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कर जवाब देती, “मेरा आर्यन बहुत खास है, उसका वक़्त आएगा।”

सरला का अपने बेटे पर गहरा विश्वास था। वह जानती थी कि आर्यन के अंदर एक अनोखी प्रतिभा छिपी है। उसकी माँ उसे प्रोत्साहित करती और अपने बेटे की हर छोटी-बड़ी उपलब्धि का जश्न मनाती।

समय गुजरता गया, और आर्यन ने अपनी अलग सोच और रचनात्मकता को निखारना शुरू कर दिया। वह अक्सर पुरानी चीजों से कुछ नया बनाने की कोशिश में लगा रहता। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत रंग लाने लगी। एक दिन, गाँव में विज्ञान मेला आयोजित किया गया, जहाँ आर्यन ने अपनी बनाई चीजों की प्रदर्शनी लगाई। उसकी रचनाएँ इतनी अद्वितीय थीं कि सभी गाँव वाले उसकी तारीफ करने लगे।

आर्यन की माँ सरला का विश्वास आखिरकार सच साबित हुआ। आर्यन की प्रतिभा की चर्चा अब दूर-दूर तक होने लगी। इसका परिणाम यह हुआ कि बड़े शहर से कुछ लोग आर्यन के काम को देखने आए और उसे छात्रवृत्ति की पेशकश की गई।

इस कहानी का संदेश है कि विश्वास और प्रोत्साहन के सहारे हर बच्चा अपनी विशेषता दिखा सकता है। आर्यन ने साबित कर दिया कि अगर हमें खुद पर विश्वास हो और कोई हमारा साथ दे, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।

अब, यह आपकी बारी है। क्या आप कोई कहानी साझा करना चाहेंगे, या इस कहानी पर अपने विचार लिख सकते हैं?

rajukumarchaudhary502010

गुड़हल का वह फूल आज़ाद है,
कुछ कुदरत के बंधनों से,
सालभर हंसता-खिलता है,
बदले में थोड़ी-सी देखभाल
और प्यार चाहिए इसे,
फिर खूबसूरती हर तरफ,
जवानी इसकी आबाद है।

आज जहां ये खिला है,
वह एक जेलखाना है,
लेकिन इसे कोई एतराज़ नहीं,
चाहे पानी कोई साधु दे या कैदी
पानी तो पानी रहेगा,
और यह फूल खुश है यहां,
क्योंकि काम इसका मुस्कुराना है।

फूल हमेशा मुस्कुराता रहता था,
ना मुस्कुराने की कोई वजह भी नहीं थी,
वो कैदी भी रोज़ आता था,
पानी डालकर उस फूल में,
कुछ देर बैठकर उसके साथ
ना जाने क्या फुसफुसाता रहता था।

जैसे दो घनिष्ठ मित्र
आपस में बातें कर रहे हों,
शायद दोनों आदी हो चुके थे
एक-दूसरे के।
कभी बातें होतीं, कभी न भी होतीं,
लेकिन वो रोज़ाना मिल रहे थे।

गुड़हल का वह फूल अब राज़दार था,
कैदी की उन सब बातों का,
जो कभी वो नहीं कहता
किसी और के सामने।
अब वो भी समझने लगा था,
कि वो आज़ाद नहीं है
वो एक गुनाहगार था।

आज कैदी उस बाग में उदास बैठा है,
वह शांत है और हताश भी,
क्योंकि आज उसका घनिष्ठ मित्र
उस बाग में नहीं था।
था तो बस उसका खाली डंठल
बिलकुल खाली।
कैदी इसलिए निराश बैठा है।

गुड़हल का वह फूल
जलीक ने तोड़ लिया था।
शायद वो बेखबर था,
और जालिम भी।
उसे एहसास भी था?
उसने किसी का सहारा छीन लिया था।

जलीक तो बेहद खुश था,
उसने एक लंबे अरसे से
इस फूल पर अपनी नज़र
बनाकर रखी हुई थी।
बाग में वह फूल लगाने का सुझाव
भी जलीक का ही था।
आज वो सफल हो गया,
क्योंकि आज उसने फूल तोड़ लिया था।

जलीक को फूल की सुगंध
और रंग भा गया था।
उसने बड़े प्यार से फूल को एक थैली में
संभाल कर रख लिया।
जलीक जानता था आखिरकार
इस फूल को अपने असली घर
पहुंचने का सही वक्त आ गया है।

जलीक की अर्धांगिनी एक धार्मिक स्त्री थी,
उसने गुड़हल का वह फूल देखकर
जलीक की बेहद प्रशंसा की।
आज उसके पूजा का दिन था,
उसने ईश्वर के हाथ जोड़कर
शुक्रिया अदा किया।
वो मान बैठी कि ये उसकी भक्ति का फूल है।

वह तुरंत ही ईश्वर की आराधना में लग गई,
उसने वो फूल पूजा थाली में सबसे आगे रखा,
और सच्चे मन से पूजा में लीन हो गई।
वो प्रसन्नता के मारे,
आज हर बार से अधिक देर तक
पूजा करती रही।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई,
बल्कि कहानी का आगाज़ अब हुआ है।
यहां अब बहुत सारी कहानियां जन्म लेंगी
केवल एक ही सवाल के साथ...
“फूल किसका है?”

rtjd.387186

દશેરા પર RSS ના 100 વર્ષ પૂર્ણ થતાં બોપલ ખાતે ઉજવણીમાં આમંત્રિત તરીકે ગયો હતો.
લાઠીદાવ , ઘોષ ગાન જેમાં શંખ પણ દૂર સુધી સંભળાય એમ તેઓએ ફૂંક્યો, મોટાં ડ્રમ સાથે ચોક્કસ ધૂન સાથે કૂચ, અમુક યોગાસનો, શાખાઓમાં થતી કસરતો, શસ્ત્ર પૂજન અને ડેમો, બાલિકા , કુમારિકા પૂજન ના કાર્યક્રમો નિહાળ્યા.
અમદાવાદ પોલીસ અને RSS ના સહયોગથી ફર્સ્ટ લાઇન ઓફ ડિફેન્સ ની શિબિર કરે ત્યારે શીખવા નામ લખાવ્યું.
પ્રવચન થયું એમાં સ્પષ્ટ કહેવાસ્યુકે આપણે આપણું સ્વરક્ષણ કરતાં શીખવું અને તે માટે સજ્જ થવું જ પડશે. કુદરતી આપત્તિઓ અને દુર્ઘટનાઓ વખતે તેમની કામગીરી વિશે કહ્યું.
જુઓ વિડિઓ અને ફોટાઓ.

sunilanjaria081256

“पत्नी और करवा चौथ” — एक सच्चा विचार

कुछ पुरुष कहते हैं —
“अरे भाई, पत्नी तो बड़ी खराब है,
पूरा साल झगड़ती रहती है, फिर करवा चौथ का व्रत रखती है!” 😅

अब उन पतियों से बस इतना कहना चाहूँगी —
झगड़े का कारण कुछ भी हो,
थोड़ा ठहर कर कभी सोचना...

कभी किसी पत्नी ने अपने लिए व्रत रखा है?
कि “मैं अपने लिए अच्छी हो जाऊँ,
मैं स्वस्थ रहूँ, मेरा मन खुश रहे”?

नहीं ना…
हर बार जो व्रत रखा —
पति की लंबी उम्र के लिए,
बच्चों की सलामती के लिए,
घर की सुख-शांति के लिए।

वो झगड़ती है तो शायद थकी हुई होती है,
कभी सुनी नहीं जाती,
कभी समझी नहीं जाती…

लेकिन फिर भी, हर बार चाँद देख कर
सब भूल जाती है —
क्योंकि उस चाँद में उसे अपने पति,
अपने बच्चों का चेहरा नज़र आता है 🌙❤️

तो अगली बार जब किसी की पत्नी पर हँसी आए,
ज़रा रुककर सोचना —
वो झगड़ालू नहीं, बस इंसान है…
जो अपने परिवार के लिए रोज़ खुद को भुला देती है। 💞


---



जितने सारे व्रत होते हैं जितने व्रत किए जाते हैं वह सब अपने परिवार पति और बच्चों की सलामती के लिए करती हैं


करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏

archanalekhikha

अगर मुग़ल-फ़िरंगी को जूता पड़ा होता,
तो शायद आज अदालतों में आत्मा खड़ी न होती।
हम तब सोए थे—नींद मीठी थी,
अब जागे हैं—तो नींद कड़वी लगी।

जूता अब प्रतीक है—अपमान का नहीं,
सवाल का है, जो हवा में घूमता हुआ
कहीं न्याय के दरवाज़े पर ठहर जाता है।

सुबह का भूला लौटा है शाम,
राम की लौ में बुद्ध की बात है,
कृष्ण की हँसी में शिव का विराम।
तीनों मिलकर पूछते हैं—
“अब भी चुप रहोगे, या बोल उठोगे?”

bhutaji

​मैं तूफान के बीच भी धीरे-धीरे आगे बढ़ता हूँ,
अंधेरे में अपने लिए रास्ता ढूँढता हूँ।
मेरा चेहरा हमेशा हँसता हुआ नज़र आता है,
पर दिल में कई दुःख छुपाता हूँ।
बारिश होने पर भी मैं खड़ा रहूँगा,
क्योंकि मुझे आशा है — अगले दिन उजाला वापस आएगा।
अपनी समझदारी और हिम्मत से मैं रास्ता बनाता हूँ।
d h a m a k

heenagopiyani.493689

🙏🙏તું ચાંદ ખરેખર પ્રેમી જેવો જ છે.
એકદમ ધર્મ નિરપેક્ષ.

હા,પ્રેમમાં પડેલ વ્યકિતને ધર્મ સાથે કોઈ નિસ્બત નથી હોતી બસ તે વ્યક્તિ સાથે જ હોય છે.

જો પ્રેમનું બંધન હોય તો!

આ ચાંદ પણ તેવો જ છે.
કોઈને હદયથી બંદગી કરવી હોય તો તે ઇદનો ચાંદ બની દેખાઈ આવે છે.

કોઈને કડવા ચોથનું વ્રત તેની સાક્ષીએ કરવું છે તો પણ દ્રશ્ય માન થઈ જાય છે.

તે કદી હિન્દુ મુસ્લિમ કરતો નથી.
અરે, તે 'ચાંદ' છે થોડો 'રાજનેતા' છે.

ચાંદ તો ચાંદ છે શ્વેત તો પણ કોઈને તેના એકાદ બે કાળા દાગ વિશે બોલવામાં આત્મસંતોષ થાય છે.

હશે જેનો જેવો વિચાર બસ મને તો ચાંદ ધર્મ નિરપેક્ષ દેખાયો છે.🦚🦚

parmarmayur6557

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹विद्या की झांकी🌹

किताब के होते हैं दर्शन अनेक रंग में
हर झांकी मिलती है उसके स्वरूप में विशेष।पन्नों में छिपे हैं अनगिनत रहस्य,
मन चाहे तो पाए आत्मा का संदेश।

अंतरात्मा भी झलकती है इस किताब में,
खुशियों से रची जाए तो खिलती हर भाव में।
विद्या की देवी का होता है आभास,
जब बिखरता है इसमें ज्ञान का प्रकाश!
✍️ ममता गिरीश त्रिवेदी
https://youtu.be/hFfZClLe2Zc?si=lSsIxWRekC7YjDDz

mamtatrivedi444291

🙏🙏પોતાનો જ 'ધર્મ શ્રેષ્ઠ' છે તે માણવું યોગ્ય છે પરંતુ પોતાનો જ ધર્મ શ્રેષ્ઠ છે તે કોઈને જબરજસ્તી મનાવવું 'પાગલપન' છે.🦚🦚

🧠World mental health day💕

parmarmayur6557

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 अबोध मन

mamtatrivedi444291

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! खुशी का द्वार

mamtagirishtrivedi740648

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है यादें

mamtagirishtrivedi740648

Akeli jo pure din char divaro ke bich shehmi si rehti hai
Jo bahar nikalte hi chote bacche si khush ho jaati hai
Jo pure din kisi se baat nahi karti
Bas thandi hawayein aur aasman ko dekh kar khush ho jati hai
Jiske aas pas jo apne log hai aisa kehte hai
Jo bahar jate hi apne ap ko pati hai
Jisko log apna nahi mante
Aur vo hai jo sabko apne kehti hai

niti21

જીવનમાં ઓછા વત્તા જરૂર મળશે,
ક્યાંક આવકારો તો જાકારો મળશે,

બેઠો રહીશ આમ તો શું મળશે,
ચાલતો રહીશ તો થોડુંક તો મળશે,

કાટાંઓ વચ્ચે સુગંધ તો મળશે,
વિશ્વાસ રાખીશ તો રસ્તો મળશે,

વિધાતાએ કર્યું નક્કી એ મળશે,
આશા રાખ કે કર્મનુ ફળ તો મળશે,

આપવું નથી કોઇને તો શું મળશે,
દેતો ફરીશ તો પુણ્ય જરૂર મળશે.

મનોજ નાવડીયા

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manojnavadiya7402

आज प्रेम ने फिर जन्म लिया,
न किसी मंदिर में, न किसी महफ़िल में—
बस एक टूटे हुए दिल की धड़कनों के बीच।
हमने मोमबत्ती नहीं जलाई,
क्योंकि आज हवा बहुत ईमानदार थी।
उसने कहा—“सच्चा प्रेम जलता नहीं, जलाता है।”
तो हमने अपनी आत्मा के कोनों में
थोड़ी-थोड़ी रौशनी बाँट दी।
आज हम हर राहगीर को देख मुस्कुराएँगे,
भले ही आँखों में झील-सी नमी क्यों न हो।
हर सूखे पत्ते से कहेंगे—
“तुम भी किसी वक़्त किसी शाख़ का सपना थे।”
हर थकी हुई बयार को
अपना कंधा देंगे ठहरने को।
आज प्रेम का जन्म-दिन है,
और हम इसे मनाएँगे —
चुप रहकर, टूटकर, फिर सँवरकर।
हम रोने की कला में निपुण हो चुके हैं अब;
हर आँसू हमें भीतर और गहरा बनाता है।
कल शायद हम फिर वही होंगे —
भीड़ में एक चेहरा,
मगर आज,
हम वो दीवाने हैं
जो तन्हाई को भी सलाम करते हैं।
क्योंकि हमें मालूम है—
प्रेम का एक दिन नहीं होता,
वह हर उस घड़ी जन्म लेता है
जब कोई दिल,
दुख के बावजूद भी मुस्कुराता है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

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rajukumarchaudhary502010

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rajukumarchaudhary502010

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है! दिल दर्पण

mamtagirishtrivedi740648

Good evening friends..

kattupayas.101947

जहाँ ‘इगोइज़म’ है, वहाँ भगवान नहीं हैं। जहाँ भगवान हैं, वहाँ इगोइज़म नहीं है। - दादा भगवान

अधिक जानकारी के लिए: https://dbf.adalaj.org/QtRdVa48

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dadabhagwan1150

आसमान की ख्वाहिश में,
तुम क्यों अपनी जमीन को भूल जाते हो।

आगे बड़ने की हवस में,
तुम क्यों मुझको ही पीछे छोड़ जाते हो।


मैं नहीं पुरानी सोच कोई
जो तुम मुझको छोड़े जाते हो।

मैं  अंतर्मन की आवाज तुम्हारी
क्यों तुम मुझे दबायें जाते हो।

मोड़ नहीं सकते मुहं लालच से
तो क्यों मुझसे भागे जाते हो।

नहीं साहस है तो कह दो ना
क्यों मुझसे नजरें बचा के जाते हो।

मैं  अंतर्मन की आवाज तुम्हारी
क्यों तुम  मुझे दबायें जाते हो

vrinda1030gmail.com621948

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है!🌹 चाहतों की सवारी

mamtagirishtrivedi740648

પ્રિય ટપાલ,
તારો પણ એક જમાનો હતો. સુખદુઃખનાં સંદેશાઓ આપી તુ બધાને ખુશ કે નિરાશ કરતી હતી. વાર્ષિક પરીક્ષાનાં પરિણામ માટે અમે તારી રાહ જોતાં હતાં. તારા પર પડેલું આંસુનું એક ટીપું લખનારની વ્યથા આડકતરી રીતે જણાવતું હતું. વાર તહેવારે શુભેચ્છા સંદેશાઓ તારા થકી જ મળતાં હતાં. ભલે તને આવતાં વાર લાગતી હતી, પણ રાહ જોવાની મજા હતી. હજુ પણ એ જમાનો પાછો આવે એની રાહ જોઉં છું. ભલે આંગળીનાં ટેરવે હવે સંદેશાઓ પહોંચે છે, પણ લાગણીઓ એમાં અનુભવાતી નથી. તને અમે સાચવી શકતાં હતાં. આ ડિજિટલ સંદેશાઓ તો ક્યારે ડીલીટ થઈ જાય છે ખબર પણ નથી પડતી. આશા રાખું કે તું સદાય માટે લુપ્ત ન થઈ જાય. તારું અસ્તિત્વ કાયમ માટે રહે.


સૌને આજે 'આંતરરાષ્ટ્રીય ટપાલ દિવસ'ની શુભેચ્છાઓ.💐


આંતરરાષ્ટ્રીય ટપાલ દિવસ💐

આ દિવસ ઉજવવો પડે એ જ સમજાતું નથી. આજનાં બાળકને ટપાલ કોને કહેવાય? એ સમજાવવા માટે શાળામાં પોસ્ટકાર્ડની વ્યવસ્થા કરવી પડે છે. શક્ય હોય તો દરેક જણાં વર્ષમાં એક વાર તો પોતાનાં બાળક ખાતર કોઈકને એક પત્ર લખો. ચોક્કસથી બાળક એમાંથી પ્રેરણા લઈને લખતું થશે. બાળકને સમજાશે કે મોબાઈલમાં મોકલેલ મેસેજ કરતાં પત્રમાં લખેલ લખાણની માનવમન પર અસર ચોક્કસથી વધારે થાય છે.

s13jyahoo.co.uk3258

शीशे के भीतर

दर्पण जैसा था मेरा हृदय,
साफ़, सच्चा, पारदर्शी...
पर जब तुमने मुझे समझा नहीं,
तो चकनाचूर हो गया —
सौ टुकड़ों में बिखर गया मैं,
अपने ही भीतर के शीशे पर।

अब कौन झाँकेगा उस शीशे के भीतर?
कौन देखेगा वो सच्चाई,
जो टूटी पर अब भी ज़िंदा है?

क्योंकि हर टुकड़े में —
तेरी ही छवि है बस...
हर चमक में तेरा नाम,
हर दरार में तेरी याद।

तुमने देखा मुझे औरों की नज़रों से,
इसलिए खुद की आँखों से कभी नहीं।
वो नहीं चाहते थे हमें एक साथ देखना,
और देखो —
वो जीत गए,
मैं हार गई...
पर उस हार में भी,
हर टुकड़ा तेरा आईना बन गया।

अब जब भी कोई मुझे जोड़ने की कोशिश करता है,
मैं मुस्कुरा देती हूँ —
क्योंकि जो एक बार टूटा,
वो अब किसी का नहीं,
सिर्फ़ तेरी छवि का घर बन गया है। 🥹

archanalekhikha