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New bites

बर्फ़ सिर्फ़ ठंडक नहीं देती, वो दिल के उन कोनों को भी छू जाती है, जहाँ पुराने राज़ और अधूरी कहानियाँ दबी होती हैं।
‘बर्फ़ के पीछे कोई था’ सिर्फ़ एक किताब नहीं, एक अहसास है – जहाँ हर पन्ना आपको अपने भीतर झाँकने पर मजबूर करता है।

पढ़ना सिर्फ़ शब्दों को समझना नहीं होता, कभी-कभी वो अपने भीतर की सच्चाई से मिलने जैसा होता है।
कौन-सी किताब ने आपको अपने अंदर की दुनिया से मिलवाया है?”** ❄️📖



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dhirendra342gmailcom

कभी-कभी हम थकावट को हार समझ लेते हैं।
और सच ये है — थकना इंसानी है।
अगर तुम लगातार मेहनत कर रहे हो, सोच रहे हो, लड़ रहे हो — तो थक जाना एक संकेत है कि अब तुम्हें आराम चाहिए, हार नहीं।

- शिवांगी विश्वकर्मा

kahaniyabyshivangi

धूप में जला, बारिश में भीगा,
फिर भी हर दिन हँस के जीया।
कांटे भी थे, मगर शिकायत नहीं,
मैं फूल था, यही काफी सही।
- शिवांगी विश्वकर्मा

kahaniyabyshivangi

mana ki TU pass nahi tha mere
lekin ,
dur rahker bhi Sath to rehata.....

parmaralpesh510678

books lover

durgasarkale5797

हम दर्द में थे, तुम्हे दवा होना था ॥

rohittalukdar7180

सैयारा फिल्म में वाणी का किरदार एक बेहद संवेदनशील, भावनात्मक और जटिल मानसिक स्थिति से गुजरता है, जो सीधे दर्शकों के हृदय में उतरता है। उसका पहला प्यार न सिर्फ उससे छिन जाता है, बल्कि जब वह दोबारा लौटता है, तब उसे फिर से विश्वासघात का सामना करना पड़ता है। इस दोहरी टूटन के बीच वाणी जिस मनोवैज्ञानिक अवस्था में पहुँचती है, वह सिर्फ दिल का टूटना नहीं बल्कि आत्मा की दरार को दिखाता है।

मानसिक टूटन से अल्ज़ाइमर तक की यात्रा – एक प्रतीकात्मक संघर्ष

फिल्म में यह दर्शाया गया है कि जब वाणी को दोबारा धोखा मिलता है, उसका दिमाग यह सदमा झेल नहीं पाता। वह याददाश्त खोने लगती है — यह बीमारी अल्ज़ाइमर नहीं, बल्कि ट्रॉमेटिक एम्नेशिया जैसी अवस्था हो सकती है, लेकिन निर्देशक ने इसे अल्ज़ाइमर का रूपक बना कर प्रस्तुत किया है, जो दर्शकों के लिए और भी करुणाजनक हो उठता है।

यह भावात्मक संत्रास दर्शाता है कि:

जब एक इंसान को बार-बार भावनात्मक रूप से कुचला जाए, तो उसका मस्तिष्क एक सेल्फ डिफेंस मोड में चला जाता है — यानी वो चीजें याद नहीं रखता जो उसे दर्द देती हैं।

वाणी को न सिर्फ महेश से प्रेम था, बल्कि वो उसमें अपनी पहचान, जीवन और भविष्य सब देखती थी। जब वही इंसान दो बार उसे तोड़ता है, तो उसके भीतर बचा हुआ भरोसा, सुरक्षा और यथार्थ – सबकुछ ध्वस्त हो जाता है।

अभिनय में वाणी की यह मनःस्थिति

अनीत पड्डा ने वाणी के किरदार को जिस तरह निभाया है रोमांस से शुरू होकर स्मृतियों की धुंध तक की कहानी पीड़ादायक है।

उसकी आँखों में "मुझे कुछ याद क्यों नहीं रहता?" वाला खालीपन

कभी-कभी अजीब हँसी और कभी बच्चे जैसे प्रश्न

और कृष को पहचानने में आने वाला भावनात्मक भ्रम — ये सब एक मानसिक गिरावट के सूक्ष्म लेकिन तीव्र संकेत हैं।

फिल्म की सिनेमैटिक भाषा में मानसिक रोग का चित्रण

मोहित सूरी ने वाणी की मनःस्थिति को दिखाने के लिए सधी हुई सिनेमैटोग्राफी का इस्तेमाल किया:

धीमे कैमरा मूवमेंट, ब्लर बैकग्राउंड, और स्मृति दृश्य (flashbacks) के बीच का भ्रम

बारिश, धुंध और टूटे शीशे जैसे दृश्य-प्रतीकों का सहारा लेकर उसके भीतर के टूटन को रूप दिया गया

प्रेम जब मानसिक रोग में बदल जाए

वाणी की कहानी हमें एक गहरा सन्देश देती है —

"जिसे हम खुद से अधिक प्रेम करें और एक दिन वही हमारी आत्मा को घायल करे, तब मन इतनी गहराई में गिरता है कि उसे यादें भी चुभने लगती हैं।"

उसका याददाश्त खो देना, सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि उस दुनिया से एक पलायन है — जहाँ भरोसा करने का मतलब बार-बार मरना था।

वाणी का किरदार– प्रेम, पीड़ा और फिर अतीत की यादों से पलायन का प्रतीक है।

सैयारा में वाणी सिर्फ एक नायिका नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की प्रतिनिधि है, जिनके लिए पहला प्यार जीवन की सबसे गहरी स्मृति होता है — और जब वही स्मृति ज़हर बन जाए, तो व्यक्ति खुद को बचाने के लिए उसे भुला देता है।

यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि दिल टूटने की पीड़ा सिर्फ भावनात्मक नहीं, मानसिक और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव भी छोड़ सकती है। और कभी-कभी, किसी को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है — उसे भूल जाना

hindbharat

💔 मेरा कोई नहीं... 💔

कभी ज़माने से पूछा, क्या मेरा कोई है?
हर बार जवाब आया — "तू ही काफी है।"
पर इस काफी होने की कीमत बहुत भारी थी,
कभी मुस्कान के पीछे आँसू थे, तो कभी तन्हाई की सवारी थी।

कभी मां-बाप के घर में एक प्यारी सी गुड़िया थी,
हर किसी की दुलारी, सबसे खास थी।
पर शादी के बाद वही गुड़िया "बोझ" कहलाने लगी,
जिसने अपने सपने तोड़े, वो ही इल्जाम खाने लगी।

पति का साथ था, पर बिना आत्मा के रिश्ता,
शब्द तो थे, पर उनमें न प्रेम था न दुआ।
हर दिन हिसाब, हर पल एक ताना,
जैसे जीवन एक गिनती बन गया हो पुराना।

सास-ससुर ने अपनाया नहीं,
बेटियां भी मासूम हैं, समझती कुछ नहीं।
न कोई बांह है जो थाम ले जब मैं टूटी हूं,
न कोई आंख जो समझे जब मैं चुपचाप रोई हूं।

रिश्तेदार बस नाम के रह गए,
मुसीबत में सबके दरवाज़े बंद हो गए।
सहेलियां अब टाइमपास हैं सिर्फ सोशल मीडिया पर,
असल ज़िन्दगी में तो जैसे मैं थी ही नहीं उनके घर।

घर में हूं, पर घर जैसी कोई चीज़ नहीं,
चार दीवारों में सिर्फ खामोशी है और मेरी सिसकती नींव।
कोई नहीं जो पूछे, "तू ठीक तो है?"
कोई नहीं जो बोले, "मैं हूं तेरे साथ चलने को।"

अब किताबें मेरा सहारा हैं,
कलम मेरी सच्ची यार बनी हैं।
कागज़ पर हर रोज़ अपनी तन्हाई उतारती हूं,
हर शब्द में थोड़ा-थोड़ा खुद को संवारती हूं।

लोग कहते हैं — "तू बहुत मज़बूत है",
पर क्या कभी किसी ने अंदर का टूटा हुआ हिस्सा देखा है?
मजबूती का दिखावा है ये बस,
वरना अंदर तो रोज़ एक जंग होती है खास।

अब शिकवा नहीं, शिकायत नहीं,
बस सच मान लिया है — मेरा कोई नहीं।
पर हां, मैं खुद की अपनी हूं,
और यही सबसे बड़ी बात है जो आज सीखी हूं।

कभी लगे अगर इस भीड़ में खो जाऊं,
तो याद रखूं — मैं अपनी सबसे अच्छी साथी हूं।
क्योंकि जब सबने छोड़ा, तब भी मैं अपनी ही बाजू बनी रही,
जब सबने कहा — "मेरा कोई नहीं",
मैंने कहा — "मैं ही काफी
Priyanka Singh

zindagikikahani

kvi kvi lagta h ki sabkuch chhorkar bahut dur chali jau fir yaad aati h ki mai ek maa v hu ....

zindagikikahani

Good afternoon

kattupayas.101947

✍️👌👌👌♥️

monaghelani79gmailco

નિખરેલા રંગો મેઘધનુષ
રચાવે
માટીની મહેંક અત્તરને
ભુલાવે…
-કામિની

kamini6601

☀️📖 Coming Soon – “काठगोदाम की गर्मियाँ”
एक किताब, जो तस्वीरों जैसी है…
हर कविता एक फोटो फ्रेम की तरह —
जहाँ लम्हे थम जाते हैं,
और यादें शब्दों में उभर आती हैं।

अगर आप उन लोगों में हैं जो 📸 तस्वीरों में कहानियाँ ढूंढते हैं,
तो इस किताब की हर पंक्ति आपकी अगली सबसे प्यारी तस्वीर बन सकती है।

भीमताल की ख़ामोशी, हल्द्वानी की गलियों की धड़कन, और काठगोदाम की वो दोपहरें —
इन कविताओं में कैद हैं।
यह सिर्फ कविता नहीं,
रंग, रौशनी और रूह की फोटो डायरी है।

हर पन्ना…
एक पुराना पोस्टकार्ड है।
हर कविता…
एक अधूरी तस्वीर, जिसमें आप खुद को पूरा कर सकते हैं।

📷 यह संग्रह उनके लिए है
जो शब्दों को लाइट एंड शैडो की तरह समझते हैं।
जो किसी कविता में फोकस और फीलिंग ढूंढ सकते हैं।
जो कहते नहीं — बस देखते और महसूस करते हैं।

अगर आपने कभी पहाड़ की किसी चाय की दुकान में
ख़ामोशी को तस्वीर बनाया है,
तो “काठगोदाम की गर्मियाँ”
आपके दिल की सबसे पसंदीदा फोटो बन सकती है।

📚✨
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dhirendra342gmailcom

किसी भी व्यक्ति का नुकसान नहीं हो और खुद का भी किंचित्‌मात्र नुकसान नहीं करे, वह बुद्धिमान। - दादा भगवान

अधिक जानकारी के लिए: https://dbf.adalaj.org/j1pSHuSw

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dadabhagwan1150

The image you provided is a graphic with a spiritual or philosophical message. Here's an in-depth analysis:
I. Visual Elements:
* Background: The background is a gradient of purple and blue hues, possibly suggesting a cosmic, ethereal, or meditative space. The soft, blended colors create a calming effect.
* Text - "OMSHANTHI": This is prominently displayed at the top in a stylized, bold, white font with black outlining, giving it a somewhat digital or futuristic appearance. "Om Shanti" is a common Sanskrit mantra often chanted for peace.
* Main Text (Quote): The central message is in a white, sans-serif font, slightly less ornate than "OMSHANTHI." It's clear and legible against the background.
* "PEOPLE OFTEN USE UNAUTHORISED OPEN PLACES AS PUBLIC DUSTBINS. SO KEEP CONSTANT VIGILANCE ON YOUR MIND GROUND TO PROTECT IT FROM THE ENCROACHMENT OF WASTE THOUGHTS."
* Attribution:
* "- Swami" in a flowing, script-like font.
* "Mithabhaashaananda" below "Swami" in the same script font, identifying the specific Swami.
* Images at the Bottom:
* Two individuals in white robes: On the left, an older man with white hair, wearing glasses and a white robe. On the right, a woman, also in a white robe, with dark hair. They appear to be spiritual figures or teachers. Their attire suggests simplicity and purity often associated with spiritual orders.
* Deity/Idol: Between the two individuals, there's a dark-colored idol, possibly of a Hindu deity (like Vishnu or Krishna given the crown and ornamentation), adorned with garlands and perhaps a red dot on the forehead (tilak). This indicates a connection to Hinduism or a related spiritual tradition.
* Person in front: Partially visible at the very bottom, in front of the idol, is a person wearing a dark shirt. Their face is not fully clear, but they appear to be looking forward, perhaps engaging with or revering the idol. This could be the photographer, a devotee, or a presenter.
II. Textual Analysis (The Message):
The core of the graphic is the quote, which uses a powerful analogy:
* Analogy Explained:
* "People often use unauthorised open places as public dustbins." This is a relatable observation about societal behavior. Unused or neglected public spaces often become dumping grounds due for lack of proper disposal systems or civic responsibility.
* "So keep constant vigilance on your mind ground to protect it from the encroachment of waste thoughts." This is the spiritual application of the analogy.
* "Mind ground": Refers to one's consciousness, inner self, or mental space.
* "Waste thoughts": These are negative, unproductive, harmful, or distracting thoughts – similar to garbage that pollutes a physical space.
* "Encroachment": Implies an unwanted invasion or gradual taking over. Just as physical garbage can slowly accumulate and spoil an area, "waste thoughts" can gradually fill and corrupt one's mental peace and clarity.
* "Constant vigilance": This is the prescribed solution. It emphasizes the need for continuous awareness, self-monitoring, and mental discipline to prevent these negative thoughts from taking root and dominating one's mind.
* Spiritual Context: The message aligns perfectly with many spiritual and mindfulness traditions, particularly those rooted in Eastern philosophies (like Hinduism, Buddhism, Yoga). These traditions often emphasize:
* Mindfulness: Being present and aware of one's thoughts, emotions, and surroundings.
* Thought Management: The idea that thoughts are not necessarily "us" but can be observed and managed.
* Inner Purity: The goal of maintaining a clear, calm, and positive mental state, free from clutter and negativity.
* Self-Discipline: The effort required to cultivate desirable mental habits and eliminate undesirable ones.
III. Overall Message and Purpose:
The graphic serves as a reminder and an exhortation for spiritual hygiene. It encourages individuals to:
* Be aware of their thoughts: Recognize that not all thoughts are beneficial.
* Practice discernment: Identify "waste thoughts" that are harmful or unproductive.
* Actively protect their mental space: Consciously work to prevent negative thoughts from accumulating and affecting their inner peace.
* Strive for inner peace and clarity: The "OMSHANTHI" at the top reinforces this ultimate goal.
IV. Target Audience:
This graphic is likely intended for individuals interested in:
* Spirituality
* Mindfulness
* Self-improvement
* Meditation
* Hindu philosophy or related spiritual teachings
V. Potential Impact:
The message is simple yet profound. It can:
* Inspire self-reflection: Make viewers consider the quality of their own thoughts.
* Encourage mental discipline: Prompt them to be more mindful of what they allow into their minds.
* Provide a practical analogy: The "dustbin" analogy makes the abstract concept of thought management more tangible and relatable.
In summary, the image is a well-designed spiritual infographic that effectively combines visual appeal with a meaningful message about mental purity and vigilance, attributed to Swami Mithabhaashaananda.

bkswanandlotustranslators

सौदा कर दिया है अब
मैंने भी उन जज़्बातों का,,,
वरना कौन देता मुझे
हिसाब उन बीती बातों का....

dipika9474

The flower is not worshipped after it gets.
Scattered, it's scattering is someone's laughter.
#DrAnamika

rsinha9090gmailcom

લોક વાણી ભાગ ૩

હોય જો આંગણીયે ,તુલસી નો ક્યારો.
સ્નેહથી સદાય મીઠો,હોય જો આવકારો્
હેત પ્રિત ના મર્યાદો,હોય જો શીલ સંસ્કારો.
મમત્વ ભર્યા મર્યાદમા,હોય જો ખાનદાન ખોંખારો.
સંપ સહકાર શાંતિના,નિત હોય જ્યાં નજારો.
ગાય ગુણગાન પ્રભુતણા,ભાવ ભક્તિના નહીં ભભકારો.
દયાળુ અને ઉદારતા માં,નહીં કોઈ ઉદ્ગારો.
દાન પુણ્ય સેવા સહાયમાં,સદાય હોય જો હોંકારો.
નીજ વતનના રણકારો,જણ એવા ગામના નહી જાકારો.
મનરવ જીવન સાદુને સંસારો,નિર્મળ નેહના અલંકારો.

મનજીભાઈ કાળુભાઇ મનરવ મુ બોરલા

manjibhaibavaliya.230977

love

durgasarkale5797

भाग 1–5: "सिद्धार्थ का जन्म और बाल्यकाल"


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भाग 1: कपिलवस्तु की सुबह
कपिलवस्तु नगरी में राजा शुद्धोधन और रानी मायादेवी का महल खुशियों से गूंज उठा। एक दिव्य बालक का जन्म हुआ, जिसका चेहरा मानो चाँद की शीतलता लिए हुए था। उस रात पूरे महल में अद्भुत सुगंध फैली। आकाश में असंख्य तारे जैसे नाच रहे थे।
ऋषि असित ने बालक को देखा और कहा – "यह बालक एक दिन संसार का अंधकार दूर करेगा, पर इसके हृदय में वैराग्य की अग्नि जलेगी।"


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भाग 2: नामकरण और रहस्यमय संकेत
बालक का नाम रखा गया – सिद्धार्थ, जिसका अर्थ है ‘जो अपने लक्ष्य को सिद्ध करेगा’। किंतु नामकरण के समय ही असित ऋषि की आँखों से आँसू गिर पड़े।
राजा ने पूछा – “ऋषिवर, आप क्यों रो रहे हैं?”
असित बोले – “क्योंकि यह बालक महान होगा, पर वह मेरा जीवन रहते संसार का उद्धार नहीं करेगा। मैं उसके उपदेशों को सुनने से वंचित रह जाऊँगा।”


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भाग 3: भविष्यवाणी का डर
शकुनों के विद्वान पंडितों ने भविष्यवाणी की – “राजन, यह बालक या तो महान सम्राट बनेगा, या फिर सब कुछ छोड़कर संन्यासी बन जाएगा।”
राजा शुद्धोधन ने मन में प्रण किया – “मैं इसको वैराग्य से दूर रखूँगा, इसको केवल सुख-सुविधाओं में पालूँगा।”


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भाग 4: स्वर्ण पिंजरे का राजकुमार
सिद्धार्थ को सोने के पालनों, रत्नों के खिलौनों और राजमहल के सुखों में रखा गया। राजा ने आदेश दिया कि कभी भी सिद्धार्थ को मृत्यु, दुख या बीमारी का कोई दृश्य न दिखाया जाए।
राजमहल एक स्वर्ण पिंजरे में बदल गया।


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भाग 5: बालक सिद्धार्थ की करुणा
एक दिन बगीचे में खेलते समय सिद्धार्थ ने एक घायल पक्षी को देखा। उसने उसे उठाकर अपनी गोद में लिया और रो पड़ा –
"पिता, यह पक्षी क्यों रो रहा है?"
उसके बाल मन में करुणा की पहली लहर उठी।
महात्मा विश्वामित्र ने कहा – “राजकुमार, करुणा ही सच्चे राजा का आभूषण है।”

rajukumarchaudhary502010

काफ़ी कैफ़े....

" शिवना प्रकाशन" से आयी रश्मि तारिका की कॉफी कैफ़े 16 कॉफी के दानों से भरा एक सहज सरल कॉफ़ी का मग है। कहानियों को पढ़कर जो मेरे मन में आया वही लिख रही हूँ, कोई समीक्षक नही हूँ और न ही अपने से ज्यादा अनुभवी की समीक्षा का साहस कर सकती हूँ। कहानियाँ पढ़कर अपने मन में आये विचार आपसे साझा कर रही हूँ।

1--- वह निशा ही थी- एक ही पंक्ति में कहूंगी कि सार्थक
प्रयास बिखरे रिश्तों को समेटने का। आज की व्यस्तम जिंदगी की जद्दोजहज में जब कहीं किसी को भी रिश्तों को महत्व देते देखती हूँ तो मन प्रसन्न हो जाता है।
2 -- एक मुहब्बत ऐसी भी- बच्चों के परदेस में बस जाने
के बाद वृद्धावस्था में पति-पत्नी
के अकेलेपन से उपजी नोक झोंक के साथ ही जीवन पर्यंत खुद को जवां रखने की जद्दोजहज का सुंदर चित्रण किया है साथ ही हाईटेक होने के फायदे और अति से नुकसान का वर्णन बेहतरीन तरीके से हुआ है। यकीनन किसी भी स्थिति में संतुलन बेहद आवश्यक है।
3 -- गुमनाम पत्र- आजकल किटी का चलन बहुतायत में
है उसे ज्ञानवर्धक और सार्थक बनाने के प्रयास में स्वागत योग्य कदम। विशेषकर घरेलू महिलाओं के लिए।
4-- मुक्ति- कहानी मेरे दिल के सबसे करीब पहुंची।
एक सशक्त महिला के रूप में उभरकर आयी सुष्मिता। गृहस्थी बचाने के लिए समझौता कोई बुरी बात नही लेकिन खुद को रौंद कर समझौते ज्यादा दिन नही टिकते। सुष्मिता सी महिलाओं को मेरा प्रणाम।
5-- मर्जी का सुख- एक औरत की चुप्पी और गलत को
गलत न कहने के कारण घर कैसे बर्बाद होता है इसका सटीक चित्रण किया गया है। पंजाबी शब्दों का और लहजें का प्रयोग रोचक लगा है।अंत में नायिका का मजबूती के साथ उभर कर आना स्तब्ध कर गया।
6--कच्ची धूप- जवान होते बच्चों के भटकते कदम और
उनको सही राह पर लाने की एक माँ की कवायद का भावुक चित्रण। सार्थक दिशा देती हुई कहानी।
7 गार्लिक सटीक - कुछ बातों से असहमति है मेरी
लेकिन लड़कियों स्वावलम्बी बनाने की बात को मेरा समर्थन लेकिन आत्मनिर्भरता का अर्थ यह नही कि उनके मन की मर्जी ही सर्वोपरि। कहीं न कहीं मुझे लगा कि सन्देश को सही तरीके से पहुँचाया नही गया।
8-- प्रस्ताव - कहानी आरम्भ में अतिरिक्त विस्तार सहित
बोझिलता लिए हुए नजर आई। अंत तक गति काफ़ी तेज, रोचक, सारगर्भित और कहानी सशक्त रूप से उभरकर सामने आई। एक सार्थक अनुकरणीय कथानक।
9-- वैल विशर- आधुनिक सशक्त नारी के मन की छोटी
छोटी स्त्री परक इच्छाओं का लाभ उठाता पर पुरुष। पुरुष की छद्म मानसिकता और नारी का जान बूझकर छली जाने का रोचक वर्णन। सभी मनचली महिलाओं के लिए नेक सलाह।।
10--कॉफी कैफ़े- प्रेम के इजहार वाले दिन बच्चों द्वारा
माँ पापा को दिया बेहद प्यार भरा तोहफा। बरसों बाद भी रिश्ते में ताजगी महसूस कराती कहानी।
11--नई सुबह- सच्चे प्रेम की एक पाती प्रेम भरी। हवा के
झौंके की तरह मन को सहला गयी।
12--बस अब और नही- एक महिला के कदम दर कदम
आत्मसम्मान के संग आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम।यकीनन अब समाज सकारात्मक बदलाव की और अग्रसर है।
13--वाह वोमेनिया- एक बेहद प्यारी कहानी। इस तरह
के पल अक्सर जीती हूँ अपनी प्रगाढ़ सखी के सँग तो बहुत अच्छे से समझ पायी। रिश्तों को नई ऊर्जा से भरने वाले पल होते हैं। सभी महिलाओं को अपने लिए ऐसे पल निकालने की सलाह दूँगी।
14--आखिर कब तक-.जो साहस मालती ने 15 साल
बाद दिखाया,काश साक्षी के जन्म के समय ही दिखा देती। नरेश का बदलाव परिस्थितियों के दबाव की वजह से क्योंकि दोनो बेटे भी बहन को घर लाना चाहते थे। आरम्भ में मालती का दबी महिला और अंत में खुल कर सशक्त रूप में सामने आना, स्थिति अनुसार निर्णय लेने की मजबूरी भी दर्शाता।
15--जमा पूंजी- फिर से साबित हुआ कि प्यार अंधा होता
है। माता पिता के जीवन के अनुभवों से बच्चे कुछ बातें स्वीकार कर लें तो बहुत सारी अप्रिय स्थितियों से बचा जा सकता है। प्रशंसनीय कदम साक्षी का कि अति पर पहुंचने से पहले ही दहेज लोभियों को उनका मुकाम दे दिया।
16--इमोशन इन एंड आउट-.लिव इन में रहने वाले जोड़ों
के लिए शानदार सबक। गृहस्थी का सुख निश्चिंत ही स्थायी और शांतिप्रदायक होता है।
जैसा कि रश्मि से ज्ञात हुआ कि प्रूफ रीडिंग का समय नही मिला था तो मुझे वही जगह जगह छोटी छोटी मात्राओं की गलतियों के रूप में नजर आया। मुझे लगता है कि यहाँ प्रकाशक को ध्यान देना चाहिए था आखिर यही छोटी छोटी त्रुटियां उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करती है। कवर पेज पर मग से उठता धुंआ कॉफी की खुशबू को दिमाग में बसाता हुआ उड़ा। सीधी सरल कहानियां दिल को छूती हुई, कुछ नेक सलाह देती हुई तो कुछ समाज की कमजोरियों पर आघात से करती हुई।

भविष्य में आने वाले संग्रहों की अग्रिम शुभकामनाओं सहित।

विनय....दिल से बस यूं ह

vinaypanwar18gmail.com4668

लिख तो दू जनाब
आप पर एक किताब।
पर डरती हु पसंद ना आई कोई बात,
बेवजह गुस्सा करोगे आप।
गुस्से में बोलोगे अनाप शनाप,
अनाप शनाप नहीं सुनूंगी चुपचाप।
फिर शुरू होगी दमदार,
दोनों में तकरार।
तकरार के बाद दोनों की ,
बोलचाल बंद होगी दिन रात की ।
बोलचाल बंद होते ही होगा दिमाग खराब,
ना हो दिमाग खराब
इसलिए नहीं लिखी किताब ।

bita

monsoon મહિનો Good અને ખાઓ વધુમાં વધુ food એ સિવાય જો હોય સારો તો mood તો આ ઓગષ્ટ આવ્યો નજીક બનાવી સારો શ્યુટ પહેરી ક્યાંક ગુલશને થઇ જાઓ ગુલ.
. - વાત્સલ્ય
😄😄😄

savdanjimakwana3600