जन्म लिया,
न किसी मंदिर में, न किसी महफ़िल में—
बस एक टूटे हुए दिल की धड़कनों के बीच।
हमने मोमबत्ती नहीं जलाई,
क्योंकि आज हवा बहुत ईमानदार थी।
उसने कहा—“सच्चा प्रेम जलता नहीं, जलाता है।”
तो हमने अपनी आत्मा के कोनों में
थोड़ी-थोड़ी रौशनी बाँट दी।
आज हम हर राहगीर को देख मुस्कुराएँगे,
भले ही आँखों में झील-सी नमी क्यों न हो।
हर सूखे पत्ते से कहेंगे—
“तुम भी किसी वक़्त किसी शाख़ का सपना थे।”
हर थकी हुई बयार को
अपना कंधा देंगे ठहरने को।
आज प्रेम का जन्म-दिन है,
और हम इसे मनाएँगे —
चुप रहकर, टूटकर, फिर सँवरकर।
हम रोने की कला में निपुण हो चुके हैं अब;
हर आँसू हमें भीतर और गहरा बनाता है।
कल शायद हम फिर वही होंगे —
भीड़ में एक चेहरा,
मगर आज,
हम वो दीवाने हैं
जो तन्हाई को भी सलाम करते हैं।
क्योंकि हमें मालूम है—
प्रेम का एक दिन नहीं होता,
वह हर उस घड़ी जन्म लेता है
जब कोई दिल,
दुख के बावजूद भी मुस्कुराता है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

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rajukumarchaudhary502010

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rajukumarchaudhary502010

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! दिल दर्पण

mamtagirishtrivedi740648

Good evening friends..

kattupayas.101947

जहाँ ‘इगोइज़म’ है, वहाँ भगवान नहीं हैं। जहाँ भगवान हैं, वहाँ इगोइज़म नहीं है। - दादा भगवान

अधिक जानकारी के लिए: https://dbf.adalaj.org/QtRdVa48

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dadabhagwan1150

आसमान की ख्वाहिश में,
तुम क्यों अपनी जमीन को भूल जाते हो।

आगे बड़ने की हवस में,
तुम क्यों मुझको ही पीछे छोड़ जाते हो।


मैं नहीं पुरानी सोच कोई
जो तुम मुझको छोड़े जाते हो।

मैं  अंतर्मन की आवाज तुम्हारी
क्यों तुम मुझे दबायें जाते हो।

मोड़ नहीं सकते मुहं लालच से
तो क्यों मुझसे भागे जाते हो।

नहीं साहस है तो कह दो ना
क्यों मुझसे नजरें बचा के जाते हो।

मैं  अंतर्मन की आवाज तुम्हारी
क्यों तुम  मुझे दबायें जाते हो

vrinda1030gmail.com621948

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है!🌹 चाहतों की सवारी

mamtagirishtrivedi740648

પ્રિય ટપાલ,
તારો પણ એક જમાનો હતો. સુખદુઃખનાં સંદેશાઓ આપી તુ બધાને ખુશ કે નિરાશ કરતી હતી. વાર્ષિક પરીક્ષાનાં પરિણામ માટે અમે તારી રાહ જોતાં હતાં. તારા પર પડેલું આંસુનું એક ટીપું લખનારની વ્યથા આડકતરી રીતે જણાવતું હતું. વાર તહેવારે શુભેચ્છા સંદેશાઓ તારા થકી જ મળતાં હતાં. ભલે તને આવતાં વાર લાગતી હતી, પણ રાહ જોવાની મજા હતી. હજુ પણ એ જમાનો પાછો આવે એની રાહ જોઉં છું. ભલે આંગળીનાં ટેરવે હવે સંદેશાઓ પહોંચે છે, પણ લાગણીઓ એમાં અનુભવાતી નથી. તને અમે સાચવી શકતાં હતાં. આ ડિજિટલ સંદેશાઓ તો ક્યારે ડીલીટ થઈ જાય છે ખબર પણ નથી પડતી. આશા રાખું કે તું સદાય માટે લુપ્ત ન થઈ જાય. તારું અસ્તિત્વ કાયમ માટે રહે.


સૌને આજે 'આંતરરાષ્ટ્રીય ટપાલ દિવસ'ની શુભેચ્છાઓ.💐


આંતરરાષ્ટ્રીય ટપાલ દિવસ💐

આ દિવસ ઉજવવો પડે એ જ સમજાતું નથી. આજનાં બાળકને ટપાલ કોને કહેવાય? એ સમજાવવા માટે શાળામાં પોસ્ટકાર્ડની વ્યવસ્થા કરવી પડે છે. શક્ય હોય તો દરેક જણાં વર્ષમાં એક વાર તો પોતાનાં બાળક ખાતર કોઈકને એક પત્ર લખો. ચોક્કસથી બાળક એમાંથી પ્રેરણા લઈને લખતું થશે. બાળકને સમજાશે કે મોબાઈલમાં મોકલેલ મેસેજ કરતાં પત્રમાં લખેલ લખાણની માનવમન પર અસર ચોક્કસથી વધારે થાય છે.

s13jyahoo.co.uk3258

शीशे के भीतर

दर्पण जैसा था मेरा हृदय,
साफ़, सच्चा, पारदर्शी...
पर जब तुमने मुझे समझा नहीं,
तो चकनाचूर हो गया —
सौ टुकड़ों में बिखर गया मैं,
अपने ही भीतर के शीशे पर।

अब कौन झाँकेगा उस शीशे के भीतर?
कौन देखेगा वो सच्चाई,
जो टूटी पर अब भी ज़िंदा है?

क्योंकि हर टुकड़े में —
तेरी ही छवि है बस...
हर चमक में तेरा नाम,
हर दरार में तेरी याद।

तुमने देखा मुझे औरों की नज़रों से,
इसलिए खुद की आँखों से कभी नहीं।
वो नहीं चाहते थे हमें एक साथ देखना,
और देखो —
वो जीत गए,
मैं हार गई...
पर उस हार में भी,
हर टुकड़ा तेरा आईना बन गया।

अब जब भी कोई मुझे जोड़ने की कोशिश करता है,
मैं मुस्कुरा देती हूँ —
क्योंकि जो एक बार टूटा,
वो अब किसी का नहीं,
सिर्फ़ तेरी छवि का घर बन गया है। 🥹

archanalekhikha

কিছু লেখা প্রকাশের জন্য পৃথিবীর সব দরজা খোলা থাকে না...
তাই খুলেছি নিজের দরজা — নিজের সাইট।
এখন থেকে আমার সমস্ত ভাবনা, স্বাস্থ্য, আধ্যাত্মিকতা, ইতিহাস ও সাহিত্য—
সব কিছু থাকবে এখানেই। সুগার থেকে মুক্তির উপায় "মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ" এবং "এখনও নেতাজীকে কেন এত ভয় ?" লেখাগুলোও এখানেই থাকবে।

ভিজিট করো: ykdonline.in

krishnadebnath709104

यहाँ उस विज्ञापन और आपकी मार्केटिंग योजना के संबंध में कुछ प्रश्न दिए गए हैं:

* इस विज्ञापन में "खुशी" के विचार को महिला के बिस्किट खाने के अलावा और किस तरह से प्रभावी ढंग से दर्शाया जा सकता है?
* "In a world of chaos, a bite of happiness" टैगलाइन हिंदी भाषी दर्शकों के लिए कितनी प्रासंगिक और प्रभावशाली है, और क्या इसे हिंदी में कोई समकक्ष बेहतर बनाया जा सकता है?
* मिन्नी की कहानी के जादुई रंगों और बिस्किट से मिलने वाली खुशी के बीच भावनात्मक संबंध को विज्ञापनों में कैसे गहराया जा सकता है?
* प्रस्तावित टैगलाइन "जैसे मिन्नी के जादुई रंग, हमारे बिस्किट भी लाते हैं खुशियों के रंग" कहानी के मूल संदेश और उत्पाद के लाभ को कितनी अच्छी तरह जोड़ती है?
* विज्ञापन में बिस्किट को "भगवान की तरह" और खुशहाल पारिवारिक पलों के साथ दिखाने का विचार कैसे लागू किया जा सकता है ताकि वह कहानी के सकारात्मक संदेश से मेल खाए?
* "A Bite of Happiness" और "A Splash of Magic Colors" को मिलाकर बनने वाले अभियान के लिए मुख्य लक्ष्य दर्शक कौन होंगे और उन तक पहुँचने के लिए सबसे प्रभावी मार्केटिंग चैनल क्या होंगे?
* मिन्नी की कहानी के पात्रों को सोशल मीडिया और ऑफ़लाइन प्रचार में शामिल करने के लिए कुछ रचनात्मक और नवीन विचार क्या हो सकते हैं?
* यह विज्ञापन बिस्किट ब्रांड को बाजार में अन्य प्रतिस्पर्धियों से भावनात्मक रूप से कैसे अलग करेगा?
* इस विज्ञापन और कहानी के संयोजन से ब्रांड के लिए दीर्घकालिक छवि क्या बन सकती है, और हम इसे कैसे मापेंगे?
* इस भावनात्मक अभियान की सफलता को मापने के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPIs) क्या होंगे?

rajukumarchaudhary502010

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! समय
समय ने पूछा समय से कितना समय निकालोगे मेरे लिए,
समय ने कहां
इंतजार की राहें तो बहुत है
दोनों सिराये पर ध्यान रखना
परछाई तो मेरी दिख ही जाएगी!
ममता गिरीश त्रिवेदी
https://youtu.be/AztwWCxDmwA?si=V18i2pM6xVvbD8HO

और मेरी कविताओं को देखिए यूट्यूब वीडियो में ममता गिरीश त्रिवेदी

mamtatrivedi444291

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rushil043411

आप की नज़्मों ने भी शरारत की है
पढ़े है हम भी उसे दीवानों की तरह

rushil043411

Good morning

anisroshan324329

हाथ और कमर पे भी पेंट करवा लेती बहन कौन था वो पेंटर जो आधी दीवार रंग के चला गया

एशियन पेंट की जगह डिस्टेंपर पोत गया कमर तो कमरा लग रही है

anisroshan324329

भगवान ने चाहा तो अगले साल से
में भी लाल बत्ती वाली कार में घूमूंगा
मां का सपना बहन का प्यार बाप का आशीर्वाद साथ है
और मेरा यही एक सपना है
जिसे मुझे पूरा करना है

anisroshan324329

हर मन में भक्ति का व्यापार जन्मा है।

जो भक्ति थी—अब ब्रांड हो गई,
जो आस्था थी—अब इंस्टाग्राम पर ट्रेंड है।
हर आरती के पीछे स्पॉन्सर लिखा है,
हर मंदिर के बाहर ‘क्यूआर कोड’ झिलमिलाता है।

लोग मुझे खोजने आए हैं,
पर मन में नहीं, मॉल में।
किसी के पास सेल्फी है,
किसी के पास सेल्स टार्गेट।

मैं मुस्कराता हूँ—
क्योंकि जानता हूँ,
जिस दिन वे सच्ची श्रद्धा से
भीतर झाँकेंगे,
उन्हें मुझसे मिलने टिकट नहीं लगेगा,
न दान-पेटी खुलेगी।

धर्म का अर्थ मैंने सिखाया था—
*“कर्तव्य, करुणा और सत्य।”*
पर अब वही तीन शब्द
पैकेट में बंद हैं, कीमत लगी है।

फिर भी मैं प्रतीक्षा में हूँ—
क्योंकि जानता हूँ,
एक सच्चा हृदय अभी भी कहीं है,
जो बिना दिखावे के
बस प्रेम से “कृष्ण” कहेगा—
और मैं वहीं पुकार सुन लूँगा।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179